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मुक्तांजली शव वाहन के टेंडर में गड़बड़ी का आरोप, हाईकोर्ट से शासन ने जवाब के लिया समय - मुक्तांजली शव वाहन के टेंडर में मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में मुक्तांजली शव वाहनों के टेंडर में गड़बड़ी को लेकर सुनवाई हुई. याचिका में बताया गया कि जिन शव वाहनों को करार के तहत लिया गया है. वो शव ले जाने के लायक नहीं है. इस मामले में कोर्ट से सरकार ने जवाब देने के लिए समय मांगा है.

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बिलासपुर हाईकोर्ट
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Published : Dec 8, 2020, 9:54 PM IST

बिलासपुर: मुक्तांजली शव वाहनों के टेंडर के एग्रीमेंट में गड़बड़ी को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट से शासन ने जवाब प्रस्तुत करने कोर्ट से समय लिया है. याचिका में शव वाहन के मापदंडों का हवाला दिया गया.

भोपाल के एनजीओ को दिया गया है टेंडर

बता दें कि रायपुर निवासी रजनीश शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर बताया कि प्रदेश में मुक्तांजली शव वाहन के लिए भोपाल के एक एनजीओ से स्वास्थ्य विभाग का टेंडर हुआ था. जिसमें 60 वाहनों के लिए करार हुआ था. शासन ने 20 अपने वाहन देने की बात कही थी. इस हिसाब से कुल 80 शव वाहन चलाये जाना तय हुआ था. एग्रिमेंट के अनुसार शव वाहनों के लिए टाटा वेंचर या उसके बराबर की गाड़ियों का इस्तेमाल करना था.

पढ़ें- जांजगीर चांपा में सिस्टम की शर्मनाक तस्वीर, शव वाहन नहीं मिलने पर बाइक से शव ले गए परिजन

व्हीकल शव ले जाने के लायक नहीं

मामले में आरोप यह है कि मुक्तांजली शव वाहनों के लिए टाटा एस जो कमर्शियल व्हीकल है उसका इस्तेमाल किया जा रहा है. इस कमर्शियल व्हीकल में सिर्फ दो लोग ही सामने बैठ सकते हैं और पीछे शव.

दूर दराज से आने-जाने वाले मृतक के परिजनों को बहुत परेशानी होती है. इसमें कहा गया कि एनजीओ को लाभ पहुंचाने के लिए ही यह टेंडर किया गया है. सुनवाई के दौरान लिखित जवाब के लिए सरकार ने समय लिया है.

बिलासपुर: मुक्तांजली शव वाहनों के टेंडर के एग्रीमेंट में गड़बड़ी को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट से शासन ने जवाब प्रस्तुत करने कोर्ट से समय लिया है. याचिका में शव वाहन के मापदंडों का हवाला दिया गया.

भोपाल के एनजीओ को दिया गया है टेंडर

बता दें कि रायपुर निवासी रजनीश शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर बताया कि प्रदेश में मुक्तांजली शव वाहन के लिए भोपाल के एक एनजीओ से स्वास्थ्य विभाग का टेंडर हुआ था. जिसमें 60 वाहनों के लिए करार हुआ था. शासन ने 20 अपने वाहन देने की बात कही थी. इस हिसाब से कुल 80 शव वाहन चलाये जाना तय हुआ था. एग्रिमेंट के अनुसार शव वाहनों के लिए टाटा वेंचर या उसके बराबर की गाड़ियों का इस्तेमाल करना था.

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व्हीकल शव ले जाने के लायक नहीं

मामले में आरोप यह है कि मुक्तांजली शव वाहनों के लिए टाटा एस जो कमर्शियल व्हीकल है उसका इस्तेमाल किया जा रहा है. इस कमर्शियल व्हीकल में सिर्फ दो लोग ही सामने बैठ सकते हैं और पीछे शव.

दूर दराज से आने-जाने वाले मृतक के परिजनों को बहुत परेशानी होती है. इसमें कहा गया कि एनजीओ को लाभ पहुंचाने के लिए ही यह टेंडर किया गया है. सुनवाई के दौरान लिखित जवाब के लिए सरकार ने समय लिया है.

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