बिलासपुर: सेवानिवृत्त प्राचार्य को ग्रेच्युटी की राशि नहीं दी गई. इस मामले में याचिका दायर होने के बाद विभाग हरकत में आ गया. प्रकरण की सुनवाई के दौरान ही याचिकाकर्ता को उनके देयक की राशि का भुगतान कर दिया गया. इस पर हाई कोर्ट ने प्रकरण को निराकृत कर दिया है.
बिलासपुर के अयोध्या नगर निवासी एसडी दत्ता मनेंद्रगढ़ के विवेकानंद पीजी कालेज में प्राचार्य थे. 29 फरवरी 2016 को उन्हें 62 साल की आयु पूरी होने पर सेवानिवृत्ति दी गई. इस दौरान उन्हें ग्रेच्युटी की राशि मात्र 9 लाख रुपये दी गई. साथ ही पुराने नियम के अनुसार उनकी ग्रेच्युटी की राशि की गणना की गई. जबकि, साल 2017 के प्रविधान के अनुसार उन्हें 20 लाख रुपये ग्रेच्युटी की राशि दी जानी चाहिए थी. लेकिन निर्धारित ग्रेच्युटी की राशि नहीं मिलने पर उन्होंने अपने अधिवक्ता नीरज प्रधान के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
इसमें बताया गया कि राज्य शासन ने 6 नवंबर 2017 को नियम तय किया है. इसके अनुसार एक जनवरी 2016 के बाद सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारियों की गेच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये तय की गई है. लेकिन, याचिकाकर्ता को विभाग पुराने नियम से गणना कर ग्रेच्युटी की राशि का भुगतान किया है जो अवैधानिक है.
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इस प्रकरण में उच्च शिक्षा सचिव, कोष एवं पेंशन विभाग के महालेखाकार सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया. हाई कोर्ट ने पूर्व में सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. इस बीच विभाग ने कोर्ट में जवाब प्रस्तुत कर बताया कि याचिकाकर्ता 20 लाख रुपये ग्रेच्युटी राशि के हकदार हैं. उन्होंने अंतरिम ग्रेच्युटी के रूप में 18 लाख स्र्पये का भुगतान कर दिया गया है. उनकी ग्रेच्युटी की राशि की अंतिम गणना कर शीघ्र ही शेष दो लाख रुपये का भी भुगतान कर दिया जाएगा. जस्टिस गौतम भादुड़ी ने शासन के इस जवाब के साथ याचिकाकर्ता के संतुष्ट होने के बाद इस मामले को निराकृत कर दिया है.