बिलासपुर: जीवनदायिनी अरपा नदी (Arpa River) और उसके आसपास के रिहाइशी इलाकों में हो रहे रेत के अवैध खनन (illegal mining) के खिलाफ हाईकोर्ट (chhattisgarh high court) में जनहित याचिका लगाई गई है. अरपा अर्पण महाअभियान समिति की लगाई गई याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई. हाईकोर्ट एक्टिंग चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच ने अवैध खनन रोकने और जलकुंभियों के कारण फैल रही बीमारियों को लेकर अहम निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट ने मामले में पूर्व में दिए गए आदेश के परिपालन की शासन, बिलासपुर कलेक्टर, माइनिंग डिपार्टमेंट और नगर निगम से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है.
बता दें कि बिलासपुर शहर के बीचो-बीच स्थित अरपा नदी में रेत माफिया द्वारा रेत का अवैध उत्खनन कर अरपा नदी का सीना छल्ली किया जा रहा है. इससे अरपा नदी अपना अस्तित्व तो खोते ही जा रही है. वहीं अरपा के किनारे रिहाइशी इलाकों में रहने वालों को भी भारी दिक्कत हो रही है. इसे लेकर अरपा अर्पण महाअभियान समिति ने कई शिकायत दर्ज कराई. कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. इसपर हाईकोर्ट ने अवैध खनन रोकने का आदेश दिया था.
अगली सुनवाई जुलाई के पहले सप्ताह में होगी
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि हाईकोर्ट द्वारा तत्काल अवैध रेत उत्खनन बंद करने और जलकुंभियों को हटाने का आदेश दिया गया था. जिसका पालन नहीं हो रहा है. इस पर हाईकोर्ट ने आदेश के परिपालन का स्टेटस रिपोर्ट मांगा है. मामले की अगली सुनवाई जुलाई के पहले सप्ताह में होगी.
बिलासपुर: नहीं थम रहा रेत खनन का खेल, नदियों का हो रहा बेधड़क दोहन
प्रशासन के नाक के नीचे होती रहती गतिविधियां
बिलासपुर के अरपा नदी में अवैध रेत उत्खनन का मामला नया नहीं है. लेकिन ये तमाम गतिविधियां प्रशासन के नाक के नीचे होती रहती है और प्रशासन को भनक तक नहीं लगी. लिहाजा इन मामलों में प्रशासनिक मिलीभगत की शिकायतें भी आती रहती हैं.
काला कारोबार बेधड़क चल रहा
खनिज अधिकारी इन मामलों में सिर्फ कार्रवाई का आश्वासन देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं लेकिन कार्रवाई होती नहीं दिखती. रेत उत्खनन के मामले नदियों के संरक्षण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह काला कारोबार बेधड़क चलता रहता है, जिसका खामियाजा नदियों के दोहन के रूप में उठाना पड़ता है.