बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में एक सिंगर की मौत महज 25 साल की उम्र में हो गई. आज उस पिता की आंखें नम है. क्योंकि वह आर्थिक रुप से संपन्न नहीं था. जिस वजह से उसकी बेटी की इलाज में देरी हुई और उसकी मौत हो गई. हेमू नगर में रहने वाले 60 वर्षीय प्रमोद खुरसैल की 25 वर्षीय होनहार और संगीत विशारद हासिल किए मोनिका की मौत ब्रेन हेमरेज होने की वजह से हो गई. मोनिका छत्तीसगढ़ी गानों में अपनी आवाज से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती थी. मोनिका ने कई छत्तीसगढ़ी एलबम में अपनी आवाज दी है. कई स्टेज शो और कई कार्यक्रमों में अपनी आवाज से छत्तीसगढ़ी गानों की माला पिरोया करती थी. लेकिन उसकी असमय मौत हो गई.
कैसे हुई मोनिका की मौत : मोनिका के पिता प्रमोद खुरसैल ने बताया कि '' मोनिका काफी होनहार थी. वह संगीत की क्लास लेती थी. छोटे-छोटे बच्चों को एक निजी संस्थान में वह संगीत सिखाया करती थी. 16 नवम्बर 2022 की सुबह 7 बजे वह स्कूल जाने की तैयारी कर रही थी. वह सुबह ब्रश कर रही थी.तभी जीभ साफ करते हुए उसके सिर में बहुत तेज दर्द हुआ और वह बाथरुम के पास गिर गई. गिरने की आवाज सुनकर परिवार वाले जब पहुचे तो मोनिका सिर दर्द से कराह रही थी. तभी परिवार वालों ने उसे तत्काल शहर के एक बड़े हॉस्पिटल ले गए. इस हॉस्पिटल में उसकी जांच हुई और जांच के बाद उसे रायपुर के एक निजी अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई. परिजनों को डॉक्टरों ने बताया कि मोनिका को ब्रेन हेमरेज हुआ है .उसका इलाज रायपुर के एक निजी अस्पताल में ही हो सकता है, क्योंकि उसके ब्रेन में जो तकलीफ है उसका इलाज छत्तीसगढ़ में एक ही डॉक्टर कर सकते हैं . वह रायपुर के निजी अस्पताल में मिलेंगे. तब मोनिका के परिजनों ने उसे सीधे उस निजी अस्पताल में ले जाकर भर्ती किया. जांच के बाद डॉक्टर ने उन्हें बताया कि मोनिका को ब्रेन हेमरेज हुआ है और उसका ऑपरेशन क्वाईलिंग के माध्यम से किया जाएगा.
आर्थिक तंगी से जूझ रहा था परिवार : मोनिका एक संघर्षरत गायिका (Chhattisgarhi Singer Monika Khursail ) थी. अभी अभी उसे काम मिलना शुरू हुआ था. वह कुछ ही गानों में पैसे कमा रही थी. पिता पेशे से वकील तो है, लेकिन वकालत भी ज्यादा चलती नही. मोनिका को जब रायपुर के निजी अस्पताल 16 नवम्बर को लेकर पहुंचा गया तो डॉक्टर ने कहा कि उसके दिमाग की नस फट गई है.इसके अलावा नस फटने के बाद खून बलून में बदल गया है जिसे क्वाइलिंग के माध्यम से ऑपरेशन कर ठीक करना होगा. इसमें लगभग 5 लाख रुपए खर्च होगा. मोनिका का परिवार काफी गरीब था. मोनिका के चाचा और बुआ की मदद से और कुछ मोनिका की कमाई से उसका घर चलता था. निजी अस्पताल के बाद मोनिका को सरकारी अस्पताल मेकाहारा में भर्ती कराया गया. लेकिन वहां कोमा में रहने के बाद मोनिका इस दुनिया को अलविदा कह गई.
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वेंटिलेटर पर पहुंची मोनिका : मोनिका के चाचा के बेटे अविनाश खुरसैल ने बताया कि "जब वह 16 नवम्बर को मोनिका को बिलासपुर से रायपुर ले गए तब मोनिका के सिर में तेज दर्द तो था. लेकिन वह बातचीत कर रही थी.. मोनिका बातचीत करते हुए बिलासपुर से रायपुर तक गई, फिर वह रायपुर के एक निजी अस्पताल में पूरी रात आराम से सोई और बातचीत कर रही थी. फिर अंबेडकर अस्पताल पहुंचने के बाद उसकी स्थिति बिगड़ने लगी और उसे ऑक्सीजन लगाया गया. ऑपरेशन नहीं होने की वजह से मोनिका की धीरे-धीरे स्थिति खराब होने लगी. वह बातचीत करने से लेकर ऑक्सीजन और उसके बाद वेंटिलेटर तक पहुंच गई. उसके बाद मोनिका की मौत हो गई"
अस्पताल में क्या समस्या हुई : मोनिका के चाचा के बेटे अविनाश ने बताया कि "उसके अकाउंट में लगभग 5 लाख रुपए थे .वह हड़बड़ी में बैंक से पैसे नहीं निकाल पाए थे, क्योंकि कुछ पैसे जो उनके पास थे उनमें से लगभग 1 लाख रुपए बिलासपुर के हॉस्पिटल और रायपुर के निजी हॉस्पिटल में खर्च हो गए थे. बाकी पैसे उनके बैंक अकाउंट में थे. अंबेडकर हॉस्पिटल में पैसे जमा करने की बात कहीं तो उन्हें तत्काल पैसे जमा करने की सलाह दी गई. तब अविनाश ने नेट बैंकिंग, ऑनलाइन ट्रांसफर या वॉलेट के माध्यम से पैसे जमा करने की बात कही तो उसे इंकार कर दिया गया. क्योंकि इस सिस्टम से सरकारी अस्पतालों में पैसे जमा नहीं होते. इस तरह पैसे जमा करने में देरी हुई और मोनिका की हालत बिगड़ती गई. "