बिलासपुर: बिलासपुर, तारबाहर, तालापारा सहित कई वार्डो में डायरिया के मरीज मिलने से शहर में दहशत का माहौल (Diarrhea continues to wreak havoc in Bilaspur) है. लगातार लोग डायरिया की चपेट में आ रहे है. शहर में बिछी पानी की पाइप लाइन नालियों के अंदर (Inside water pipeline drains) होने से हर साल गर्मी में डायरिया पाव पसारती है. लेकिन इस बार इस बीमारी ने ठंड में ही पाव जमा लिए है.
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लगातार मिल रहे डायरिया के मरीज
ठंड के मौसम में बिलासपुर के कुछ वर्गों में डायरिया का प्रकोप है रोजाना(Diarrhea in Bilaspur) है. डायरिया के नए मरीज मिल रहे हैं. वहीं, 4 दिन के भीतर हुई 4 मौत ने यहां प्रशासन की नींद उड़ा दी है. वहीं, आम जनता भी भयभीत है. तारबहार के जिस इलाके में अभी डायरिया का प्रकोप है. ईटीवी भारत की टीम ने पानी के पाइप लाइन का जायजा लिया और देखा कि किस तरह अव्यवस्थित पानी की सप्लाई पाइप को बिछाया गया है.
सालों पुरानी है पाइप लाइन
नालियों के भीतर सप्लाई पाइप होने की वजह से सालों पुरानी पाइप सड़ चुका है. इसमें नाली का गंदा पानी भर जाता है, जो बाद में नल के माध्यम से लोगों के घरों में पहुंच रहा है. इस पानी का सेवन करने की वजह से लोग डायरिया की चपेट में आ रहे हैं. इलाके के पाइपलाइन जगह जगह से टूटे हुए हैं. सप्लाई के दौरान पाइप से पानी ठेका आते हैं. बाद में यही पानी वापस पाइप में चला जाता है. इसके अलावा नाली के अंदर बिछाई गई पाइप लाइन में भी नालियों का पानी भर जाता है.
मरीजों की संख्या पिछले 1 सप्ताह में 100 से ज्यादा पार
यही कारण है कि इस इलाके में डायरिया के मरीज पिछले 1 सप्ताह में 100 से ज्यादा पार कर गए आम जनता से बात करने पर पता चला कि सालों पुरानी पाइप सड़ गई है और यही वजह है कि उन्हें गंदा पानी पीने मजबूर होना पड़ रहा है.
सड़े पाइप के कारण फैल रही गंदगी
बताया जा रहा है कि सड़क और नाली के भीतर बिछाई गई पाइपलाइन वर्षों पुरानी है. यही कारण है कि पाइप सड़ गए हैं. वार्डवासी इस मामले को लेकर कई बार नगर निगम के अधिकारियों को शिकायत कर चुके हैं. बावजूद इसके निगम जनता की शिकायत को दरकिनार कर अपने A/C चेंबर में बैठकर ड्यूटी निभा रहे हैं. चूंकि पिछले 2 साल से इस वार्ड में पार्षद नहीं है. वार्ड पार्षद के नहीं होने की वजह से भी नगर निगम के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देते. यही कारण है कि वार्ड वासियों को हमेशा जल जनित बीमारियों का सामना करना पड़ता है. कई बार यह स्थिति भयावह रूप ले लेती है, जो मौत का कारण भी बनती है.