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यहां अष्टमुखी स्वरूप में विराजमान हैं शिव, लगा भक्तों का तांता

शहर के तमाम शिवालयों में सुबह से भक्तों की भीड़ लगी हुई है और भक्त पारम्परिक तरीकों से शिव आराधना में जुटे हुए नजर आ रहे हैं. शहर के सबसे पुराने और प्रसिद्ध अष्टमुखी शिव मंदिर में लोगों का तांता लगा हुआ है.

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Published : Jul 22, 2019, 10:51 AM IST

अष्टमुखी शिव मंदिर

बिलासपुर: आज सावन के पहले सोमवार को प्रदेश की संस्कारधानी बिलासपुर में भी पूरा शहर शिवमय नजर आ रहा है. शहर के तमाम शिवालयों में सुबह से भक्तों की भीड़ लगी हुई है और भक्त पारम्परिक तरीकों से शिव आराधना में जुटे हुए नजर आ रहे हैं. शहर के सबसे पुराने और प्रसिद्ध अष्टमुखी शिव मंदिर में लोगों का तांता लगा हुआ है.

अष्टमुखी शिव मंदिर

125 साल पुराना मंदिर
अष्टमुखी शिव मंदिर को पंचायती मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. भक्तों की मानें तो अष्टमुखी शिव के दर्शन मात्र से भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है. यह मंदिर तकरीबन 125 साल पुराना है. शुरुआती दौर में यह छोटे आकार में था लेकिन अब इसकी भव्यता देखते ही बनती है.

पढ़े:बड़े काम का है ये डिवाइस, वाटर सेविंग के साथ क्लीननेस का भी रखता है ध्यान

शिवलिंग के आठ मुख
यहां भगवान शंकर की अष्टमुखी प्रतिमा चैतुरगढ़ से लाई गई थी. तकरीबन 10 फीट ऊंचे इस शिवलिंग में भगवान के आठ मुख हैं, इसलिए इन्हें अष्टमुखी नाम से जाना जाता है. यहां प्रदेश भर से लोग पहुंचते हैं. विशेष आयोजनों पर यहां शिव को लड्डुओं और खीर का भोग लगाया जाता है. भक्तों की मानें तो इस मंदिर में आया भक्त कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता है, सच्चे मन से मांगी गई उसकी तमाम मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है.

बिलासपुर: आज सावन के पहले सोमवार को प्रदेश की संस्कारधानी बिलासपुर में भी पूरा शहर शिवमय नजर आ रहा है. शहर के तमाम शिवालयों में सुबह से भक्तों की भीड़ लगी हुई है और भक्त पारम्परिक तरीकों से शिव आराधना में जुटे हुए नजर आ रहे हैं. शहर के सबसे पुराने और प्रसिद्ध अष्टमुखी शिव मंदिर में लोगों का तांता लगा हुआ है.

अष्टमुखी शिव मंदिर

125 साल पुराना मंदिर
अष्टमुखी शिव मंदिर को पंचायती मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. भक्तों की मानें तो अष्टमुखी शिव के दर्शन मात्र से भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है. यह मंदिर तकरीबन 125 साल पुराना है. शुरुआती दौर में यह छोटे आकार में था लेकिन अब इसकी भव्यता देखते ही बनती है.

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शिवलिंग के आठ मुख
यहां भगवान शंकर की अष्टमुखी प्रतिमा चैतुरगढ़ से लाई गई थी. तकरीबन 10 फीट ऊंचे इस शिवलिंग में भगवान के आठ मुख हैं, इसलिए इन्हें अष्टमुखी नाम से जाना जाता है. यहां प्रदेश भर से लोग पहुंचते हैं. विशेष आयोजनों पर यहां शिव को लड्डुओं और खीर का भोग लगाया जाता है. भक्तों की मानें तो इस मंदिर में आया भक्त कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता है, सच्चे मन से मांगी गई उसकी तमाम मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है.

Intro:आज सावन के पहले सोमवारी के दिन प्रदेश के संस्कारधानी बिलासपुर में भी पूरा शहर शिवमय हुआ नजर आ रहा है । शहर के तमाम शिवालयों में सुबह से भक्तों की भीड़ लगी हुई है और भक्त पारम्परिक तरीकों से शिव आराधना में जुटे हुए नजर आ रहे हैं । तो आइए आज हम आपको शहर के सबसे पुराने प्रसिद्ध अष्टमुखी शिव का दर्शन कराते हैं और बताते हैं कि आखिर क्यों यह शिव मंदिर प्रसिद्ध है ।


Body:इस मंदिर को पंचायती मंदिर के नाम से भी जाना जाता है । भक्तों की मानें तो अष्टमुखी इस शिव के दर्शन मात्र से भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है । यह मंदिर तकरीबन 125 साल पुराना माना जाता है । शुरुआती दौर में यह छोटे आकार में था लेकिन अब इसकी भव्यता देखते ही बनती है ।


Conclusion:यहां भगवान शंकर की अष्टमुखी प्रतिमा चैतुरगढ़ से लाई गई थी । तकरीबन 10 फ़ीट ऊंचे इस शिवलिंग में भगवान के आठ मुख हैं इसलिए इसे अष्टमुखी नाम से जाना जाता है । यहां प्रदेश भर से लोग पहुंचते हैं । विशेष आयोजनों पर यहां शिव को लड्डुओं और खीर का भोग लगाया जाता है । भक्तों की मानें तो इस मंदिर में आया भक्त कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता है,सच्चे मन से मांगी गई उसकी तमाम मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है ।
बाईट.... भक्त
विशाल झा.... बिलासपुर
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