बिलासपुर: बिलासपुर के रतनपुर में महालक्ष्मी का प्राचीन मंदिर है. रतनपुर के इकबीड़ा पहाड़ी पर स्थित मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. दीपावली के अवसर पर इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होती है. लोग धन, वैभव, सुख और समृद्धि के लिए यहां विशेष पूजा अर्चना करते हैं. divine temple of Mahalaxmi at Ratanpur
महालक्ष्मी मंदिर से जुड़ी मान्यताएं: कहा जाता है कि जब रतनपुर में राजा रत्नदेव राज करते थे. तो किसी समय अकाल आया था और प्रजा खाने के लिए दाने दाने की मोहताज हो गई थी. तब महालक्ष्मी देवी का मंदिर बनवाया गया था. मंदिर में धन, धान्य, वैभव, सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित की गई तब राज्य में खुशहाली आई थी.Ratanpur Mahalaxmi Temple
रतनपुर प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ की राजधानी थी: रतनपुर प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ की राजधानी थी और यहां राजा रत्नदेव राज करते थे. प्राचीन काल में रतनपुर का नाम रत्नपुर था. कहा जाता है कि करीब 8 सौ साल पहले रत्नपुर में अकाल की स्थिति पैदा हो गई थी और लोगों को खाने के लिए दाने दाने के लिए तरसना पड़ रहा था. तब राजा रत्न को राज पुरोहित ने कहा कि धन धान्य और ऐश्वर्य की देवी का मंदिर बनवाएं तो यह समस्या दूर हो जाएगी. तब मंदिर का निर्माण कराकर यहां देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित की गई. Bilaspur Special worship on Diwali
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लखनी देवी मंदिर के नाम से भी यह मंदिर विख्यात: ये मंदिर लखनी देवी मंदिर के नाम से क्षेत्र में मशहूर है. लखनी देवी शब्द साधारण बोलचाल की भाषा में बोली जाती है. 843 साल से ज्यादा पुराना मंदिर होने की वजह से इसकी ख्याति भी बहुत है. जिस पर्वत पर ये मंदिर है. इसके भी कई नाम है. इसे इकबीरा पर्वत, वाराह पर्वत, श्री पर्वत और लक्ष्मीधाम पर्वत भी कहा जाता है. ये मंदिर कल्चुरी राजा रत्नदेव तृतीय के प्रधानमंत्री गंगाधर ने 1179 में बनवाया था. उस समय इस मंदिर में जिस देवी की प्रतिमा स्थापित की गई उन्हें इकबीरा और स्तंभिनी देवी कहा जाता था. Ratanpur Mahalaxmi Temple
मंदिर का आकार पुष्पक विमान जैसा: मंदिर का आकार पुष्पक विमान जैसा है. प्राचीन मान्यता के मुताबिक, रत्नदेव तृतीय के साल 1178 में राज्यारोहण करते ही प्रजा अकाल और महामारी से परेशान हो रही थी और राजकोष भी खाली हो चुका था. ऐसे हालात में राजा के विद्वान मंत्री पंडित गंगाधर ने लक्ष्मी देवी मंदिर बनवाया. मंदिर के बनते ही अकाल और महामारी राज्य से खत्म हो गई और सुख, समृद्धि, खुशहाली फिर से लौट आई. इस मंदिर की आकृति शास्त्रों में बताए गए पुष्पक विमान की जैसी है और इसके अंदर श्रीयंत्र बना हुआ है. यही वजह है कि इस मंदिर में दीपावली के दिन विशेष पूजा और अर्चना होती है. divine temple of Mahalaxmi at Ratanpur