ETV Bharat / state

संतान की दीर्घायु और खुशहाली के लिए माताओं ने किया हलषष्ठी का व्रत

रविवार को हलषष्ठी का त्योहार मनाया गया. माताओं ने व्रत रखकर हलषष्ठी माता की पूजा की. इस दौरान माताओं ने बच्चों को पोती मारकर आशीर्वाद भी दिया.

halshathi celebrated in bilaspur
माताओं ने की हलषष्ठि की पूजा
author img

By

Published : Aug 10, 2020, 5:45 AM IST

बिलासपुर: संतान प्राप्ति, संतान की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए किए जाने वाले हलषष्ठी का पूजन पूरे शहर में किया गया. माताओं ने अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना के साथ व्रत रखा.

पोती मारकर माताएं देती हैं आशीर्वाद

मान्यता है कि हलषष्ठी पूजन के लिए एक छोटा सा तालाब बनाया जाता है. महिलाएं उस जगह पर बैठकर विधि विधान से कथा सुनती हैं. कथा सुनने के बाद पूजा आरती करके माताएं अपने बच्चों की पीठ पर 6-6 बार पोती मारकर उन्हें आशीर्वाद देती हैं. हलषष्ठी पूजा का अपना एक बड़ा ही महत्व है. इस दिन महिलाएं, मिट्टी से बनी हुई चुकिया में लाई, महुआ और भी सामाग्री भरकर पूजा स्थल पर रखतीं हैं.

halshathi celebrated in bilaspur
पूजा करती महिलाएं

इसके साथ ही दिनभर उपवास के बाद फलाहार में बिना हल चलें वाले चावल (पचहर चावल) का सेवन करती हैं. हैं. मान्यता है कि हलषष्ठी छठी का उपासना दिवस है. इसका व्रत उपासना करने से संतान की मनोकामना पूरी होती है. मान्यता के मुताबिक माता देवकी के 6 पुत्रों को जब कंस ने मार दिया तब पुत्र रक्षा की कामना के लिए माता देवकी ने भादों कृष्णपक्ष की षष्ठी तिथि को षष्ठी माता की आराधना करते हुए व्रत रखा था.

कमरछठ पर दिखा कोरोना का असर, घरों में ही मनाया गया त्योहार

हलषष्ठी देवी हुईं थीं प्रसन्न

माता देवकी ने बलदाउ के लिए ये व्रत किया था. इस व्रत से हलषष्ठी देवी प्रसन्न हुई थी. यही वजह है कि बलदाऊ को हलधर भी कहा जाता है. इसी मान्यता को लेकर महिलाएं अपने पुत्र की दीर्घायु और खुशहाली के लिए व्रत रखतीं हैं. साथ ही तलाब के प्रतीक स्वरूप खोदा गया सगरी के पूजा करने से वरुण देव की उपासना भी हो जाती है. यही वजह है कि महिलाएं आज भी हल षष्ठी पूजा कर अपने संतान की लंबी आयु की कामना करती है.

बिलासपुर: संतान प्राप्ति, संतान की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए किए जाने वाले हलषष्ठी का पूजन पूरे शहर में किया गया. माताओं ने अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना के साथ व्रत रखा.

पोती मारकर माताएं देती हैं आशीर्वाद

मान्यता है कि हलषष्ठी पूजन के लिए एक छोटा सा तालाब बनाया जाता है. महिलाएं उस जगह पर बैठकर विधि विधान से कथा सुनती हैं. कथा सुनने के बाद पूजा आरती करके माताएं अपने बच्चों की पीठ पर 6-6 बार पोती मारकर उन्हें आशीर्वाद देती हैं. हलषष्ठी पूजा का अपना एक बड़ा ही महत्व है. इस दिन महिलाएं, मिट्टी से बनी हुई चुकिया में लाई, महुआ और भी सामाग्री भरकर पूजा स्थल पर रखतीं हैं.

halshathi celebrated in bilaspur
पूजा करती महिलाएं

इसके साथ ही दिनभर उपवास के बाद फलाहार में बिना हल चलें वाले चावल (पचहर चावल) का सेवन करती हैं. हैं. मान्यता है कि हलषष्ठी छठी का उपासना दिवस है. इसका व्रत उपासना करने से संतान की मनोकामना पूरी होती है. मान्यता के मुताबिक माता देवकी के 6 पुत्रों को जब कंस ने मार दिया तब पुत्र रक्षा की कामना के लिए माता देवकी ने भादों कृष्णपक्ष की षष्ठी तिथि को षष्ठी माता की आराधना करते हुए व्रत रखा था.

कमरछठ पर दिखा कोरोना का असर, घरों में ही मनाया गया त्योहार

हलषष्ठी देवी हुईं थीं प्रसन्न

माता देवकी ने बलदाउ के लिए ये व्रत किया था. इस व्रत से हलषष्ठी देवी प्रसन्न हुई थी. यही वजह है कि बलदाऊ को हलधर भी कहा जाता है. इसी मान्यता को लेकर महिलाएं अपने पुत्र की दीर्घायु और खुशहाली के लिए व्रत रखतीं हैं. साथ ही तलाब के प्रतीक स्वरूप खोदा गया सगरी के पूजा करने से वरुण देव की उपासना भी हो जाती है. यही वजह है कि महिलाएं आज भी हल षष्ठी पूजा कर अपने संतान की लंबी आयु की कामना करती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.