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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में स्मार्ट सिटी मामले वाली याचिका में सुनवाई

स्मार्ट सिटी मामले में मंगलवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में मामले की याचिका में सुनवाई (Smart City case in chhattisgarh highcourt) हुई है.

chhattisgarh highcourt
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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Published : Mar 9, 2022, 11:52 AM IST

बिलासपुर: स्मार्ट सिटी मामले में मंगलवार को हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान रायपुर, बिलासपुर नगर निगम ने इस बात पर जोर दिया कि कार्यों की स्वीकृति उनके ही माध्यम से यानी कि एमआईसी से प्रस्ताव पास हो और सामान्यसभा से प्रस्ताव के पास होने के बाद ही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कार्य किया (Smart City case in Bilaspur High Court) जाए. इस मामले की बहस अधूरी रह गई. हाईकोर्ट ने 10 मार्च को अगली सुनवाई निर्धारित कर दी है.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई

स्मार्ट सिटी मामले में मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कंपनी की तरफ से पैरवी की. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई में उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी को निगम से कार्य स्वीकृत कराने की आवश्यकता नहीं है. इसलिए उसे प्रोजेक्ट के काम शुरू करने की अनुमति दे. इधर याचिकाकर्ता के वकील सुधीर श्रीवास्तव ने विरोध करते हुए इसे संवैधानिक संस्थाओं के अधिकार पर अतिक्रमण बताया.

यह भी पढ़ें: आय से अधिक संपत्ति का मामला: पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी को हाईकोर्ट से मिली राहत

मेयर इन काउंसिल को भी पक्षकार बनाया गया

रायपुर बिलासपुर नगर निगम की मेयर इन काउंसिल और सामान्य सभा ने अपने जवाब में कहा कि कार्यों की स्वीकृति उनके माध्यम से होनी चाहिए. पिछली सुनवाई के दौरान बिलासपुर और रायपुर नगर निगम की सामान्य सभा और मेयर इन काउंसिल को भी पक्षकार बनाया गया था. उन्होंने हाईकोर्ट में कहा कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा कराए जा रहे विकास कार्यों का अनुमोदन सामान्य सभा व एमआईसी से कराना चाहिए. साथ ही स्मार्ट सिटी के निदेशक मंडल में निगम के निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल करने चाहिए. स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिवक्ता ने स्थगन आदेश सामान्य करने की मांग की.

गुंजन तिवारी के माध्यम से दायर जनहित याचिका प्रस्तुत की गई

बताया जा रहा है कि बिलासपुर के अधिवक्ता विनय दुबे की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और गुंजन तिवारी के माध्यम से दायर जनहित याचिका प्रस्तुत की गई है. इसमें बिलासपुर और रायपुर नगर निगम में कार्यरत स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनियों की इस आधार पर चुनौती दी गई कि इन्होंने निर्वाचित नगर निगमों के सभी अधिकारों और क्रियाकलापों का असंवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया है, जबकि यह सभी कंपनियां विकास के वही कार्य कर रही हैं जो संविधान के तहत संचालित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगमों के अधीन है. बीते 5 वर्षों में कराए गए कार्य की प्रशासनिक या वित्तीय अनुमति नगर निगम मेयर इन काउंसिल या सामान्य सभा से नहीं ली गई है.

बिलासपुर: स्मार्ट सिटी मामले में मंगलवार को हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान रायपुर, बिलासपुर नगर निगम ने इस बात पर जोर दिया कि कार्यों की स्वीकृति उनके ही माध्यम से यानी कि एमआईसी से प्रस्ताव पास हो और सामान्यसभा से प्रस्ताव के पास होने के बाद ही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कार्य किया (Smart City case in Bilaspur High Court) जाए. इस मामले की बहस अधूरी रह गई. हाईकोर्ट ने 10 मार्च को अगली सुनवाई निर्धारित कर दी है.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई

स्मार्ट सिटी मामले में मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कंपनी की तरफ से पैरवी की. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई में उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी को निगम से कार्य स्वीकृत कराने की आवश्यकता नहीं है. इसलिए उसे प्रोजेक्ट के काम शुरू करने की अनुमति दे. इधर याचिकाकर्ता के वकील सुधीर श्रीवास्तव ने विरोध करते हुए इसे संवैधानिक संस्थाओं के अधिकार पर अतिक्रमण बताया.

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मेयर इन काउंसिल को भी पक्षकार बनाया गया

रायपुर बिलासपुर नगर निगम की मेयर इन काउंसिल और सामान्य सभा ने अपने जवाब में कहा कि कार्यों की स्वीकृति उनके माध्यम से होनी चाहिए. पिछली सुनवाई के दौरान बिलासपुर और रायपुर नगर निगम की सामान्य सभा और मेयर इन काउंसिल को भी पक्षकार बनाया गया था. उन्होंने हाईकोर्ट में कहा कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा कराए जा रहे विकास कार्यों का अनुमोदन सामान्य सभा व एमआईसी से कराना चाहिए. साथ ही स्मार्ट सिटी के निदेशक मंडल में निगम के निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल करने चाहिए. स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिवक्ता ने स्थगन आदेश सामान्य करने की मांग की.

गुंजन तिवारी के माध्यम से दायर जनहित याचिका प्रस्तुत की गई

बताया जा रहा है कि बिलासपुर के अधिवक्ता विनय दुबे की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और गुंजन तिवारी के माध्यम से दायर जनहित याचिका प्रस्तुत की गई है. इसमें बिलासपुर और रायपुर नगर निगम में कार्यरत स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनियों की इस आधार पर चुनौती दी गई कि इन्होंने निर्वाचित नगर निगमों के सभी अधिकारों और क्रियाकलापों का असंवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया है, जबकि यह सभी कंपनियां विकास के वही कार्य कर रही हैं जो संविधान के तहत संचालित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगमों के अधीन है. बीते 5 वर्षों में कराए गए कार्य की प्रशासनिक या वित्तीय अनुमति नगर निगम मेयर इन काउंसिल या सामान्य सभा से नहीं ली गई है.

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