बिलासपुर: हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम के एक मामले में सुनवाई की. हाईकोर्ट ने कहा कि साक्ष्य होने पर अपराधी माना जाएगा. अप्रमाणिक घटना के आधार पर हाईकोर्ट ने आरोपी को अग्रिम जमानत देने का आदेश दिया है.
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दुर्ग के उतई थाने में एक महिला ने ने 26 फरवरी 2020 को FIR दर्ज कराई थी. अपनी FIR में उन्होंने आरोप लगाया था कि जब वह उस शाम घर में थी. तब आरोपी रजनीश मिश्रा और उसके दो अन्य साथियों ने बेटे के बारे में पूछताछ की. जब महिला ने कहा कि उसका बेटा घर में नहीं है, तब आरोपियों ने उन्हें जातिसूचक गाली दी. महिला से हाथापाई शुरू की.
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आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज
मामले को लेकर महिला ने थाने में आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई. आरोपी रजनीश मिश्रा ने सिविल कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की. याचिका खारिज कर दी गई. अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अपील पेश की. याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपराध सार्वजनिक तौर पर नहीं हुआ है. साक्ष्य नहीं हैं. अग्रिम जमानत देने पर विचार किया जा सकता है.
अग्रिम जमानत देने का आदेश
दो गवाहों दीपा वर्मा और उमेश्वरी जो घटना के समय उपस्थित थीं. दोनों ने बताया कि घटना सार्वजनिक तौर पर नहीं हुई है. आरोपियों की ओर से यह तर्क रखने के बाद अग्रिम जमानत देने का आदेश दिया गया है.