बिलासपुर: प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में प्रदर्शक और सहायक प्राध्यापकों के 91 पदों में सीधी भर्ती का विज्ञापन निकला था. जिसके बाद पुरूष अभ्यर्थियों द्वारा अधिकारों के हनन के खिलाफ याचिका लगाई गई. याचिका पर हाईकोर्ट चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच ने भर्ती प्रक्रिया पर आगामी सुनवाई तक रोक लगा दिया है.
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क्या है पूरा मामला ?
जून 2013 में छत्तीसगढ़ राजपत्र में छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम 2013 की अनुसूची प्रकाशित हुई थी. इस अनुसूची में महाविद्यालय के लिए सहायक प्राध्यापक एवं प्रदर्शक में सीधी भर्ती के लिए विज्ञापित शैक्षणिक पदों के लिए केवल महिला अभ्यर्थियों को ही पात्रता की शर्ते प्रकाशित की गई थीं.
इस भर्ती के लिए दिसंबर 2021 को विज्ञापन जारी किया गया था. जिसमें कोरिया, रायपुर, जशपुर और अन्य जगहों के पुरूष अभ्यर्थियों ने पीएससी द्वारा जारी विज्ञापन और उसकी भर्ती नियम को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट अधिवक्ता घनश्याम कश्यप के माध्यम से याचिका लगाई. जिसमें कहा गया कि सीधी भर्ती के लिए सहायक प्राध्यापक ( नर्सिंग) के जो 33 पद एवं प्रदर्शक (नर्सिंग) अभ्यर्थियों के 58 पद विज्ञापित किये गए थे, जिसमें सेवा में भर्ती के लिए केवल महिला अभ्यर्थियों को ही पात्रता का नियम अंकित किया गया था. इस नियम को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.
याचिकाकर्ता ने याचिका में बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद में पुरूष अभ्यर्थियों के अधिकारों का यह हनन है. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद भर्ती की प्रक्रिया पर आगामी सुनवाई तक रोक लगा दी है. साथ ही मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को निर्धारित की गई है.