ETV Bharat / state

7 आईएएस अवार्डी अफसरों को हाइकोर्ट ने दी राहत, कैट के नए सिरे से डीपीसी के आदेश पर रोक

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (Chhattisgarh Public Service Commission) में चयनित सात प्रतियोगियों को राज्य प्रशासनिक सेवा के तहत डिप्टी कलेक्टर बनाया गया था. आयोग की यह परीक्षा विवादों से घिरी रही और अनियमितता के आरोप लगे. यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

CAT's fresh DPC order stayed
कैट के नए सिरे से डीपीसी के आदेश पर रोक
author img

By

Published : Sep 4, 2021, 1:04 PM IST

बिलासपुर : राज्य प्रशासनिक सेवा (state administrative service) के सात अधिकारियों के मामले में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) द्वारा नए सिरे से डीपीसी कराने के निर्देश पर हाई कोर्ट (High Court) ने आगामी आदेश रोक लगा दी है. बता दें कि वर्ष 2003 में आयोजित छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (Chhattisgarh Public Service Commission) में चयनित सात प्रतियोगियों को राज्य प्रशासनिक सेवा के तहत डिप्टी कलेक्टर बनाया गया था. आयोग की यह परीक्षा विवादों से घिरी रही और अनियमितता के आरोप लगे. यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

सातों अफसरों की पदोन्नति को हीना नेताम ने कैट में दी थी चुनौती

इस बीच वर्ष 2020 में राज्य शासन ने विभागीय पदोन्नति समिति की अनुशंसा के बाद सभी सात अफसरों को आईएएस अवार्ड किया. उनकी पदोन्नति को हीना नेताम ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में चुनौती दी. कैट ने राज्य लोक सेवा आयोग को इन पदों के लिए दोबारा डीपीसी कराने का आदेश दिया. कैट के आदेश को चुनौती देते हुए आईएएस अवार्डेड अफसरों ने अधिवक्ता सौरभ साहू के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी. इसमें कैट के आदेश को अवैधानिक बताते हुए निरस्त करने का आग्रह किया गया है. प्रकरण की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा व जस्टिस रजनी दुबे की युगलपीठ में हुई.

सीनियर एडवोकेट राजीव श्रीवास्तव का तर्क-कैट का आदेश न्यायसंगत नहीं

इस दौरान याचिकाकर्ता अफसरों की तरफ से सीनियर एडवोकेट राजीव श्रीवास्तव ने तर्क देते हुए कहा कि कैट का आदेश न्याय संगत नहीं है. क्योंकि कैट ने याचिकाकर्ताओं को न तो कोई सुनवाई का अवसर दिया है और न ही नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस तरह का एक पक्षीय आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है. कैट द्वारा डीपीसी कराए जाने का आदेश गलत है. इन तर्कों से सहमत होकर हाई कोर्ट ने कैट की ओर से जारी आदेश पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी है.


ये हैं वो अफसर जिन्होंने ने दायर की है याचिका

पीएसपी की ओर से वर्ष 2003 में आयोजित परीक्षा में तुलिका प्रजापति, फरिहा आलम सिद्दीकी, चंदन त्रिपाठी, जयश्री जैन, प्रियंका थवाईत, दीपक अग्रवाल समेत सात प्रतियोगियों का चयन डिप्टी कलेक्टर पद के लिए हुआ था. आयोग की इस परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगे थे. इसके साथ ही आयोग द्वारा पदों के आवंटन को लेकर भी सवाल उठाए गए. वर्ष 2003 में पीएससी का विवाद अभी सुप्रीम कोर्ट में लंंबित है. इस बीच वर्ष 2020 में राज्य शासन ने इन अफसरों को आइएएस अवार्ड कर दिया.

बिलासपुर : राज्य प्रशासनिक सेवा (state administrative service) के सात अधिकारियों के मामले में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) द्वारा नए सिरे से डीपीसी कराने के निर्देश पर हाई कोर्ट (High Court) ने आगामी आदेश रोक लगा दी है. बता दें कि वर्ष 2003 में आयोजित छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (Chhattisgarh Public Service Commission) में चयनित सात प्रतियोगियों को राज्य प्रशासनिक सेवा के तहत डिप्टी कलेक्टर बनाया गया था. आयोग की यह परीक्षा विवादों से घिरी रही और अनियमितता के आरोप लगे. यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

सातों अफसरों की पदोन्नति को हीना नेताम ने कैट में दी थी चुनौती

इस बीच वर्ष 2020 में राज्य शासन ने विभागीय पदोन्नति समिति की अनुशंसा के बाद सभी सात अफसरों को आईएएस अवार्ड किया. उनकी पदोन्नति को हीना नेताम ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में चुनौती दी. कैट ने राज्य लोक सेवा आयोग को इन पदों के लिए दोबारा डीपीसी कराने का आदेश दिया. कैट के आदेश को चुनौती देते हुए आईएएस अवार्डेड अफसरों ने अधिवक्ता सौरभ साहू के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी. इसमें कैट के आदेश को अवैधानिक बताते हुए निरस्त करने का आग्रह किया गया है. प्रकरण की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा व जस्टिस रजनी दुबे की युगलपीठ में हुई.

सीनियर एडवोकेट राजीव श्रीवास्तव का तर्क-कैट का आदेश न्यायसंगत नहीं

इस दौरान याचिकाकर्ता अफसरों की तरफ से सीनियर एडवोकेट राजीव श्रीवास्तव ने तर्क देते हुए कहा कि कैट का आदेश न्याय संगत नहीं है. क्योंकि कैट ने याचिकाकर्ताओं को न तो कोई सुनवाई का अवसर दिया है और न ही नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस तरह का एक पक्षीय आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है. कैट द्वारा डीपीसी कराए जाने का आदेश गलत है. इन तर्कों से सहमत होकर हाई कोर्ट ने कैट की ओर से जारी आदेश पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी है.


ये हैं वो अफसर जिन्होंने ने दायर की है याचिका

पीएसपी की ओर से वर्ष 2003 में आयोजित परीक्षा में तुलिका प्रजापति, फरिहा आलम सिद्दीकी, चंदन त्रिपाठी, जयश्री जैन, प्रियंका थवाईत, दीपक अग्रवाल समेत सात प्रतियोगियों का चयन डिप्टी कलेक्टर पद के लिए हुआ था. आयोग की इस परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगे थे. इसके साथ ही आयोग द्वारा पदों के आवंटन को लेकर भी सवाल उठाए गए. वर्ष 2003 में पीएससी का विवाद अभी सुप्रीम कोर्ट में लंंबित है. इस बीच वर्ष 2020 में राज्य शासन ने इन अफसरों को आइएएस अवार्ड कर दिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.