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कृषि कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन, मोदी सरकार पर किसानों के हितों से खिलवाड़ का लगाया आरोप

ट्रेड यूनियन की देशव्यापी हड़ताल के बाद शुक्रवार को बिलासपुर में भी किसानों का आंदोलन दिखा. किसान जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में केन्द्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ मोर्चा खोला. किसानों ने अपने 9 सूत्रीय मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद की.

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कृषि कानून के खिलाफ किसानों का प्रद
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Published : Nov 27, 2020, 10:38 PM IST

बिलासपुर: कृषि कानून के खिलाफ किसानों का हल्ला बोल रायपुर से बिलासपुर तक दिखा. किसानों ने केंद्र के नए कानून पर जमकर हमला बोला. किसानों ने अपने 9 सूत्रीय मांग लेकर मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया. आंदोलित किसानों ने बताया कि नए कृषि कानूनों से कॉन्टैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा और इससे उनके अधिकारों का हनन होगा. किसानों ने बताया कि नया कृषि कानून जनविरोधी है. इससे पूंजीपतियों का भला होगा. किसानों का भला नहीं होगा. इसलिए देशभर के किसान इस कानून के खिलाफ हैं. किसानों ने आंदोलन को जारी रखने की बात कही है.

किसानों की प्रमुख मांगें

  • घोषित समर्थन मूल्य से कम कीमत पर फ़सल की खरीदी को कानूनन अपराध घोषित किया जाय.
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदी के लिए केंद्र सरकार जवाबदेही ले.
  • स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफारिशों को लागू किया जाए
  • खेती-किसानी बचाने की अपील
  • कॉरपोरेट के चंगुल से किसानों को मुक्त किया जाए.
  • अनाज व्यापार में सट्टा बाजारी पर रोक लगे.
  • मंडी कानून यथावत रहे .
  • बिजली कानून में बदलाव किया जाए.
  • खेती किसानी के लिए आधे दाम में डीज़ल किसानों को दिया जाए.
    Farmers protest against new agriculture laws of central government in bilaspur
    कृषि कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन

पढ़ें: बेमेतरा: संसदीय सचिव ने 3 नए धान खरीदी केंद्रों का किया शुभारंभ, किसानों को धान बेचने में होगी सहूलियत

क्या है नया कृषि कानून ?

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का कांग्रेस समेत कई पार्टियां विरोध कर रही है. इसे पूंजीपतियों को फायदे पहुंचाने वाला कानून बता रही है. संसद ने किसानों के लिए 3 नए कानून बनाए हैं. जिसमें निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं.

पहला,'कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020'.

इसमें केंद्र सरकार कह रही है कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है. किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे.

पढ़ें: बलरामपुर: फिर शुरू हुआ धान बिचौलिओं का काला खेल, वाड्रफनगर में 600 बोरी धान जब्त

दूसरा, 'कृषक (सशक्‍तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020'

इस विधेयक में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है. सरकार का कहना है कि ये बिल कृषि उत्‍पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक्‍त करता है.

तीसरा, 'आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020'

इस बिल में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्‍याज आलू को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान है. सरकार का कहना है कि विधेयक के प्रावधानों से किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा क्योंकि बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी.

संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े कानूनों में बदलाव किया था. इसके तहत कृषि उपज की खरीदी बिक्री के लिए मंडी जाने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई. व्यापारियों के लिए स्टाक सीमा खत्म कर दी गई और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के प्रावधान किए गए. कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों में नया कानून बनाने का सुझाव दिया था.

बिलासपुर: कृषि कानून के खिलाफ किसानों का हल्ला बोल रायपुर से बिलासपुर तक दिखा. किसानों ने केंद्र के नए कानून पर जमकर हमला बोला. किसानों ने अपने 9 सूत्रीय मांग लेकर मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया. आंदोलित किसानों ने बताया कि नए कृषि कानूनों से कॉन्टैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा और इससे उनके अधिकारों का हनन होगा. किसानों ने बताया कि नया कृषि कानून जनविरोधी है. इससे पूंजीपतियों का भला होगा. किसानों का भला नहीं होगा. इसलिए देशभर के किसान इस कानून के खिलाफ हैं. किसानों ने आंदोलन को जारी रखने की बात कही है.

किसानों की प्रमुख मांगें

  • घोषित समर्थन मूल्य से कम कीमत पर फ़सल की खरीदी को कानूनन अपराध घोषित किया जाय.
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदी के लिए केंद्र सरकार जवाबदेही ले.
  • स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफारिशों को लागू किया जाए
  • खेती-किसानी बचाने की अपील
  • कॉरपोरेट के चंगुल से किसानों को मुक्त किया जाए.
  • अनाज व्यापार में सट्टा बाजारी पर रोक लगे.
  • मंडी कानून यथावत रहे .
  • बिजली कानून में बदलाव किया जाए.
  • खेती किसानी के लिए आधे दाम में डीज़ल किसानों को दिया जाए.
    Farmers protest against new agriculture laws of central government in bilaspur
    कृषि कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन

पढ़ें: बेमेतरा: संसदीय सचिव ने 3 नए धान खरीदी केंद्रों का किया शुभारंभ, किसानों को धान बेचने में होगी सहूलियत

क्या है नया कृषि कानून ?

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का कांग्रेस समेत कई पार्टियां विरोध कर रही है. इसे पूंजीपतियों को फायदे पहुंचाने वाला कानून बता रही है. संसद ने किसानों के लिए 3 नए कानून बनाए हैं. जिसमें निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं.

पहला,'कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020'.

इसमें केंद्र सरकार कह रही है कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है. किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे.

पढ़ें: बलरामपुर: फिर शुरू हुआ धान बिचौलिओं का काला खेल, वाड्रफनगर में 600 बोरी धान जब्त

दूसरा, 'कृषक (सशक्‍तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020'

इस विधेयक में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है. सरकार का कहना है कि ये बिल कृषि उत्‍पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक्‍त करता है.

तीसरा, 'आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020'

इस बिल में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्‍याज आलू को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान है. सरकार का कहना है कि विधेयक के प्रावधानों से किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा क्योंकि बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी.

संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े कानूनों में बदलाव किया था. इसके तहत कृषि उपज की खरीदी बिक्री के लिए मंडी जाने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई. व्यापारियों के लिए स्टाक सीमा खत्म कर दी गई और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के प्रावधान किए गए. कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों में नया कानून बनाने का सुझाव दिया था.

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