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बिलासपुरः DME के एडमिशन रद्द करने के फैसले पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

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Published : Dec 23, 2020, 7:45 PM IST

हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए डीएमई ऐसे छात्रों के एडमिशन को रद्द कर रहा था, जो छत्तीसगढ़ के मूल निवासी नहीं हैं या नामांकन के वक्त जिसने गलत निवास प्रमाण पत्र दिया था. इसपर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. जिसपर सुनवाई करते हुए फिलहाल एडमिशन रद्द करने के फैसले पर रोक लगा दी गई है.

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DAME के एडमिशन रद्द करने के फैसले पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

बिलासपुरः हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए डीएमई द्वारा नीट एग्जाम फॉर्म में जिन छात्रों ने खुद को छत्तीसगढ़ का मूल निवासी नहीं बताया था, उनके एडमिशन को रद्द किया जा रहा है. जिसपर एक याचिकाकर्ता ओम अंकित साहू का भी एडमिशन डीएमई द्वारा रद्द कर दिया गया है. इसे लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी.

डीएमई द्वारा उठाए गए इस कदम के खिलाफ अब याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. अंकित साहू के वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ का मूल निवासी है. याचिकाकर्ता ने अपनी 11वीं और 12वीं की पढ़ाई राजस्थान कोटा से की है. जिसकी जानकारी याचिकाकर्ता ने नीट एग्जाम फॉर्म भरने के दौरान दी थी. जिसके आधार पर अब डीएमई द्वारा उनका एडमिशन रद्द कर दिया गया है.

पढ़ेंः रायपुर: पेंट कंपनी में लगी आग, मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया

हाईकोर्ट ने जांच के लिए डीएमई को दिया था आदेश

हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर कहा था कि डीएमई जांच करे कि स्टेट कोटा के अंतर्गत नीट एग्जाम देने वाले छात्र राज्य के मूल निवासी है या नहीं. जिसके बाद डीएमई अब नीट एग्जाम देने वाले सभी छात्रों के मूल निवास की जांच कर रहा है. नीट एग्जाम फॉर्म में छात्रों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर जांच की जा रही है. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि बिना सुनवाई के मौका दिए ही उनका एडमिशन रद्द कर दिया गया. वहीं पूरे मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आरसीएस सामंत की सिंगल बेंच ने डीएमई के द्वारा लिए गए इस फैसले पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य शासन से जवाब तलब किया है.

बिलासपुरः हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए डीएमई द्वारा नीट एग्जाम फॉर्म में जिन छात्रों ने खुद को छत्तीसगढ़ का मूल निवासी नहीं बताया था, उनके एडमिशन को रद्द किया जा रहा है. जिसपर एक याचिकाकर्ता ओम अंकित साहू का भी एडमिशन डीएमई द्वारा रद्द कर दिया गया है. इसे लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी.

डीएमई द्वारा उठाए गए इस कदम के खिलाफ अब याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. अंकित साहू के वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ का मूल निवासी है. याचिकाकर्ता ने अपनी 11वीं और 12वीं की पढ़ाई राजस्थान कोटा से की है. जिसकी जानकारी याचिकाकर्ता ने नीट एग्जाम फॉर्म भरने के दौरान दी थी. जिसके आधार पर अब डीएमई द्वारा उनका एडमिशन रद्द कर दिया गया है.

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हाईकोर्ट ने जांच के लिए डीएमई को दिया था आदेश

हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर कहा था कि डीएमई जांच करे कि स्टेट कोटा के अंतर्गत नीट एग्जाम देने वाले छात्र राज्य के मूल निवासी है या नहीं. जिसके बाद डीएमई अब नीट एग्जाम देने वाले सभी छात्रों के मूल निवास की जांच कर रहा है. नीट एग्जाम फॉर्म में छात्रों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर जांच की जा रही है. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि बिना सुनवाई के मौका दिए ही उनका एडमिशन रद्द कर दिया गया. वहीं पूरे मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आरसीएस सामंत की सिंगल बेंच ने डीएमई के द्वारा लिए गए इस फैसले पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य शासन से जवाब तलब किया है.

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