गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: ग्राम सिवनी के दिव्यांग हरदेव प्रसाद केवट 100% दिव्यांग हैं. दिव्यांग प्रशासन से राशनकार्ड, घर में शौचालय और एक बैटरी चलित रिक्शा की मांग कर रहा है. उन्हें अबतक प्रशासन की ओर से कोई भी मदद नहीं मिली है. हालात ऐसे हैं कि अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है.
कोरोना काल में मूलभूत सुविधाओं को लेकर एक दिव्यांग शासकीय कार्यलयों के चक्कर लगाने को मजबूर है. सरकार के दावों को एक तरफ और दूसरी ओर दिव्यांग के हालातों को देखा जाए तो अंतर साफ नजर आता है.
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बीमारी से जूझ रहा दिव्यांग
सिवनी गांव के रहने वाले दिव्यांग हरदेव प्रसाद टीबी के मरीज है. उनकी बहन लीला केवट भी दिव्यांग है, वह ठीक से चल नहीं सकती है. किसी तरह मेहनत-मजदूरी के सहारे दोनों अपना जीवन यापन कर रहे हैं. दिव्यांग हरदेव प्रसाद के परिवार की बद से बदतर स्थिति को देखकर भी सक्षम अधिकारी असमर्थता व्यक्त कर रहे हैं. किसी प्रकार की कोई सुध नहीं ली जा रही है. नवनिर्मित जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही क्षेत्र के लिए सरकार ने तो विकास का खजाना खोल दिया. प्रशासन के अपने बड़े-बड़े दावे भी है. जिले में विकास की गंगा बह रही है, लेकिन उस गंगा का पानी दिव्यांग हरदेव प्रसाद के घर तक नहीं पहुंचा.
अधिकारी खुद नहीं कर पा रहे मदद
जनपद पंचायत मरवाही के CEO (मुख्य कार्यपालन अधिकारी) नारद मांझी को मामले से अवगत कराया गया. उनका कहना है कि जिले में साल 2002 के सूची के आधार पर दिव्यांगों की मदद की जा रही है. सूची में हरदेव प्रसाद केवट का नाम नहीं है. ऐसे में उनकी मदद मुश्किल है. इसके बाद उन्हें बताया गया कि दिव्यांग के घर पर शौचालय तक नहीं है. जिसके बाद CEO ने शौचालय बनवाने की बात कही है. सूची में नाम नहीं होने के कारण दिव्यांग की मदद नहीं हो पा रही है.