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वनवासियों को जंगलों से हटाने को लेकर हाईकोर्ट ने छग शासन से 6 सप्ताह में मांगा जवाब

वनवासियों को उनके प्राकृतिक रहवास जंगलों से हटाने को लेकर लगी महत्वपूर्ण जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट चीफ जस्टिस ने 17 कलेक्टर, मुख्य सचिव छग शासन, सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग, केंद्रीय सचिव वन एवं पर्यावरण विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

Chhattisgarh High Court
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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Published : Jan 18, 2022, 9:02 PM IST

बिलासपुर: वनवासियों को उनके प्राकृतिक रहवास जंगलों से हटाने को लेकर लगी महत्वपूर्ण जनहित याचिका पर आज सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन व अन्य को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब तलब किया है.

यह भी पढ़ें: आय से अधिक संपत्ति का मामला: पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी को हाईकोर्ट से मिली राहत

वनवासियों को जंगलों से हटाने को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई

याचिकाकर्ता अखिल भारतीय जंगल आंदोलन मंच के संयोजक श्रीदेव जीत नंदी की ओर से इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका दायर की गई है. कोर्ट में पैरवी के दौरान तर्क दिया गया कि वनों के संरक्षण, संवर्धन एवं पर्यावरणीय जलवायु परिवर्तन को बचाये रखने में इन वंचित समुदायों का एक ऐतिहासिक योगदान रहा है. ये समुदाय आदिम काल से वनों पर निर्भर है. इनका योगदान जंगल, वन्यप्राणियों और विशेष संरक्षित खाद्य पदार्थों को बचाने में है.

छग शासन और कई विभाग को मिला नोटिस

जीवों के साथ रहवास में होने से ये जंगल के इको सिस्टम की जानकारी रखते हैं. इसके बाद भी इन विशेष संरक्षित समुदाय जिन्हें राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र भी कहा जाता है. इन्हें वन्य प्राणियों के संरक्षण के नाम पर राज्य के विभिन्न अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यानों से विस्थापित किया जाना वन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है. आज इस जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद कलेक्टर, मुख्य सचिव छग शासन, सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग, केंद्रीय सचिव वन एवं पर्यावरण विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है.

बिलासपुर: वनवासियों को उनके प्राकृतिक रहवास जंगलों से हटाने को लेकर लगी महत्वपूर्ण जनहित याचिका पर आज सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन व अन्य को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब तलब किया है.

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वनवासियों को जंगलों से हटाने को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई

याचिकाकर्ता अखिल भारतीय जंगल आंदोलन मंच के संयोजक श्रीदेव जीत नंदी की ओर से इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका दायर की गई है. कोर्ट में पैरवी के दौरान तर्क दिया गया कि वनों के संरक्षण, संवर्धन एवं पर्यावरणीय जलवायु परिवर्तन को बचाये रखने में इन वंचित समुदायों का एक ऐतिहासिक योगदान रहा है. ये समुदाय आदिम काल से वनों पर निर्भर है. इनका योगदान जंगल, वन्यप्राणियों और विशेष संरक्षित खाद्य पदार्थों को बचाने में है.

छग शासन और कई विभाग को मिला नोटिस

जीवों के साथ रहवास में होने से ये जंगल के इको सिस्टम की जानकारी रखते हैं. इसके बाद भी इन विशेष संरक्षित समुदाय जिन्हें राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र भी कहा जाता है. इन्हें वन्य प्राणियों के संरक्षण के नाम पर राज्य के विभिन्न अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यानों से विस्थापित किया जाना वन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है. आज इस जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद कलेक्टर, मुख्य सचिव छग शासन, सचिव आदिम जाति कल्याण विभाग, केंद्रीय सचिव वन एवं पर्यावरण विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है.

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