बिलासपुर : राज्य सरकार के महापौर चुनाव को अप्रत्यक्ष रूप से कराए जाने के फैसले को लेकर दायर याचिकाओं पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में शासन की तरफ से कोर्ट में जवाब पेश किया गया. शासन ने जवाब में कहा कि विधानसभा सत्र में अधिसूचना को पारित कराया जा चुका है, जिसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष से कहा है कि वे अधिसूचना के बजाए अब कानून को चुनौती दें.
छत्तीसगढ़ सरकार ने 25 अक्टूबर को अधिसूचना जारी कर महापौर के चुनाव को अप्रत्यक्ष रूप से कराए जाने का फैसला लिया है, जिसे लेकर लोरमी विधायक धरमजीत सिंह समेत 5 लोगों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि महापौर के प्रत्यक्ष रूप से चुनाव को खत्म कर दिया गया है, जिससे जनप्रतिनिधियों की प्रमाणिकता और संवैधानिकता पर प्रश्नचिन्ह लगता है.
अधिसूचना बन जाता है कानून
बता दें कि विधानसभा से पारित होने के बाद कोई भी अधिसूचना कानून बन जाती है. इस मामले में अगली सुनवाई जनवरी में होगी. याचिका में सरकार के इस फैसले से महापौर के चुनाव में गुटबाजी और भ्रष्टाचार बढ़ जाने की बात भी कही गई है. सोमवार को मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रामचंद्र मेनन और पीपी साहू की खंडपीठ द्वारा की गई.