बिलासपुर : IAS अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला की पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग के मामले में लगी याचिका पर सुनवाई के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस गौतम भादुड़ी की बेंच में गुरूवार को इस केस में चार घंटे तक चली सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है.
बता दें कि बीजेपी नेता नरेश गुप्ता की ओर से लगाई गई याचिका में डॉ. शुक्ला की नियुक्ति को नियम के खिलाफ बताया गया है. याचिका पक्ष के वकील विवेक शर्मा और गैरी मुखोपाध्याय ने बताया कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि संविदा भर्ती नियम के रूल 4 (1) के तहत संविदा नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किए जाने का प्रावधान है. जबकि डॉ.आलोक शुक्ला की संविदा नियुक्ति के पहले किसी तरह का विज्ञापन जारी नहीं किया गया था.
नान घोटाले में अभियुक्त हैं डॉ.आलोक शुक्ला
वकील शर्मा ने कहा कि रूल 9 के तहत इंटिग्रिटी डाउटफुल होने और क्रिमिनल केस पेंडिंग होने पर संविदा नियुक्ति नहीं दी जा सकती. डॉ. शुक्ला नान घोटाला मामले में अभियुक्त हैं और उनका नाम चार्जशीट में है. इस केस में ईडी की जांच जारी है. उन्होंने बताया कि प्रावधानों के तहत डॉ.आलोक शुक्ला को संविदा नियुक्ति नहीं दी जा सकती.
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बता दें कि शुक्ला 30 मई को ही रिटायर हुए थे. राज्य शासन ने रिटायरमेंट के अगले दिन ही उन्हें प्रमुख सचिव के रूप में संविदा नियुक्ति दी थी. इसे लेकर बीजेपी नेता नरेशचंद्र गुप्ता की ओर से वकील विवेक शर्मा और गैरी मुखोपाध्याय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में संविदा नियुक्ति पर डॉ. शुक्ला को लिए जाने की राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाया गया है.
डॉ.आलोक शुक्ला के खिलाफ जांच जारी
याचिका में कहा गया है कि बहुचर्चित नान घोटाले में शुक्ला का नाम शामिल हैं. ऐसे में उनकी फिर से नियुक्ति असंवैधानिक है. संविदा भर्ती नियम 2013 के मुताबिक रिटायर अधिकारी के खिलाफ अगर कोई विभागीय या अन्य तरह की जांच लंबित है, तो उस अधिकारी को पोस्ट रिटायरमेंट संविदा नियुक्ति नहीं दी जा सकती. आलोक शुक्ला नान घोटाले में चार्टशीटेड हैं. उनके खिलाफ जांच जारी है. तत्कालीन मुख्य सचिव ने भी उनके खिलाफ निलंबन की सिफारिश की थी.