बिलासपुरः जिले की अरपा नदी के किनारे (Banks of the Arpa River) पाषाण काल (stone age) में मानव संस्कृति के जीवित रहने के कुछ साक्ष्य मिले हैं. इनमें पत्थरों के औजार और कुछ अन्य चीजें शामिल हैं. एंथ्रोपोलॉजी के विद्वान डॉक्टर विनय तिवारी (Dr. Vinay Tiwari) इसे बरसों से इकट्ठा करने का काम करते आ रहे हैं. विनय तिवारी ने 30 से अधिक अलग-अलग पत्थर और इनके औजार (Tools) को संग्रहित किया है. उनका दावा है कि 15 हजार साल पहले अरपा नदी के किनारे पाषाण काल दौरान मानव संस्कृति (human culture) बसा करती थी. तब इसका इस्तेमाल मनुष्य खुदाई, छिलाई, कटाई सहित अन्य काम करते होंगे.
खोज में मिले पत्थरों के आधार पर दावा
खोजकर्ता विनय तिवारी ने बताया कि यह आम पत्थर नहीं है. ये पत्थर (stone) सबूत है कि इस जगह पर हजारों साल पहले मानव बसा करते थे. उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण यह हैं पानी, खाने-पीने के सामान और रॉ मटेरियल का उपलब्ध होना. इसी आधार पर वे शिकार और दूसरा काम करते आए हैं. अरपा नदी (Arpa River) पुराने वक्त में जीवंत थी, और जानवर समेत सभी जीव उसी पर आश्रित थे.
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मानव जीवन की सभी जरूरतों को पूरा करती थी अरपा
विनय तिवारी के अनुसार यह पत्थर उन्हें अरपा नदी के किनारे, स्मृति वन और अन्य जगहों पर मिले हैं. इसका अध्ययन करने के बाद ही उन्हें यह समझ आया है कि किसी जमाने में क्षेत्र में भी मानव संस्कृतियां जिंदा थी. और तब भी लोग बसा करते थे. डॉ. विनय तिवारी ने बताया कि पुरातत्व विभाग (Archeology department) समेत कल्चर डिपार्टमेंट के अधिकारियों के लगातार वह संपर्क में हैं और बिलासपुर रायपुर बायपास के नजदीक राज्य स्तरीय म्यूजियम जो आने वाले दिनों में बनने वाला है. उसको लेकर अधिकारियों की तरफ से उन्हें निरंतर संपर्क में रहने की बात कही गई है.
ईटीवी भारत की टीम ने लिया जायजा
खोजकर्ता विनय तिवारी के साथ ईटीवी भारत (ETV Bharat) की टीम अरपा नदी के उन स्थानों का जायजा लिया है. नदी के उस स्थान पर पहुंच कर देखा तो पाया कि जहां यह दुर्लभ साक्ष्य (Rare evidence) मिले हैं, वहां इन दिनों खुदाई का काम चल रहा है. उस जगह पर लगातार कचरा फेंकने के साथ ही अवैध खुदाई भी की जा रही है. यही कारण है कि प्रोफेसर विनय तिवारी ने आशंका जताई है कि ऐसे कई दुर्लभ साक्ष और पाषाण काल से जुड़े तथ्य हैं. जो एक विलुप्त हो चुकी सभ्यता के सबूत दे सकते हैं. उन्होंने साक्ष्य नष्ट होने की संभावना (Likely to destroy evidence) जताते हुए, सरकार से मांग की है कि इस दुर्लभ क्षेत्र की सुरक्षा की जाए. ताकि आने वाले दिनों में और भी शोध किए जा सके.