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GPM : गले में फंसा था सिक्का, सूझबूझ से डॉक्टरों ने बचाई जान

गौरेला पेंड्रा मरवाही जैसी छोटी जगह में डॉक्टरों की कुशल टीम ने बच्ची की जान बचाई है.कड़ी मेहनत और सूझबूझ के कारण आज एक परिवार की खुशियां छीनने से बच गई.

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Published : May 3, 2023, 7:01 PM IST

gaurela pendra marwahi
पांच साल की बच्ची की डॉक्टरों ने बचाई जान

गौरेला पेंड्रा मरवाही : यदि जज्बा हो तो कोई भी काम किया जा सकता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने. टीम आदिवासी परिवार के लिए किसी वरदाम से कम नहीं है. पेंड्रा ब्लॉक के बेन्दरचुआ की रहने वाली 5 साल की संस्कृति की जान पर बन आई थी. बच्ची ने 5 का सिक्का गले में फंसा लिया था. जिससे उसकी जान जा सकती थी.लेकिन डॉक्टरों की टीम ने सीमित संसाधन से बच्ची की जान बचा ली.


कहां की है घटना : पूरा मामला जिले के दूरस्थ ग्राम बेन्दरचुवा गांव की है. जहां पर आदिवासी परिवार की 5 साल की बच्ची संस्कृति ने खेलते-खेलते 5 रुपए का सिक्का निगल लिया. सिक्का बच्ची के गले मे फंस गया. घटना के जानकारी जैसे ही माता पिता को हुई वो कुछ समझ नहीं पाए. वो सीधे बच्ची को लेकर जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पहुंचे. बच्ची की हालत भी धीरे धीरे बिगड़ते जा रही थी.

बिगड़ रही थी बच्ची की हालत : बच्ची के सिक्का निगलने के साथ उसे उल्टी भी हो रही थी. जिला अस्पताल में मौजूद चिकित्सकों की टीम ने एमरजेंसी में आनन फानन में बच्ची को भर्ती कराया. स्टाफ ने अस्पताल के शिशुरोग विशेषज्ञों को बुलाया.इसके बाद डॉक्टरों ने एक्सरे करवाया.जिसमें पता चला कि सिक्का बच्ची के आहार नली में फंसा है.पहले बच्ची को सिम्स भेजने की तैयारी की गई.लेकिन यदि वक्त लगता तो बच्ची की जान जा सकती थी.लिहाजा डॉक्टरों ने सीमित संसाधनों में ही सिक्का निकालने की ठानी.

ये भी पढ़ें-विधायक का अलग अंदाज,दूल्हे को गोद में उठाकर किया डांस

सीमित संसाधन में निकाला सिक्का : डॉक्टरों की टीम ने खतरा उठाते हुए फोलीज कैथेटर के जरिये आहार नली में फंसे सिक्के को बाहर निकालने का प्रयास किया.बड़ी मशक्कत के बाद डॉक्टर सफल हुए. बच्चे को ऑपरेशन थियेटर में ले जाकर साधारण फोलीज कैथेटर की मदद से 5 रुपये का सिक्का को निकाला.जिससे 5 साल की बच्ची की जान बच गई. फिलहाल 5 साल की बच्ची संस्कृति अब खतरे से बाहर है और पूरी तरह से स्वस्थ्य है. उसे जिला अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. वहीं बच्ची के परिजनों पूरे जिला अस्पताल के सिविल सर्जन भगवती चंद्रा, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ भरत भूषण त्रिपाठी ,डॉ विपिन, डॉ ओशिन,डॉ नेहा और डॉ पुष्पा समेत स्टाफ की सराहना की है.

गौरेला पेंड्रा मरवाही : यदि जज्बा हो तो कोई भी काम किया जा सकता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने. टीम आदिवासी परिवार के लिए किसी वरदाम से कम नहीं है. पेंड्रा ब्लॉक के बेन्दरचुआ की रहने वाली 5 साल की संस्कृति की जान पर बन आई थी. बच्ची ने 5 का सिक्का गले में फंसा लिया था. जिससे उसकी जान जा सकती थी.लेकिन डॉक्टरों की टीम ने सीमित संसाधन से बच्ची की जान बचा ली.


कहां की है घटना : पूरा मामला जिले के दूरस्थ ग्राम बेन्दरचुवा गांव की है. जहां पर आदिवासी परिवार की 5 साल की बच्ची संस्कृति ने खेलते-खेलते 5 रुपए का सिक्का निगल लिया. सिक्का बच्ची के गले मे फंस गया. घटना के जानकारी जैसे ही माता पिता को हुई वो कुछ समझ नहीं पाए. वो सीधे बच्ची को लेकर जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पहुंचे. बच्ची की हालत भी धीरे धीरे बिगड़ते जा रही थी.

बिगड़ रही थी बच्ची की हालत : बच्ची के सिक्का निगलने के साथ उसे उल्टी भी हो रही थी. जिला अस्पताल में मौजूद चिकित्सकों की टीम ने एमरजेंसी में आनन फानन में बच्ची को भर्ती कराया. स्टाफ ने अस्पताल के शिशुरोग विशेषज्ञों को बुलाया.इसके बाद डॉक्टरों ने एक्सरे करवाया.जिसमें पता चला कि सिक्का बच्ची के आहार नली में फंसा है.पहले बच्ची को सिम्स भेजने की तैयारी की गई.लेकिन यदि वक्त लगता तो बच्ची की जान जा सकती थी.लिहाजा डॉक्टरों ने सीमित संसाधनों में ही सिक्का निकालने की ठानी.

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सीमित संसाधन में निकाला सिक्का : डॉक्टरों की टीम ने खतरा उठाते हुए फोलीज कैथेटर के जरिये आहार नली में फंसे सिक्के को बाहर निकालने का प्रयास किया.बड़ी मशक्कत के बाद डॉक्टर सफल हुए. बच्चे को ऑपरेशन थियेटर में ले जाकर साधारण फोलीज कैथेटर की मदद से 5 रुपये का सिक्का को निकाला.जिससे 5 साल की बच्ची की जान बच गई. फिलहाल 5 साल की बच्ची संस्कृति अब खतरे से बाहर है और पूरी तरह से स्वस्थ्य है. उसे जिला अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. वहीं बच्ची के परिजनों पूरे जिला अस्पताल के सिविल सर्जन भगवती चंद्रा, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ भरत भूषण त्रिपाठी ,डॉ विपिन, डॉ ओशिन,डॉ नेहा और डॉ पुष्पा समेत स्टाफ की सराहना की है.

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