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History of Bilaspur : जानिए कैसे पड़ा बिलासपुर शहर का नाम - मुगल राजा शाहजहां

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर का नाम कैसे पड़ा. आज हम आपको बताने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के न्यायधानी की कहानी. इस कहानी में वीरता की दास्तां हैं. एक महिला की वीरता की गाथा है. साथ ही साथ उसके संघर्ष की यात्रा है. इस महिला ने राजा को मुगलों की कैद से आजाद कराया था.

History of city of Bilaspur and story of name
बिलासा बाई के नाम पर पड़ा बिलासपुर का नाम
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Published : May 13, 2023, 3:31 PM IST

Updated : May 14, 2023, 9:36 AM IST

बिलासा बाई के नाम पर पड़ा बिलासपुर का नाम

बिलासपुर : भारत के कई ऐसे शहर हैं. जिनके नाम व्यक्ति विशेष के नाम से हैं. कई शहर तो उसकी पहचान से जाने जाते हैं. इसी तरह बिलासपुर का नाम भी एक महिला के नाम पर रखा गया है. ये महिला हैं बिलासा बाई. बिलासा बाई के नाम पर ही शहर का नाम बिलासपुर पड़ा. बिलासा बाई निषाद जाति की थी. जिनका काम मछली पकड़कर आजीविका चलाना था.लेकिन क्यों एक मछली पकड़ने वाली के नाम पर इस शहर का नाम कर दिया गया.क्यों एक राजा को अपनी नगरी का नाम बदलने के लिए विवश होना पड़ा.आज हम आपको इसी के बारे में जानकारी देंगे.

क्या है बिलासपुर का इतिहास : बिलासपुर का नाम बिलासा बाई के नाम से रखा गया है. जानकारों का मानना है कि लगभग 400 साल पहले बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर महामाया देवी की नगरी रतनपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी हुआ करती थी. इतिहास के जानकार शिवा मिश्रा के मुताबिक शोधकर्ता विजय सिन्हा के शोध से जानकारी मिली है कि, यहां उस समय राजा कल्याण सिंह का शासन हुआ करता था. किसी बात को लेकर उस समय दिल्ली के तख्त पर बैठे हिंदुस्तान के मुगल राजा शाहजहां ने रतनपुर के राजा कल्याण को सेना भेजकर गिरफ्तार कर लिया. उसे दिल्ली ले गए थे. दिल्ली ले जाने के बाद जब राजा कल्याण सिंह के प्रधानमंत्री और सेनापति मुगल राजा के पास उन्हें छुड़ाने जा रहे थे. तब उनके साथ बिलासा बाई भी गई थी.

वीर महिला के कारण मुगल शासक प्रभावित : बिलासा बाई बुद्धिशील और वीर महिला थी. बिलासा बाई बुद्धिमता के मामले में काफी तेज थी. यही वजह है कि उन्हें ले जाने के लिए रतनपुर के राजा कल्याण सिंह के प्रधानमंत्री और सेनापति तैयार हो गए. बिलासा बाई ने दिल्ली जाकर मुगल राजा से चर्चा की.मुगल राजा बिलासा बाई के दिए तर्क और बातों से प्रभावित हो गए. इसके बाद राजा कल्याण सिंह को रिहा कर दिया गया. राजा कल्याण जब अपने राज्य पहुंचे तो उन्होंने सारी बातों की जानकारी ली.जब उन्हें पता चला कि एक महिला ने उनकी रिहाई में विशेष योगदान दिया है तो उसे दरबार में बुलाकर सम्मानित किया गया.इसी बात से खुश होकर राजा कल्याण ने बिलासा बाई के नाम से शहर का नाम कर दिया.वर्तमान में शहर का जूना बिलासपुर इलाका बिलासपुर कहलाता था. लेकिन धीरे-धीरे शहर बढ़ता गया और पूरा जिला बिलासा बाई के नाम पर बिलासपुर बन गया.

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कई जगहों के नाम विशेषताओं के कारण पड़े : बिलासपुर के कई इलाके हैं. जिनके नाम विशेषता की वजह से रखे गए हैं. बिलासपुर का तालापारा इलाका, ताला और चाबी बनाने का काम करने वालों के पहचान पर बना है. इसलिए इसका नाम तालापारा रखा गया. इसी तरह मसानगंज में मसानघाट यानी श्मशान था. इसलिए मसानगंज इसका नाम रखा गया. सरकंडा इलाके का नाम सरकंडे की घास की वजह से पड़ा.

बिलासा बाई के नाम पर पड़ा बिलासपुर का नाम

बिलासपुर : भारत के कई ऐसे शहर हैं. जिनके नाम व्यक्ति विशेष के नाम से हैं. कई शहर तो उसकी पहचान से जाने जाते हैं. इसी तरह बिलासपुर का नाम भी एक महिला के नाम पर रखा गया है. ये महिला हैं बिलासा बाई. बिलासा बाई के नाम पर ही शहर का नाम बिलासपुर पड़ा. बिलासा बाई निषाद जाति की थी. जिनका काम मछली पकड़कर आजीविका चलाना था.लेकिन क्यों एक मछली पकड़ने वाली के नाम पर इस शहर का नाम कर दिया गया.क्यों एक राजा को अपनी नगरी का नाम बदलने के लिए विवश होना पड़ा.आज हम आपको इसी के बारे में जानकारी देंगे.

क्या है बिलासपुर का इतिहास : बिलासपुर का नाम बिलासा बाई के नाम से रखा गया है. जानकारों का मानना है कि लगभग 400 साल पहले बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर महामाया देवी की नगरी रतनपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी हुआ करती थी. इतिहास के जानकार शिवा मिश्रा के मुताबिक शोधकर्ता विजय सिन्हा के शोध से जानकारी मिली है कि, यहां उस समय राजा कल्याण सिंह का शासन हुआ करता था. किसी बात को लेकर उस समय दिल्ली के तख्त पर बैठे हिंदुस्तान के मुगल राजा शाहजहां ने रतनपुर के राजा कल्याण को सेना भेजकर गिरफ्तार कर लिया. उसे दिल्ली ले गए थे. दिल्ली ले जाने के बाद जब राजा कल्याण सिंह के प्रधानमंत्री और सेनापति मुगल राजा के पास उन्हें छुड़ाने जा रहे थे. तब उनके साथ बिलासा बाई भी गई थी.

वीर महिला के कारण मुगल शासक प्रभावित : बिलासा बाई बुद्धिशील और वीर महिला थी. बिलासा बाई बुद्धिमता के मामले में काफी तेज थी. यही वजह है कि उन्हें ले जाने के लिए रतनपुर के राजा कल्याण सिंह के प्रधानमंत्री और सेनापति तैयार हो गए. बिलासा बाई ने दिल्ली जाकर मुगल राजा से चर्चा की.मुगल राजा बिलासा बाई के दिए तर्क और बातों से प्रभावित हो गए. इसके बाद राजा कल्याण सिंह को रिहा कर दिया गया. राजा कल्याण जब अपने राज्य पहुंचे तो उन्होंने सारी बातों की जानकारी ली.जब उन्हें पता चला कि एक महिला ने उनकी रिहाई में विशेष योगदान दिया है तो उसे दरबार में बुलाकर सम्मानित किया गया.इसी बात से खुश होकर राजा कल्याण ने बिलासा बाई के नाम से शहर का नाम कर दिया.वर्तमान में शहर का जूना बिलासपुर इलाका बिलासपुर कहलाता था. लेकिन धीरे-धीरे शहर बढ़ता गया और पूरा जिला बिलासा बाई के नाम पर बिलासपुर बन गया.

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कई जगहों के नाम विशेषताओं के कारण पड़े : बिलासपुर के कई इलाके हैं. जिनके नाम विशेषता की वजह से रखे गए हैं. बिलासपुर का तालापारा इलाका, ताला और चाबी बनाने का काम करने वालों के पहचान पर बना है. इसलिए इसका नाम तालापारा रखा गया. इसी तरह मसानगंज में मसानघाट यानी श्मशान था. इसलिए मसानगंज इसका नाम रखा गया. सरकंडा इलाके का नाम सरकंडे की घास की वजह से पड़ा.

Last Updated : May 14, 2023, 9:36 AM IST
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