गौरेला पेंड्रा मरवाही : गौरेला विकासखंड में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र टीडी गांव है.इस गांव तक शुद्ध जल पहुंचाने का जिम्मा शासन और प्रशासन का था. केंद्र की जल जीवन मिशन के तहत इस गांव में पाइप लाइन बिछी. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि, अब गांव में साफ पानी के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.लेकिन गांव वालों का सपना धरा का धरा रह गया.क्योंकि डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी गांव तक साफ पानी नहीं पहुंचा है.
बस्ती ऊपर टंकी नीचे : इसे इंजीनियरिंग का नायाब कारनाम ही कहेंगे कि, गांव में जिस जगह पर टंकी बनाई गयी है.वो गांव से नीचे हैं.वहीं ग्रामीणों के घर टंकी की ऊंचाई से ऊपर है.लिहाजा ग्रामीणों के नलों तक टंकी का पानी नहीं पहुंचता.आज भी ग्रामीण निस्तारी के लिए गंदे पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं. शासन की गाइडलाइन में पाइप लाइन को तीन फीट अंदर डालकर सप्लाई देना था. लेकिन ठेकेदार ने जमीन के ऊपर से ही पाइप लाइन बिछा दी. वहीं जो पाइप लाइन घरों तक पहुंची है.वो महज दिखावा से ज्यादा कुछ नहीं. पानी के नाम पर ग्रामीण खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.
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जिम्मेदारों पर कुछ नहीं करने का आरोप :जब इस मामले में हमने जल जीवन मिशन के जिम्मेदारों से सवाल पूछे गए तो उनका जवाब रटा रटाया था. उन्होंने कहा कि, जहां भी कमियां हैं. वो पूरी कर ली जाएंगी. बहरहाल केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना छत्तीसगढ़ के गांवों तक आकर दम तोड़ रही है. जिले के जिम्मेदार अधिकरियों को चाहिए ऐसे लापरवाह अफसरों और ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाए. ताकि केंद्र की योजनाओं का लाभ उनके हितग्राहियों तक पहुंचने में कोई परेशानी ना आए.