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हाईकोर्ट में मेयर चुनाव को लेकर लगी याचिका पर सुनवाई - अप्रत्यक्ष महापौर चुनाव

राज्य में अप्रत्यक्ष रूप से मेयर चुने जाने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में लगी याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई.

mayor election petition chhattisgarh
बिलासपुर हाईकोर्ट
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Published : Dec 16, 2019, 4:55 PM IST

बिलासपुर : राज्य सरकार के महापौर चुनाव को अप्रत्यक्ष रूप से कराए जाने के फैसले को लेकर दायर याचिकाओं पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में शासन की तरफ से कोर्ट में जवाब पेश किया गया. शासन ने जवाब में कहा कि विधानसभा सत्र में अधिसूचना को पारित कराया जा चुका है, जिसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष से कहा है कि वे अधिसूचना के बजाए अब कानून को चुनौती दें.

छत्तीसगढ़ सरकार ने 25 अक्टूबर को अधिसूचना जारी कर महापौर के चुनाव को अप्रत्यक्ष रूप से कराए जाने का फैसला लिया है, जिसे लेकर लोरमी विधायक धरमजीत सिंह समेत 5 लोगों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि महापौर के प्रत्यक्ष रूप से चुनाव को खत्म कर दिया गया है, जिससे जनप्रतिनिधियों की प्रमाणिकता और संवैधानिकता पर प्रश्नचिन्ह लगता है.

अधिसूचना बन जाता है कानून
बता दें कि विधानसभा से पारित होने के बाद कोई भी अधिसूचना कानून बन जाती है. इस मामले में अगली सुनवाई जनवरी में होगी. याचिका में सरकार के इस फैसले से महापौर के चुनाव में गुटबाजी और भ्रष्टाचार बढ़ जाने की बात भी कही गई है. सोमवार को मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रामचंद्र मेनन और पीपी साहू की खंडपीठ द्वारा की गई.

बिलासपुर : राज्य सरकार के महापौर चुनाव को अप्रत्यक्ष रूप से कराए जाने के फैसले को लेकर दायर याचिकाओं पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में शासन की तरफ से कोर्ट में जवाब पेश किया गया. शासन ने जवाब में कहा कि विधानसभा सत्र में अधिसूचना को पारित कराया जा चुका है, जिसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष से कहा है कि वे अधिसूचना के बजाए अब कानून को चुनौती दें.

छत्तीसगढ़ सरकार ने 25 अक्टूबर को अधिसूचना जारी कर महापौर के चुनाव को अप्रत्यक्ष रूप से कराए जाने का फैसला लिया है, जिसे लेकर लोरमी विधायक धरमजीत सिंह समेत 5 लोगों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि महापौर के प्रत्यक्ष रूप से चुनाव को खत्म कर दिया गया है, जिससे जनप्रतिनिधियों की प्रमाणिकता और संवैधानिकता पर प्रश्नचिन्ह लगता है.

अधिसूचना बन जाता है कानून
बता दें कि विधानसभा से पारित होने के बाद कोई भी अधिसूचना कानून बन जाती है. इस मामले में अगली सुनवाई जनवरी में होगी. याचिका में सरकार के इस फैसले से महापौर के चुनाव में गुटबाजी और भ्रष्टाचार बढ़ जाने की बात भी कही गई है. सोमवार को मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रामचंद्र मेनन और पीपी साहू की खंडपीठ द्वारा की गई.

Intro:राज्य सरकार द्वारा महापौर चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से कराए जाने को लेकर दायर याचिकाओं पर आज उच्च न्यायालय ने सुनवाई की। मामले में शासन की ओर से कोर्ट में जवाब प्रस्तुत किया गया। राज्य सरकार द्वारा महापौर चुनाव को अप्रत्यक्ष रुप से कराए जाने का मामला। राज्य सरकार द्वारा मामले में अधिसूचना जारी करने के खिलाफ लगी याचिका। मामले में शासन ने कोर्ट में पेश किया जवाब। शासन ने जवाब में कहा अधिसूचना विधानसभा सत्र में कराया जा चुका है पारित। जिसके बाद न्यायालय ने याचिकाकर्ता पक्ष से कहा है कि वे अधिसूचना के बजाय अब कानून को दे चुनौती। जानकारी के लिए बता दें कि विधानसभा से पारित होने के बाद अधिसूचना कानून बन जाता है। अब मामले पर अगली सुनवाई जनवरी में होगी। Body: गौरतलब हो कि राज्य सरकार ने 25 अक्टूबर को अधिसूचना जारी कर महापौर के चुनाव को अप्रत्यक्ष रूप से कराए जाने का फैसला लिया है। जिसको लेकर लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह समेत 5 लोगों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की हुई है। याचिका में कहा गया है कि महापौर की शपथ कार्यप्रणाली को खत्म कर दिया गया है जिससे जनप्रतिनिधियों की प्रमाणिकता व संवैधानिकता पर प्रश्नचिन्ह लगता है। याचिका में सरकार के इस फैसले से महापौर के चुनाव में गुटबाजी तथा भ्रष्टाचार बढ़ जाने की बात भी कही गई है।Conclusion:आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रामचंद्र मेनन व पीपी साहू की खंडपीठ द्वारा की गई।
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