गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: नवगठित जिले के पुलिस अधीक्षक सूरज सिंह परिहार ने एक बुक बैंक कार्यालय में शुरू किया है. इसमें स्कूल-कॉलेजों की किताबों के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की भी पुस्तकें पढ़ने के लिए उपलब्ध है. एसपी ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपील की थी. इसके बाद से प्रदेश भर से लगातार किताबें भेजी जा रही है.
पुलिस का अनुशासनात्मक और सख्त चेहरा तो सभी के दिलों दिमाग में हमेशा छाया रहता है पर कभी-कभी ऐसा रूप भी सामने आता है जो इन सब से परे होता है. गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला के पुलिस अधीक्षक सूरज सिंह परिहार ने ऐसा ही एक अनूठा प्रयास किया है. जो प्रदेश में शायद एकलौता ही होगा. पुलिस अधीक्षक ने जरूरतमंदों और गरीब छात्र-छात्राओं को सभी तरह के प्रतियोगी परीक्षा जैसे UPSC, CGPSC, बैंक, रेलवे, एसएससी के लिए स्टडी मैटेरियल उपलब्ध कराने के लिए सोशल मीडिया में एक अपील की. अपील के बाद देश और प्रदेश से अलग-अलग तरह की किताबें लोगों ने भेजनी शुरू कर दी. लोगों ने पुरानी किताबें नहीं थी बल्कि फ्रेश और नई किताबें भेजी थी.
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देश-विदेश से मिल रही पुस्तकें
सभी किताबे ऑनलाइन शॉपिंग साइट और कोरियर के जरिए जिले में पहुंचने लगी. किताब भेजने वालों में भारत वर्ष के साथ-साथ विदेशी भी शामिल थे. बुक बैंक शुरू करने के लिए जिन्होंने सबसे पहले किताबें भेजी वह भारतवर्ष के न होकर ओमान मस्कट के रहने वाले हैं. उन्होंने 60 किताबे भेजकर बुक बैंक की शुरुआत की. किताबे भेजने वालो में कैलिफोर्निया में रह रहे भारतीय भी शामिल है. एसपी के शुरू किए गए इस पहल को पुलिस विभाग ने भी भरपूर समर्थन किया और बिलासपुर रेंज के पूर्व इंस्पेक्टर जनरल दीपांशु काबरा ने भी किताबों की बड़ी खेप भेज कर बुक बैंक में योगदान दिया है. पेंड्रा से भी किताबे आने का सिलसिला शुरू हो गया जो अब तक जारी है.
लाइब्रेरी की हुई शुरुआत
एसपी ऑफिस के बाहर खाली पड़े दो कमरों में बुक बैंक और बुक रीडिंग की व्यवस्था की गई है. पुलिस अधीक्षक के इस बुक बैंक में प्राइमरी स्कूल की किताबों से लेकर यूपीएससी तक की किताबें मौजूद हैं. पुलिस अधीक्षक सूरज सिंह परिहार का कहना है कि यह किताबे प्राथमिकता से स्थानीय आदिवासी बच्चों के साथ-साथ गरीबों को दी जाएगी जो यहां से इन्हें इशु कराने के बाद अपने घर भी लेकर जा सकते हैं, लेकिन किसी भी लाइब्रेरी की तरह उन्हें समय पर पुस्तके लौटानी भी होंगी.