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रायपुर परिवार न्यायालय के आदेश को हाईकोर्ट ने किया खारिज, अविवाहित पुत्री के भरण पोषण का मामला

रायपुर परिवार न्यायालय के आदेश को हाईकोर्ट ने खारिज किया है. अविवाहित पुत्री के भरण पोषण का मामला है. जिस पर हाईकोर्ट का आदेश आया है.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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Published : Dec 9, 2022, 5:05 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायपुर फैमिली कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया,जिसमें पिता के वेतन से अलग रह रही बेटी को महीना 5 हजार रुपए देने का आदेश दिया गया था. रायपुर के रहने वाले वीरेंद्र कुमार तिवारी की 24 वर्षीय बेटी नीतू तिवारी ने अपने पिता के खिलाफ रायपुर के फैमिली कोर्ट में भरण पोषण का केस लगाया था. केस पर फैसला करते हुए फैमिली कोर्ट ने पिता को भरण पोषण देने का आदेश दिया था.

रायपुर में रहने वाली 24 वर्षीय अविवाहित पुत्री नीतू तिवारी ने बिना किसी कारण अपने परिवार से अलग होकर रह रही है. नीतू तिवारी ने अपने पिता विरेंद्र कुमार तिवारी से भरण-पोषण पाने रायपुर फैमिली कोर्ट में केस दायर किया था, इस मामले में रायपुर फैमिली कोर्ट के अध्यक्ष ने पिता को मासिक 5 हजार रुपए भरण पोषण देने का आदेश जारी किया था. इस आदेश के खिलाफ पिता विरेंद्र कुमार तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर किया है.

याचिका में बताया गया है कि बिना किसी कारण उनकी बेटी परिवार से अलग रह रही है. इसके अलावा बेटी के बालिग होने की वजह से उसे रोक भी नहीं पा रहे हैं. भरण पोषण देने के मामले में पिता ने कहा है कि उनके और बच्चे हैं, जो शिक्षा प्राप्त कर रहे है. उनके शिक्षा दीक्षा के लिए उन्हें काफी पैसे खर्च करना पड़ता है. वे पेशे से ड्राइवर है और मासिक 38 हजार रुपए वेतन पाते हैं, जिसमें परिवार का खर्च और बच्चों की शिक्षा दीक्षा में बहुत पैसे खर्च हो जाते है. मामले में हाईकोर्ट ने सारे साक्ष्य और तर्क को ध्यान में रखते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है.

यह भी पढ़ें: ऋचा जोगी का जाति मामला: हाईकोर्ट में लगाई अग्रिम जमानत याचिका, शासन से किया केस डायरी तलब

पिता अपनी पुत्री को साथ रखना चाहते हैं: याचिका में पिता बीरेंद्र तिवारी ने बताया है कि "लॉकडाउन के दौरान बेटी नीतू तिवारी किसी बहकावे में आकर एक युवक के साथ बिना किसी कानूनी संबंध के रह रही है. पिता उसे अपने साथ रखना चाहते हैं लेकिन बेटी साथ रहना नहीं चाहती." मामले में वकील ने आगे कहा कि "ऐसा कोई तर्क नहीं है कि उनकी बेटी किसी शारीरिक या मानसिक असामान्यता से पीड़ित है या चोट लगी है, या खुद को बनाए रखने में असमर्थ है, इसलिए वह भरण पोषण पाने की हकदार नहीं है. इस मामले में कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है."

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायपुर फैमिली कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया,जिसमें पिता के वेतन से अलग रह रही बेटी को महीना 5 हजार रुपए देने का आदेश दिया गया था. रायपुर के रहने वाले वीरेंद्र कुमार तिवारी की 24 वर्षीय बेटी नीतू तिवारी ने अपने पिता के खिलाफ रायपुर के फैमिली कोर्ट में भरण पोषण का केस लगाया था. केस पर फैसला करते हुए फैमिली कोर्ट ने पिता को भरण पोषण देने का आदेश दिया था.

रायपुर में रहने वाली 24 वर्षीय अविवाहित पुत्री नीतू तिवारी ने बिना किसी कारण अपने परिवार से अलग होकर रह रही है. नीतू तिवारी ने अपने पिता विरेंद्र कुमार तिवारी से भरण-पोषण पाने रायपुर फैमिली कोर्ट में केस दायर किया था, इस मामले में रायपुर फैमिली कोर्ट के अध्यक्ष ने पिता को मासिक 5 हजार रुपए भरण पोषण देने का आदेश जारी किया था. इस आदेश के खिलाफ पिता विरेंद्र कुमार तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर किया है.

याचिका में बताया गया है कि बिना किसी कारण उनकी बेटी परिवार से अलग रह रही है. इसके अलावा बेटी के बालिग होने की वजह से उसे रोक भी नहीं पा रहे हैं. भरण पोषण देने के मामले में पिता ने कहा है कि उनके और बच्चे हैं, जो शिक्षा प्राप्त कर रहे है. उनके शिक्षा दीक्षा के लिए उन्हें काफी पैसे खर्च करना पड़ता है. वे पेशे से ड्राइवर है और मासिक 38 हजार रुपए वेतन पाते हैं, जिसमें परिवार का खर्च और बच्चों की शिक्षा दीक्षा में बहुत पैसे खर्च हो जाते है. मामले में हाईकोर्ट ने सारे साक्ष्य और तर्क को ध्यान में रखते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है.

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पिता अपनी पुत्री को साथ रखना चाहते हैं: याचिका में पिता बीरेंद्र तिवारी ने बताया है कि "लॉकडाउन के दौरान बेटी नीतू तिवारी किसी बहकावे में आकर एक युवक के साथ बिना किसी कानूनी संबंध के रह रही है. पिता उसे अपने साथ रखना चाहते हैं लेकिन बेटी साथ रहना नहीं चाहती." मामले में वकील ने आगे कहा कि "ऐसा कोई तर्क नहीं है कि उनकी बेटी किसी शारीरिक या मानसिक असामान्यता से पीड़ित है या चोट लगी है, या खुद को बनाए रखने में असमर्थ है, इसलिए वह भरण पोषण पाने की हकदार नहीं है. इस मामले में कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है."

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