बिलासपुर: रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों के लिए बाजार से सबसे अच्छी और सुंदर राखियां चुन-चुन कर लाती है. वह चाहती हैं कि उनके भाई की कलाइयां रेशम की डोर से सजे रहे. इस साल सैंकड़ों भाईयों की कलाइयों में बिहान दीदियों द्वारा बनाई गई राखी सजेंगी.
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में बिहान महिलाओं ने इस बार धान, चावल और बांस से राखियां बनाई हैं. जिला पंचायत बिलासपुर परिसर में महिला स्व सहायता समूहों के द्वारा लगाए गए राखियों के स्टॉल में छत्तीसगढ़िया झलक दिखाई दे रही है. समूह की महिलाओं द्वारा बनाई गई राखियों में बांस, धान और चावल से बनी राखियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. साथ ही यह राखियां बहनों की पहली पसंद बनकर हाथों हाथ बिक रही हैं.
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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान योजना के माध्यम से स्व सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने अपनी आर्थिक सुदृढ़ता का रास्ता तैयार कर लिया है. इसके माध्यम से समूह की महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रही है, बल्कि उन्होंने स्वावलंबन की दिशा में भी कदम बढ़ा दिया है.
जिला पंचायत बिलासपुर के मुख्य द्वार पर बूढ़ी माई स्व सहायता समूह धौरामुड़ा और जय मां संतोषी समूह पेण्ड्रीडीह की महिलाओं ने राखियों के स्टॉल लगाए हैं. स्टॉल में 10 रुपए से लेकर 60 रुपए तक की राखियां हैं. समूह की महिला रजनी सूर्यवंशी ने बताया कि राखी बनाने का काम उन्होंने 2 महीने पहले से शुरू कर दिया था. उनके पास धान, चावल और बांस से बनी राखियों के अलावा फैंसी राखियां भी उपलब्ध हैं. इस दौरान स्टॉल में राखी खरीदने आई बहनें धान, चावल और बांस से बनी राखियों को सर्वाधिक पसंद कर रही हैं. समूह ने अपने स्टॉल के पहले ही दिन 1800 की राखियों की बिक्री कर ली. महिलाओं ने बताया कि बिलासपुर ही नहीं बल्कि उनकी राखियों को अन्य जिलों में भी पसंद किया जा रहा है और राखियों के आर्डर उनके पास आ रहे हैं.