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गणेश हाथी को लेकर हाईकोर्ट ने वन विभाग से मांगा जवाब

गणेश हाथी को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने वन विभाग से दो हफ्ते में जवाब मांगा है.

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Published : Jul 25, 2019, 10:12 PM IST

हाईकोर्ट ने वन विभाग से मांगा जवाब

बिलासपुर : हाईकोर्ट ने गणेश हाथी को लेकर दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए वन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट ने वन विभाग से दो हफ्ते में जवाब मांगा है.

हाईकोर्ट ने वन विभाग से दो हफ्ते में जवाब मांगा है.

दरअसल, याचिकाकर्ता की ओर से मामले में जानकारी दी गई है कि गणेश हाथी जिसे बीती 23 जुलाई को पकड़ लिया गया है. मामले में युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए वन विभाग से दो हफ्ते में जवाब मांगा है.

बंधक बनाना कानून का उल्लंघन

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि गणेश हाथी को वन विभाग ने रिहैबिलिटेशन में रखने का निर्देश दिया है, जबकि नियम के मुताबिक उसे हाथी रहवास क्षेत्र में पहले रखा जाना चाहिए था. बंधक बनाना कानून का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने अपनी याचिका में पूर्व में सोनू नामक हाथी को बंधक बनाए जाने के मामले का भी हवाला दिया है.

बिलासपुर : हाईकोर्ट ने गणेश हाथी को लेकर दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए वन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट ने वन विभाग से दो हफ्ते में जवाब मांगा है.

हाईकोर्ट ने वन विभाग से दो हफ्ते में जवाब मांगा है.

दरअसल, याचिकाकर्ता की ओर से मामले में जानकारी दी गई है कि गणेश हाथी जिसे बीती 23 जुलाई को पकड़ लिया गया है. मामले में युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए वन विभाग से दो हफ्ते में जवाब मांगा है.

बंधक बनाना कानून का उल्लंघन

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि गणेश हाथी को वन विभाग ने रिहैबिलिटेशन में रखने का निर्देश दिया है, जबकि नियम के मुताबिक उसे हाथी रहवास क्षेत्र में पहले रखा जाना चाहिए था. बंधक बनाना कानून का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने अपनी याचिका में पूर्व में सोनू नामक हाथी को बंधक बनाए जाने के मामले का भी हवाला दिया है.

Intro:छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में गणेश हाथी को लेकर आज याचिका दायर की गई थी । जिसे हाईकोर्ट द्वारा संज्ञान में लिया गया है।।याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि गणेश नामक हाथी को 23 जुलाई को पकड़ा गया था जो कि कल 24 जुलाई की देर रात तोड़ कर चला गया है वही उसके पांव में चैन बंधी होने के कारण वह तकलीफ में है।
इस पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी पी साहू की युगल पीठ ने आदेशित किया है कि वन विभाग 2 सप्ताह के अंदर जवाब प्रस्तुत करें।।


Body:रायपुर निवासी याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में कहां है कि छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक(वन्य प्राणी) गणेश हाथी को पकड़कर छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के रमकोला स्थित एलीफेंट रेस्क्यू एवं रिहेबिलिटेशन सेंटर में रखने का आदेश दिया है।। जबकि हाथी रहवास क्षेत्र में उनके पुनर्वास का पहले प्रयत्न किया जाना लेकिन विभाग द्वारा यह प्रयास नहीं किया गया और गणेश हाथी को सीधे बंधक बना दिया गया। जो वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 का उलंघन है।





Conclusion:वहीं याचिकाकर्ता की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया है कि सूरजपुर जिले के तमोर स्थित एलीफेंट रेस्क्यू रिहैबिलिटेशन सेंटर अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है। इसे केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से संचालन की अनुमति प्राप्त नहीं है।
जबकि वन्य जीव सरंक्षण अधिनियम के अनुसार किसी भी रसके सेंटर के संचालन से पूर्व सेंट्रल जू अथॉरिटी की अनुमति आवश्यक है।


याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी छत्तीसगढ़ वन विभाग द्वारा पूर्व में सोनू नामक हाथी को बंधक बनाकर रखा गया जिसे हाईकोर्ट द्वारा वन में पुनर्वास करने के आदेश दिए गए थे लेकिन इसके बावजूद पिछले 4 सालों से उसके पुनर्वास करने के लिए वन विभाग ने कोई प्रयत्न नहीं किया।।



बाईट

नितिन सिंघवी

याचिकाकर्ता
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