बिलासपुर: बिलासपुर संभाग की 25 सीटों मतदान की तैयारी पूरी हो चुकी है. विधानसभा में इस इलाके से करीब एक तिहाई जनप्रतिनिधि सदन पहुंचते हैं. पांच संभाग में से बिलासपुर बीच में है. प्रदेश के पहले सीएम रहे अजीत जोगी का क्षेत्र मरवाही भी इस संभाग में आता है. उनकी फैमिली का इस इलाके में अभी भी दबदबा है.
बिलासपुर संभाग में कितने जिले:
- रायगढ़
- कोरबा
- बिलासपुर
- जांजगीर-चाम्पा
- सक्ती
- मुंगेली
- सारंगढ़ बिलाईगढ़
- गौरेला पेंड्रा मरवाही
एसटी और एससी सीट:
- रामपुर (एसटी)
- पाली-तानाखार (एसटी)
- लैलूंगा (एसटी)
- धरमजयगढ़ (एसटी)
- मरवाही (एसटी)
- सारंगढ़(एससी)
- बिलाईगढ़(एससी)
- पामगढ़(एससी)
- मुंगेली (एससी)
- मस्तूरी (एससी)
चुनाव मैदान का हिसाब किताब: यहां पर जोगी फैमिली का प्रभाव शुरू से ही रहा है.2018 में दिवंगत अजीत जोगी की पत्पनी त्नी रेनू जोगी कोटा से जीत हासिल की. वे इस बार भी वहीं से किस्मत आजमा रही हैं. बहुजन समाज पार्टी ने इस बार जीजीपी के साथ सियासी दोस्ती की है. AAP भी इस बार सियासी रण में कूद चुकी है. बिलासपुर विधायक का टक्कर बीजेपी के अमर अग्रवाल से है.2018 में अमर अग्रवाल हार गए थे. हालांकि बीजेपी और कांग्रेस दोनों का मानना है कि, टक्कर सिर्फ दो दल के बीच ही है.
कांग्रेस और बीजेपी ने किया धुआंधार प्रचार: बिलासपुर संभाग जैसे हाईप्रोफाइल है. वैसे ही हाईप्रोफाइल लीडरों ने यहां चुनावी बिगुल भी बजाया. पीएम मोदी, राहुल और प्रियंका के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावी सभा को संबोधित किया. सभी ने जनता से वोट देने की गुजारिश की.अब देखना होगा कि जनता किसके साथ है.
सियासी रण में VIP लीडर: नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल जांजगीर-चाम्पा सीट से प्रत्याशी हैं. ओपी चौधरी रायगढ़ से, संयोगिता जूदेव चंद्रपुर से, प्रबल प्रताप सिंह जूदेव कोटा से चुनाव लड़ रहे हैं. जीत का आंकड़ा अगर पिछले चुनाव का देखें तो वो कांग्रेस के पक्ष में नहीं है. लेकिन इस बार कांग्रेस को इतिहास बदलने का भरोसा जरूर है.सत्ता बरकरार रहे इसलिए इस बार जीतने पर धान की कीमत प्रति क्विंटल 3200 करने का वादा किया है. साथ ही किसानों का कर्जा भी माफ करने का भरोसा दिया है.