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कोर्ट के आदेश के बाद भी नही दी अनुकंपा नियुक्ती, बैंक अफसरों पर हुआ अवमानना का केस

compassionate appointment case बैंक में अनुकंपा नियुक्ती मामले में जस्टिस की डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के चेयरमैन और रायगढ़ के क्षेत्रीय प्रबंधक पर कंटेम्प्ट केस शुरू करने का आदेश दिया है. दरअसल कोर्ट ने बैंक के दिवंगत महिलाकर्मी के बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया था. आदेश का पालन नहीं किया गया. contempt of court

compassionate appointment case
ग्रामीण बैंक अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का केस
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Published : Dec 9, 2022, 10:56 PM IST

बिलासपुर: compassionate appointment case छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के चेयरमैन और रायगढ़ के क्षेत्रीय प्रबंधक पर कंटेम्प्ट केस शुरू करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने बैंक के दिवंगत महिलाकर्मी के बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया था. आदेश का पालन नहीं किया गया. जिसके बाद अवमानना याचिका पर दोनों अफसरों को उपस्थित होने का आदेश दिया गया था. लेकिन वे कोर्ट नहीं पहुंचे. अवमानना केस शुरू होने के बाद उन्हें 7 फरवरी को उपस्थित होने का आदेश दिया गया है. contempt of court

अफसरों ने नहीं की नियुक्ति प्रकरण पर कोई कारवाई: जशपुर के बगीचा में रहने वाली प्रफुल्ला मिंज, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक में पदस्थ थीं. 2005 में उनका निधन हो गया. अपनी मां की मौत के बाद बेटा खितेश कुमार मिंज ने बैंक अफसरों के समक्ष अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए आवेदन जमा किया. लेकिन अफसरों ने उनके अनुकंपा नियुक्ति प्रकरण पर कोई कार्रवाई नहीं की. परेशान होकर खितेश ने अपने एडवोकेट काशीनाथ नंदे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की. खितेश अपनी मां की जगह अनुकंपा नियुक्ति का आग्रह किया, साथ ही बताया कि उनकी मां घर की एक मात्र कमाने वाली थीं. उनकी मौत के बाद परिवार का भरणपोषण करना मुश्किल हो गया है. ऐसे में शासन के नियम अनुसार बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देनी चाहिए. हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने 2006 में याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति देने के बजाए सात लाख रुपए एस्ग्रेसिया राशि देने का आदेश दिया था.



हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देना पड़ा महंगा: हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश पर याचिकाकर्ता को एस्ग्रेसिया राशि देने के बजाए छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक ने अपील की. हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने इस केस की सुनवाई की. डिवीजन बेंच ने फरवरी 2022 में सिंगल बेंच के आदेश को पलटते हुए खितेश कुमार सिंह को 45 दिन के भीतर अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया था. लेकिन कोर्ट के इस आदेश पर भी बैंक प्रबंधन ने अमल नहीं किया.

अवमानना केस पर भी उपस्थित नही हुए अधिकारी: फरवरी 2022 में जारी आदेश का पालन नहीं होने पर खितेश मिंज के एडवोकेट काशीनाथ नंदे ने हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना याचिका दायर कर दी थी. मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के चेयरमैन आई के गोहिल और रायगढ़ के क्षेत्रीय प्रबंधक विष्णु अग्रवाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. लेकिन उन्होंने अवमानना याचिका का कोई जवाब नहीं दिया.

यह भी पढ़ें: रेल यात्रियों के लिए बायो टॉयलेट बना परेशानी का कारण, कब समस्या होगी हल

कोर्ट ने 7 फरवरी को उपस्थित होने का आदेश दिया है: इसके बाद जब दोबारा सुनवाई हुई. तब कोर्ट ने दोनों बैंक अफसरों को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया लेकिन इस बार भी वे कोर्ट में नहीं आए. शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान बैंक अफसर उपस्थित नहीं थे. इस पर याचिकाकर्ता के एडवोकेट ने आपत्ति जताई. हालांकि बैंक के वकील सव्यसांची भादुड़ी ने कोर्ट को एक मौका देने का आग्रह किया. जिस पर चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी ने अनुकंपा नियुक्ति के इस केस को गंभीर माना है. साथ ही कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर अमल नहीं करने वाले दोनों अफसरों पर न्यायालय की अवमानना का केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू की जाए. कोर्ट ने उन्हें 7 फरवरी को उपस्थित होने का आदेश दिया है.

बिलासपुर: compassionate appointment case छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के चेयरमैन और रायगढ़ के क्षेत्रीय प्रबंधक पर कंटेम्प्ट केस शुरू करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने बैंक के दिवंगत महिलाकर्मी के बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया था. आदेश का पालन नहीं किया गया. जिसके बाद अवमानना याचिका पर दोनों अफसरों को उपस्थित होने का आदेश दिया गया था. लेकिन वे कोर्ट नहीं पहुंचे. अवमानना केस शुरू होने के बाद उन्हें 7 फरवरी को उपस्थित होने का आदेश दिया गया है. contempt of court

अफसरों ने नहीं की नियुक्ति प्रकरण पर कोई कारवाई: जशपुर के बगीचा में रहने वाली प्रफुल्ला मिंज, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक में पदस्थ थीं. 2005 में उनका निधन हो गया. अपनी मां की मौत के बाद बेटा खितेश कुमार मिंज ने बैंक अफसरों के समक्ष अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए आवेदन जमा किया. लेकिन अफसरों ने उनके अनुकंपा नियुक्ति प्रकरण पर कोई कार्रवाई नहीं की. परेशान होकर खितेश ने अपने एडवोकेट काशीनाथ नंदे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की. खितेश अपनी मां की जगह अनुकंपा नियुक्ति का आग्रह किया, साथ ही बताया कि उनकी मां घर की एक मात्र कमाने वाली थीं. उनकी मौत के बाद परिवार का भरणपोषण करना मुश्किल हो गया है. ऐसे में शासन के नियम अनुसार बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देनी चाहिए. हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने 2006 में याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति देने के बजाए सात लाख रुपए एस्ग्रेसिया राशि देने का आदेश दिया था.



हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देना पड़ा महंगा: हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश पर याचिकाकर्ता को एस्ग्रेसिया राशि देने के बजाए छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक ने अपील की. हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने इस केस की सुनवाई की. डिवीजन बेंच ने फरवरी 2022 में सिंगल बेंच के आदेश को पलटते हुए खितेश कुमार सिंह को 45 दिन के भीतर अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया था. लेकिन कोर्ट के इस आदेश पर भी बैंक प्रबंधन ने अमल नहीं किया.

अवमानना केस पर भी उपस्थित नही हुए अधिकारी: फरवरी 2022 में जारी आदेश का पालन नहीं होने पर खितेश मिंज के एडवोकेट काशीनाथ नंदे ने हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना याचिका दायर कर दी थी. मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के चेयरमैन आई के गोहिल और रायगढ़ के क्षेत्रीय प्रबंधक विष्णु अग्रवाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. लेकिन उन्होंने अवमानना याचिका का कोई जवाब नहीं दिया.

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कोर्ट ने 7 फरवरी को उपस्थित होने का आदेश दिया है: इसके बाद जब दोबारा सुनवाई हुई. तब कोर्ट ने दोनों बैंक अफसरों को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया लेकिन इस बार भी वे कोर्ट में नहीं आए. शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान बैंक अफसर उपस्थित नहीं थे. इस पर याचिकाकर्ता के एडवोकेट ने आपत्ति जताई. हालांकि बैंक के वकील सव्यसांची भादुड़ी ने कोर्ट को एक मौका देने का आग्रह किया. जिस पर चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी ने अनुकंपा नियुक्ति के इस केस को गंभीर माना है. साथ ही कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर अमल नहीं करने वाले दोनों अफसरों पर न्यायालय की अवमानना का केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू की जाए. कोर्ट ने उन्हें 7 फरवरी को उपस्थित होने का आदेश दिया है.

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