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बिलासपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पति या पत्नी का शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता के बराबर

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Published : Mar 3, 2022, 4:02 PM IST

Updated : Mar 3, 2022, 6:05 PM IST

बिलासपुर हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया है. हाईकोर्ट ने पति को मोटा और भद्दा कहने वाली महिला के खिलाफ फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि, पति या पत्नी का शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता के बराबर है.

Historic decision of Bilaspur High Court
बिलासपुर हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

बिलासपुर: बिलासपुर हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अब पति या पत्नी दोनों में से कोई भी विवाह के बाद शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करता है तो इसे क्रूरता के बराबर माना जाएगा. फैसले में कहा गया है कि, पत्नी अपने पति से शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करे, तो वह क्रूरता माना जाएगा. इस फैसले को कानून के जानकार न्याय दृष्टांक मान रहें हैं.

पत्नी करती थी भद्दा कमेंट

एक महिला अपने पति को भद्दा और मोटा कहकर नापसंद करती थी. इतना ही नहीं शादी के दस साल बीत जाने के बाद भी शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करती थी. परेशान पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया.

ये है पूरा मामला

दअरसल, बिलासपुर के विकास नगर में रहने वाले एन मिश्रा की शादी 25 नवंबर 2007 को हुई थी. याचिकाकर्ता की पत्नी अब ससुराल छोड़कर बेमेतरा में रहती है. एन मिश्रा ने पत्नी के अलग रहने पर तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में परिवाद प्रस्तुत किया था. इसमें उन्होंने बताया था कि, शादी के कुछ महीने तक साथ रहने के बाद वह अगस्त 2008 में तीज पर्व और रक्षा बंधन मनाने के लिए मायके चली गई. पत्नी मायके जाने के बाद फिर 8-9 माह बाद ससुराल लौटी. 11 जुलाई 2009 को युवक के पिता की मौत हो गई. इसके बाद भी महिला अगले महीने रक्षाबंधन और तीजा मनाने अपने भाई के साथ फिर मायके चली गई और लौट कर आई. इसके बाद साल 2010 में वह फिर से मायके चली गई और बिना बताए चार साल तक मायके में ही रही. 2008 से 2015 तक बहुत कम समय ससुराल में बिताई और पति और ससुराल वालों को बताए बिना ही साल 2011 में बेमेतरा में शिक्षाकर्मी की नौकरी ज्वाइन कर ली. ऐसे में वह पति को घर छोड़कर बेमेतरा में रहने के लिए दबाव बना रही थी. परेशान होकर पति ने तलाक के लिए अर्जी लगाई.

यह भी पढ़ें: आय से अधिक संपत्ति का मामला: पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी को हाईकोर्ट से मिली राहत

फैमिली कोर्ट से खारिज होने पर लगाई हाईकोर्ट में अर्जी

याचिकाकर्ता एन मिश्रा ने पत्नी के व्यवहार से परेशान होकर हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत तलाक के लिए आवेदन दिया. जिसे फैमिली कोर्ट ने 13 दिसंबर 2017 को खारिज कर दिया.इस फैसले के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की. पत्नी की तरफ से अपने बचाव में तर्क प्रस्तुत किए गए, लेकिन कोर्ट ने पत्नी के बयानों के आधार पर पाया कि दंपति का वर्ष 2010 से ही शारीरिक संबंध नहीं था. वह पति को भारी और दिखने में भद्दा कहती थी और नापसंद करती थी. उसने पति को जानकारी दिए बिना ही शिक्षाकर्मी की नौकरी ज्वाइन कर ली थी, जिसमें अपने पति के बजाए मायके वालों को नॉमिनी बनाया था.

यह भी पढ़ें: आधे दाम में स्कॉर्पियो, 2 लाख लेकर 9 लाख लोन का झांसा दे ठगी करने वाले झारखंड के 3 ठग गिरफ्तार

बिलासपुर हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

हाईकोर्ट ने फैसले में कहा है कि, यह स्पष्ट है कि अगस्त 2010 से पति-पत्नी के रूप में दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है, जो यह निष्कर्ष निकालने के लिए काफी है कि उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं है.पति और पत्नी के बीच शारीरिक संबंध विवाहित जीवन के स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है.एक पति या पत्नी के साथ शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता के बराबर है. कोर्ट का विचार है कि इस मामले में पत्नी ने पति के साथ क्रूरता का व्यवहार किया है.

न्यायदृष्टांक होगा फैसला

हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने इस फैसले को एप्रुवल फॉर ऑर्डर माना है. कोर्ट का यह आदेश तलाक संबंधी अन्य मामलों में न्यायदृष्टांक के रूप में लिया जाएगा. इस फैसले के आधार पर पति-पत्नी के रिश्तों के आधार पर तलाक संबंधी अन्य मामलों में भविष्य में भी आदेश जारी किए जा सकेंगे.

बिलासपुर: बिलासपुर हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अब पति या पत्नी दोनों में से कोई भी विवाह के बाद शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करता है तो इसे क्रूरता के बराबर माना जाएगा. फैसले में कहा गया है कि, पत्नी अपने पति से शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करे, तो वह क्रूरता माना जाएगा. इस फैसले को कानून के जानकार न्याय दृष्टांक मान रहें हैं.

पत्नी करती थी भद्दा कमेंट

एक महिला अपने पति को भद्दा और मोटा कहकर नापसंद करती थी. इतना ही नहीं शादी के दस साल बीत जाने के बाद भी शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करती थी. परेशान पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया.

ये है पूरा मामला

दअरसल, बिलासपुर के विकास नगर में रहने वाले एन मिश्रा की शादी 25 नवंबर 2007 को हुई थी. याचिकाकर्ता की पत्नी अब ससुराल छोड़कर बेमेतरा में रहती है. एन मिश्रा ने पत्नी के अलग रहने पर तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में परिवाद प्रस्तुत किया था. इसमें उन्होंने बताया था कि, शादी के कुछ महीने तक साथ रहने के बाद वह अगस्त 2008 में तीज पर्व और रक्षा बंधन मनाने के लिए मायके चली गई. पत्नी मायके जाने के बाद फिर 8-9 माह बाद ससुराल लौटी. 11 जुलाई 2009 को युवक के पिता की मौत हो गई. इसके बाद भी महिला अगले महीने रक्षाबंधन और तीजा मनाने अपने भाई के साथ फिर मायके चली गई और लौट कर आई. इसके बाद साल 2010 में वह फिर से मायके चली गई और बिना बताए चार साल तक मायके में ही रही. 2008 से 2015 तक बहुत कम समय ससुराल में बिताई और पति और ससुराल वालों को बताए बिना ही साल 2011 में बेमेतरा में शिक्षाकर्मी की नौकरी ज्वाइन कर ली. ऐसे में वह पति को घर छोड़कर बेमेतरा में रहने के लिए दबाव बना रही थी. परेशान होकर पति ने तलाक के लिए अर्जी लगाई.

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फैमिली कोर्ट से खारिज होने पर लगाई हाईकोर्ट में अर्जी

याचिकाकर्ता एन मिश्रा ने पत्नी के व्यवहार से परेशान होकर हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत तलाक के लिए आवेदन दिया. जिसे फैमिली कोर्ट ने 13 दिसंबर 2017 को खारिज कर दिया.इस फैसले के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की. पत्नी की तरफ से अपने बचाव में तर्क प्रस्तुत किए गए, लेकिन कोर्ट ने पत्नी के बयानों के आधार पर पाया कि दंपति का वर्ष 2010 से ही शारीरिक संबंध नहीं था. वह पति को भारी और दिखने में भद्दा कहती थी और नापसंद करती थी. उसने पति को जानकारी दिए बिना ही शिक्षाकर्मी की नौकरी ज्वाइन कर ली थी, जिसमें अपने पति के बजाए मायके वालों को नॉमिनी बनाया था.

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बिलासपुर हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

हाईकोर्ट ने फैसले में कहा है कि, यह स्पष्ट है कि अगस्त 2010 से पति-पत्नी के रूप में दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है, जो यह निष्कर्ष निकालने के लिए काफी है कि उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं है.पति और पत्नी के बीच शारीरिक संबंध विवाहित जीवन के स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है.एक पति या पत्नी के साथ शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता के बराबर है. कोर्ट का विचार है कि इस मामले में पत्नी ने पति के साथ क्रूरता का व्यवहार किया है.

न्यायदृष्टांक होगा फैसला

हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने इस फैसले को एप्रुवल फॉर ऑर्डर माना है. कोर्ट का यह आदेश तलाक संबंधी अन्य मामलों में न्यायदृष्टांक के रूप में लिया जाएगा. इस फैसले के आधार पर पति-पत्नी के रिश्तों के आधार पर तलाक संबंधी अन्य मामलों में भविष्य में भी आदेश जारी किए जा सकेंगे.

Last Updated : Mar 3, 2022, 6:05 PM IST

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