बिलासपुर: शुक्रवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट लोकसभा में पेश किया. बजट पर एक्सपर्ट्स की अलग-अलग राय सामने आ रही है. एक ओर अर्थशास्त्री बजट में आर्थिक संकट की ओर इशारा कर रहे हैं, तो दूसरी ओर पीपीपी मॉडल पर फोकस करने की आलोचना भी कर रहे हैं.
ETV भारत ने अर्थशास्त्री नंद कश्यप से बात की. इस दौरान उन्होंने अधिक आमदनी वाले लोगों से टैक्स वसूली को एक बेहतर पहल बताया. तो वहीं कृषि के मद में बजट में की गई पहल के बारे में कहा कि यह अपेक्षा के अनुरूप नहीं है.
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निजीकरण को बढ़ावा देना
नंद कश्यप का कहना है कि 'धान के समर्थन मूल्य में कम बढ़ोतरी की गई है, जो निराशाजनक है. वहीं रेलवे के क्षेत्र में पीपीपी मॉडल को बढ़ावा देने को एक्सपर्ट इसे निजीकरण के दिशा में बढ़ावा देना मान रहे हैं. बजट में रेल की बुनियादी सुविधाओं के लिए स्पष्ट मद को न दिखाने की भी आलोचना हो रही है.
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8 प्रतिशत विकास दर की आवश्यकता
बता दें कि गुरुवार को जिस तरह से आर्थिक सर्वेक्षण को पेश किया गया था, उससे यह साफ है कि देश की बेहतर वित्तीय स्थिति के लिए अगले 5 साल तक 8 प्रतिशत विकास दर की जरूरत होगी.