बिलासपुर: cims Medical College बिलासपुर सिम्स मेडिकल कॉलेज अब डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है. यहां प्रबंधन ने ऐसी व्यवस्था शुरू की है. जिसमें मरीज कभी भी अपना इलाज कराने हॉस्पिटल पहुंचेंगे तो उसके पुराने रिकॉर्ड भी देखे जा सकेंगे. यानी पहली बर आने पर मरीज का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. फिर उसी रजिस्ट्रेशन के आधार पर उसकी बीमारी, दवाई और इलाज की जानकारी रखी जाएगी. इसके बाद जब भी मरीज सिम्स मेडिकल कॉलेज इलाज कराने पहुंचेगा. तो पिछली बार किस मर्ज के लिए क्या दवा दी गई थी. इसकी जानकारी डॉक्टर को एक क्लिक पर पता चल जाएगी. बार-बार डॉक्टरों को उसके पुराने बीमारी और इलाज की जानकारी नहीं लेनी पड़ेगी.
मरीज के पुरीने बीमारी के ब्योरे डॉक्टर को आसानी से मिलेंगे: इससे ये फायदा होगा कि मरीज के पुरीने बीमारी के ब्योरे डॉक्टर को आसानी से मिल जाएंगे. वह उसे उसके आधार पर ही दवाइयां लिखेंगे. इस व्यवस्था से जहां सिम्स में काम का बोझ कम होगा. वहीं मरीजों को उनकी बीमारियों के हिसाब से दवाइयों के अलावा साइड इफेक्ट की समस्या से जूझना नहीं पड़ेगा.
सिम्स ई हॉस्पिटल के रूप में होगा विकसित: नेशनल मेडिकल काउंसिल के द्वारा अब अस्पतालों को डिजिटल डिवाइस से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जिसके तहत अब सिम्स में आधार बेस्ड बायोमैट्रिक अटेंडेंस, हॉस्पिटल में लेक्चर थियेटर, रेडियोलॉजी, एमआरडी लैब के पार्ट के देखरेख के लिए 25 कैमरे लगाए जाएंगे. चूंकि सिम्स अस्पताल को ई-हॉस्पिटल के रूप में विकसित करने की योजना तैयार की गई है. इसे लेकर प्रबंधन ने इस पर काम करना भी शुरू कर दिया है. ऐसे में पहले से ही ओपीडी रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन किया जा रहा था. वहीं अब आईडी रजिस्ट्रेशन भी ऑनलाइन किया जाएगा. इसे लेकर सॉफ्टवेयर लगाने का काम जारी है. जो जल्द ही पूर्ण करने की बात सिम्स प्रबंधन द्वारा कही जा रही है. जिससे मरीजों को आने वाले समय मे इसका ज्यादा लाभ मिलेगा.
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संभाग के साथ अन्य राज्यों से आते हैं मरीज: सिम्स मेडिकल कॉलेज बिलासपुर संभाग का सबसे बड़ा और विकसित शासकीय अस्पताल है. यहां संभाग के अलावा छत्तीसगढ़ से बाहर, मध्य प्रदेश के अनूपपुर, उमरिया, शहडोल और झारखंड के मरीज भी अपना इलाज कराने पहुंचते हैं. लगभग 900 बिस्तरों वाला यह हॉस्पिटल अब डिजिटलाइजेशन के बाद और बेहतर काम करने लगेगा. यहां रोजाना 1000 से 1500 मरीजों का इलाज किया जाता है. इसके साथ ही 3 से 4 सौ लोग रोजाना ही भर्ती और डिस्चार्ज होते हैं. इतने बड़े हॉस्पिटल में अब तक मैनुअल ही काम होता रहा है. रजिस्ट्रेशन के साथ ही अन्य कार्य करने के लिए लोगों को लाइन लगनी पड़ती थी. लेकिन अब इन कार्य और लाइन लगने की परंपरा खत्म होने के बाद यहां और बेहतर ढंग से मरीजों का इलाज किया जा सकेगा.