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SPECIAL: इस बार की राखी कोरोना काल वाली, जानिए रक्षाबंधन की पौराणिक मान्यताएं

छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इस बीच त्योहारों के रंग फीके पड़ गए, लेकिन रक्षाबंधन पर भाई-बहनों का प्यार कम न हुआ. दूर बैठी बहनें और भाई एक दूसरे के लिए स्वस्थ्य रहने और लंबी उम्र की कामना कर रहे हैं.

chhattisgarh rakshabandhan 2020
छत्तीसगढ़ रक्षाबंधन 2020
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Published : Aug 3, 2020, 12:09 AM IST

बिलासपुर: रक्षाबंधन का त्योहार यानी भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का त्योहार. इस साल कोरोना संकट ने सभी त्योहारों के रंग फीके कर दिए हैं. रक्षाबंधन पर भी इसका खासा असर पड़ा, लेकिन बहनें कहती हैं कि भाइयों के प्रति उनका प्रेम किसी भी संकटकाल में कमजोर नहीं पड़ सकता. मन का प्यार अटूट है. बहनों के प्यारे भाई दुनिया के किसी भी कोनों में हों, बहनों की दुआएं उन तक जरूर पहुंचती है.

जानिए रक्षाबंधन की पौराणिक मान्यताएं

कोरोना काल को देखते हुए जो भाई अपनी बहनों के पास नहीं जा पाए वे कहते हैं कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए खुद का ख्याल रखना ज्यादा जरूरी है. इसलिए भले भाई-बहने साथ नहीं है, लेकिन प्यार तब भी बना हुआ है. भाई-बहन कहते हैं कि इस बार की राखी डिजिटल राखी है. दूर हैं तो क्या हुआ वीडियो कॉलिंग के जरिए इस बार इन दूरियों को कम किया जाएगा.

रक्षाबंधन की पौराणिक मान्यता

रक्षाबंधन के पौराणिक मान्यताओं को बताते हुए वरिष्ठ सामाजिक जानकार डॉक्टर विनय कुमार पाठक बताते हैं कि पुराणों में रक्षासूत्र की बात कही गई है, जो पुरोहितों और जजमानों के बीच के संबंध को बताता है. धर्म के अनुसार पुरोहित अपने जजमानों की रक्षा करते हैं और उन्हें वचन देते हुए रक्षासूत्र पहनाते हैं.

ऐसी मान्यता है कि पूरे परिवार पर उनका आशीर्वाद फलता था और इस तरह से यह परंपरा बेहद प्राचीन है. यह परंपरा मुगलकालीन समय की मांग को देखते हुए भाई-बहनों के त्यौहार के रूप आगे बढ़ाई गई. मुगलों की ज्यादती की वजह से भाइयों ने बहनों की रक्षा की बागडोर संभाली और रक्षाबंधन की परंपरा और ज्यादा विकसित हुई.

वीरगाथा काल में पत्नी, पति को बांधती थी रक्षासूत्र

वीरगाथा काल में पत्नी के द्वारा पति को रक्षासूत्र बांधने की परंपरा भी दिखी, लेकिन आज की महिलाएं सबल हैं और सक्षम भी. आज समाज के हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी ताकत और हिम्मत का परिचय दे रहीं हैं. इसलिए वर्तमान सन्दर्भ में यह भी जरूरी है कि हम रक्षा सूत्र की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए बहनों को अबला होने की दृष्टिकोण से बाहर लाएं और पितृसत्तात्मक मानसिकता को हावी ना होने दें.

पढ़ें- 3 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार , दिनभर रहेगा मुहूर्त

रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इसलिए इसे कई जगह राखी पूर्णिमा भी कहते हैं. इस बार के रक्षाबंधन में सर्वार्थसिद्धि और आयुष्मान दीर्घायु का संयोग भी बन रहा है.खास बात यह है कि इस दिन सावन का आखरी सोमवार भी है.

सुबह 9:28 से शुभ मुहूर्त

राखी बांधने के लिए मुहूर्त की बात की जाए तो राखी बांधने के लिए दिनभर मुहूर्त है. यह मुहूर्त सुबह 9:28 मिनट से शुरू होकर रात 9:27 मिनट तक रहेगा. रक्षाबंधन के दिन बहुत ही अच्छे ग्रह नक्षत्रों का संयोग बन रहा है. इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग होने के कारण सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.

बिलासपुर: रक्षाबंधन का त्योहार यानी भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का त्योहार. इस साल कोरोना संकट ने सभी त्योहारों के रंग फीके कर दिए हैं. रक्षाबंधन पर भी इसका खासा असर पड़ा, लेकिन बहनें कहती हैं कि भाइयों के प्रति उनका प्रेम किसी भी संकटकाल में कमजोर नहीं पड़ सकता. मन का प्यार अटूट है. बहनों के प्यारे भाई दुनिया के किसी भी कोनों में हों, बहनों की दुआएं उन तक जरूर पहुंचती है.

जानिए रक्षाबंधन की पौराणिक मान्यताएं

कोरोना काल को देखते हुए जो भाई अपनी बहनों के पास नहीं जा पाए वे कहते हैं कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए खुद का ख्याल रखना ज्यादा जरूरी है. इसलिए भले भाई-बहने साथ नहीं है, लेकिन प्यार तब भी बना हुआ है. भाई-बहन कहते हैं कि इस बार की राखी डिजिटल राखी है. दूर हैं तो क्या हुआ वीडियो कॉलिंग के जरिए इस बार इन दूरियों को कम किया जाएगा.

रक्षाबंधन की पौराणिक मान्यता

रक्षाबंधन के पौराणिक मान्यताओं को बताते हुए वरिष्ठ सामाजिक जानकार डॉक्टर विनय कुमार पाठक बताते हैं कि पुराणों में रक्षासूत्र की बात कही गई है, जो पुरोहितों और जजमानों के बीच के संबंध को बताता है. धर्म के अनुसार पुरोहित अपने जजमानों की रक्षा करते हैं और उन्हें वचन देते हुए रक्षासूत्र पहनाते हैं.

ऐसी मान्यता है कि पूरे परिवार पर उनका आशीर्वाद फलता था और इस तरह से यह परंपरा बेहद प्राचीन है. यह परंपरा मुगलकालीन समय की मांग को देखते हुए भाई-बहनों के त्यौहार के रूप आगे बढ़ाई गई. मुगलों की ज्यादती की वजह से भाइयों ने बहनों की रक्षा की बागडोर संभाली और रक्षाबंधन की परंपरा और ज्यादा विकसित हुई.

वीरगाथा काल में पत्नी, पति को बांधती थी रक्षासूत्र

वीरगाथा काल में पत्नी के द्वारा पति को रक्षासूत्र बांधने की परंपरा भी दिखी, लेकिन आज की महिलाएं सबल हैं और सक्षम भी. आज समाज के हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी ताकत और हिम्मत का परिचय दे रहीं हैं. इसलिए वर्तमान सन्दर्भ में यह भी जरूरी है कि हम रक्षा सूत्र की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए बहनों को अबला होने की दृष्टिकोण से बाहर लाएं और पितृसत्तात्मक मानसिकता को हावी ना होने दें.

पढ़ें- 3 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार , दिनभर रहेगा मुहूर्त

रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इसलिए इसे कई जगह राखी पूर्णिमा भी कहते हैं. इस बार के रक्षाबंधन में सर्वार्थसिद्धि और आयुष्मान दीर्घायु का संयोग भी बन रहा है.खास बात यह है कि इस दिन सावन का आखरी सोमवार भी है.

सुबह 9:28 से शुभ मुहूर्त

राखी बांधने के लिए मुहूर्त की बात की जाए तो राखी बांधने के लिए दिनभर मुहूर्त है. यह मुहूर्त सुबह 9:28 मिनट से शुरू होकर रात 9:27 मिनट तक रहेगा. रक्षाबंधन के दिन बहुत ही अच्छे ग्रह नक्षत्रों का संयोग बन रहा है. इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग होने के कारण सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.

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