बिलासपुर: बिलासपुर की हर गली में गणपति का पंडाल सज चुका है. मूर्तिकार भी मूर्ति को अंतिम रुप दे रहे हैं. ज्यादातर पंडालों में मूर्तियां पूजा समिति की फरमाइश पर तैयार की जाती है. इस बार मूर्तिकारों ने परंपरागत गणेश प्रतिमाओं के साथ कुछ अनोखी और इको फ्रेंडली प्रतिमा तैयार की है. पिछले कुछ सालों से यहां पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए प्रतिमाओं को तैयार किया जाता है.
मिट्टी से तैयार की जा रही मूर्तियां: बिलासपुर के मूर्तिकार इस बार गणेश प्रतिमा मिट्टी से तैयार कर रहे हैं. इस बार मूर्तिकार प्लास्टर ऑफ पेरिस से प्रतिमा बनाने में बिलकुल रुचि नहीं ले रहे हैं. मिट्टी से बनी प्रतिमाएं पानी में आसानी से घुल जाती हैं और प्लास्टर ऑफ पेरिस की तरह नदी और पानी को दूषित नहीं करते हैं. एक तरह से मिट्टी की प्रतिमा पूरी तरह से इको फ्रेंडली होती है.
बिलासपुर में दो खास गणेश प्रतिमा: बिलासपुर के मूर्तिकार ने दो ऐसी गणेश प्रतिमा तैयार की है. एक मूर्ति में पेंसिल, शार्पनर, चॉक का इस्तेमाल किया गया है. वहीं, दूसरी प्रतिमा में धूप, अगरबत्ती, कपूर, मौली धागा का उपयोग किया गया है. दोनों प्रतिमाओं को कड़ी मेहनत से तैयार किया गया है. पूरे क्षेत्र में इन दो मूर्तियों की चर्चा हो रही है. मूर्तिकार ने भी अपनी कला को काफी अच्छे से मूर्तियों पर उकेरा है.
इन्होंने तैयार की खास मूर्तियां: बिलासपुर के चुचुहियापरा अन्नपूर्णा कॉलोनी में मूर्तिकार सुजीत सूत्रधर ने दो खास प्रतिमाएं तैयार की है. दोनों ही प्रतिमा को पूजा की वस्तुओं से तैयार किया गया है. एक प्रतिमा पेंसिल, शार्पनर, चॉक, रबर से तैयार किया गया है. इस प्रतिमा की लंबई 6 फीट है. इसे तैयार करने के लिए मूर्तिकार को 20 से 25 हजार रुपए खर्चन करना पड़ रहा है. वहीं, दूसरी प्रतिमा को मूर्तिकार ने पूजन सामग्री से तैयार किया है. इसमें कपूर, बंधन, मौली धागा और धूप-अगरबत्ती का उपयोग किया गया है. मूर्तिकार सुजीत सूत्रधर 45 सालों से गणेश जी की मूर्ति बना रहे हैं. हमेशा से ये इको फ्रेंडली गणेशजी की मूर्ति ही बनाते हैं.
दोनों ही मूर्ति में पूजा की सामग्री का इस्तेमाल किया गया है. एक शिक्षा के मंदिर में काम आता है. तो दूसरा भगवान की पूजा में काम आता है. दोनों प्रतिमाएं पानी में जाते ही पूरी तरह से घुल जाएंगे. इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा. -सुजीत सूत्रधर, मूर्तिकार
ऐसे तैयार की गई मूर्तियां: मूर्तिकार सुजीत सूत्रधर हर साल गणेश की यूनिक मूर्तियां ही तैयार करते हैं. इस बार उन्होंने पेंसिल, शार्पनर, चॉक, रबर से 8 फीट की मूर्ति बनाई है. खास गणेश प्रतिमा को बनाने में 400 पेंसिल, डेढ़ हजार चॉक, 200 शॉपनर लगे हैं. वहीं, धूप, अगरबत्ती से निर्मित गणेश की मूर्ति भी तैयार की गई है, जिसमें पूजा में उपयोग करने वाले धूप-अगरबत्ती से इसे बनाया जा रहा है. इस मूर्ति में 7000 धूप, अगरबत्ती, मौली का इस्तेमाल किया गया है. बता दें कि यहां हर साल खास मूर्तियों को बनाने के लिए कोलकाता से 16 कारीगर आते हैं.
मिट्टी की प्रतिमा की पूजा होती है शुभ: सनातम धर्म के अनुसार मिट्टी से बनी प्रतिमा की पूजा को श्रेष्ठ माना गया है. मिट्टी से बनी प्रतिमा में पंच तत्व समाए रहते हैं. मिट्टी यानी पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश पांचों तत्वों से ही हमारा शरीर बनता है. इन पंच तत्वों से मिलकर ही मिट्टी बनती है. इसलिए मिट्टी की प्रतिमा श्रेष्ठ मानी जाती है.