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सीएम भूपेश बघेल ने लिया इड़हर की सब्जी के साथ ढेंकी चावल का स्वाद

गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिले के ग्राम दानीकुंडी में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ढेंकी चावल का स्वाद लिया. ढेंकी चावल बनाकर स्वसहायता समूह की महिलाओं को प्रतिदिन करीब 400 रुपए की आय हो रही है.

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सीएम भूपेश बघेल ने लिया इड़हर की सब्जी के साथ ढेंकी चावल का स्वाद
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Published : Jan 9, 2021, 10:44 AM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही: जिले के ग्राम दानीकुंडी की स्वसहायता समूह की महिलाएं ढेंकी चावल कुटाई कर प्रतिदिन करीब 400 रुपए कमा रही हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते दिनों जिले के भ्रमण के दौरान इड़हर की सब्जी के साथ ढेंकी चावल का स्वाद लिया. मुख्यमंत्री ने खाने की तारीफ करते हुए ढेंकी चावल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गांव के हर घर में इस परंपरागत पद्धति को अपनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इससे घर बैठे रोजगार के साथ-साथ लोगों को पोषक तत्वों से पूर्ण शुद्ध चावल भी मिलेगा.

Dhanki rice processing provides employment to 70 families
ढेंकी चावल प्रसंस्करण से 70 परिवारों को मिल रहा रोजगार

मुख्यमंत्री ने विविध सुविधा सह मूल्य संवर्धन केन्द्र में संचालित केन्द्र में ढेंकी चावल प्रसंस्करण इकाई का जायजा लिया. इसके बाद प्रसंस्करण के काम में जुटी स्वसहायता समूह की महिलाओं से बातचीत भी की. महिलाओं ने उन्हें बताया कि वर्तमान में वे मोटे किस्म के चावल की ढेंकी से कुटाई कर रही हैं. महिलाओं ने बताया कि वन विभाग द्वारा 30 रुपए से 35 रुपए किलो तक धान खरीदकर उन्हें दिया जाता है. कुटाई के बाद तैयार चावल की कीमत 60 से 65 रुपये प्रति किलो होती है.

Self help group women are earning well by making dhenki rice
ढेंकी चावल बनाकर स्वसहायता समूह की महिलाएं कर रहीं अच्छी कमाई

सीएम भूपेश बघेल बस्तर दौरा, नारायणपुर को देंगे सौगात

वहीं महिलाओं को चावल कुटाई का 10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से भुगतान किया जाता है और चावल बनने के बाद धान के भूसों को महिलाएं बेचती हैं और मुनाफा कमाती हैं. हर महिला हर रोज 15 से 18 किलो तक धान कूट लेती हैं. कुटाई के बाद चावल की सफाई और पैकिंग का काम भी इन्हीं महिलाओं की जिम्मेदारी होती है.

ढेंकी चावल प्रसंस्करण से 70 परिवारों को मिल रहा रोजगार

ढेंकी पद्धति से चावल प्रसंस्करण कार्य में दानीकुंडी व आसपास के 70 परिवारों को रोजगार मिल रहा है. महिला स्वसहायता समूह की 20 महिलाएं ढेंकी से चावल कुटाई और पैंकिंग का काम करती हैं. वहीं गांव-गांव से धान एकत्र कर वन प्रबंधन समिति दानीकुंडी को पहुंचाने में लगभग 50 महिलाएं लगी हुई हैं. तैयार चावल को वन समिति द्वारा बाजार में 90 रुपये किलो के भाव से उपलब्ध कराया जाता है, इससे जो मुनाफा होता है, वह धान उत्पादन करने वाले किसानों और वन समिति को मिलता है.

गौरेला पेंड्रा मरवाही: जिले के ग्राम दानीकुंडी की स्वसहायता समूह की महिलाएं ढेंकी चावल कुटाई कर प्रतिदिन करीब 400 रुपए कमा रही हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते दिनों जिले के भ्रमण के दौरान इड़हर की सब्जी के साथ ढेंकी चावल का स्वाद लिया. मुख्यमंत्री ने खाने की तारीफ करते हुए ढेंकी चावल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गांव के हर घर में इस परंपरागत पद्धति को अपनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इससे घर बैठे रोजगार के साथ-साथ लोगों को पोषक तत्वों से पूर्ण शुद्ध चावल भी मिलेगा.

Dhanki rice processing provides employment to 70 families
ढेंकी चावल प्रसंस्करण से 70 परिवारों को मिल रहा रोजगार

मुख्यमंत्री ने विविध सुविधा सह मूल्य संवर्धन केन्द्र में संचालित केन्द्र में ढेंकी चावल प्रसंस्करण इकाई का जायजा लिया. इसके बाद प्रसंस्करण के काम में जुटी स्वसहायता समूह की महिलाओं से बातचीत भी की. महिलाओं ने उन्हें बताया कि वर्तमान में वे मोटे किस्म के चावल की ढेंकी से कुटाई कर रही हैं. महिलाओं ने बताया कि वन विभाग द्वारा 30 रुपए से 35 रुपए किलो तक धान खरीदकर उन्हें दिया जाता है. कुटाई के बाद तैयार चावल की कीमत 60 से 65 रुपये प्रति किलो होती है.

Self help group women are earning well by making dhenki rice
ढेंकी चावल बनाकर स्वसहायता समूह की महिलाएं कर रहीं अच्छी कमाई

सीएम भूपेश बघेल बस्तर दौरा, नारायणपुर को देंगे सौगात

वहीं महिलाओं को चावल कुटाई का 10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से भुगतान किया जाता है और चावल बनने के बाद धान के भूसों को महिलाएं बेचती हैं और मुनाफा कमाती हैं. हर महिला हर रोज 15 से 18 किलो तक धान कूट लेती हैं. कुटाई के बाद चावल की सफाई और पैकिंग का काम भी इन्हीं महिलाओं की जिम्मेदारी होती है.

ढेंकी चावल प्रसंस्करण से 70 परिवारों को मिल रहा रोजगार

ढेंकी पद्धति से चावल प्रसंस्करण कार्य में दानीकुंडी व आसपास के 70 परिवारों को रोजगार मिल रहा है. महिला स्वसहायता समूह की 20 महिलाएं ढेंकी से चावल कुटाई और पैंकिंग का काम करती हैं. वहीं गांव-गांव से धान एकत्र कर वन प्रबंधन समिति दानीकुंडी को पहुंचाने में लगभग 50 महिलाएं लगी हुई हैं. तैयार चावल को वन समिति द्वारा बाजार में 90 रुपये किलो के भाव से उपलब्ध कराया जाता है, इससे जो मुनाफा होता है, वह धान उत्पादन करने वाले किसानों और वन समिति को मिलता है.

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