बिलासपुर : नगरीय निकाय चुनाव 2021 के तहत बिलासपुर शहर के एक ही वार्ड में उपचुनाव होगा. इस वार्ड में कांग्रेस और भाजपा सहित एक निर्दलीय प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं. भले ही यहां एक वार्ड में ही चुनाव होना है. लेकिन दोनों प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस की साख यहां दांव पर लग गई है.
यहां पिछले 40 सालों से कांग्रेस का रहा है दबदबा, क्या इस बार बदलेगा चेहरा...?
प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव (chhattisgarh municipal elections 2021) के साथ ही उपचुनाव भी होने वाला है. उपचुनाव में जिन नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों की मृत्यु या किसी और कारण से सीट खाली हुई है. उन सीटों पर चुनाव कराये जा रहे हैं. बिलासपुर में मात्र एक वार्ड में ही उपचुनाव होना है, लेकिन इस सीट ने प्रदेश के कद्दावर नेताओं की साख दांव पर लगा दी है. बिलासपुर का वार्ड नंबर 29 संजय गांधी वार्ड कांग्रेस का परंपरागत वार्ड रहा है. यहां पिछले 40 सालों से कांग्रेस के ही उम्मीदवार पार्षद बनते आ रहे हैं. पिछले चुनाव में यहां से कांग्रेस के शेख गफ्फार चुनाव जीते थे, लेकिन मतदान के बाद और मतगणना से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई थी. उनकी मृत्यु के बाद वे 2 हजार से भी ज्यादा मतों से विजयी हुए थे. शेख गफ्फार की मृत्यु के बाद से ही यहां पार्षद का पद खाली था.
दोनों पार्टियों के नेताओं ने झोंक दी है ताकत
इस वार्ड में चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस के राज्य स्तर के नेता रोज पहुंचे रहे हैं, जबकि भाजपा गवर्मेंट में 15 साल मंत्री और 20 साल शहर विधायक रहे कद्दावर नेता भी यहां अपना पूरा दमखम लगा रहे हैं. नेताओं की बात करें तो कांग्रेस से राज्य पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, शहर विधायक शैलेश पांडेय, बिलासपुर नगर निगम के महापौर रामशरण यादव को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी मिली है. जबकि भाजपा के पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल इस वार्ड को जीतने अपनी सारी ताकत झोंकने में लग गए हैं.
त्रिकोणीय मुकाबला होने से भी बिगड़ सकता है समीकरण
वार्ड नंबर 29 में कांग्रेस प्रत्याशी शेख असलम, भाजपा प्रत्याशी राजेश रजक के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में इदरीश कुरैशी चुनावी मैदान में हैं. इस वार्ड में 60 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, तो 25 प्रतिशत ओबीसी और 15 प्रतिशत अन्य मतदाता हैं. एक ओर कांग्रेस 60 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं को साधने में लगी है तो भाजपा ओबीसी के साथ-साथ सामान्य मतदाताओं को रिझाने की भरपूर कोशिश कर रही है. इधर, निर्दलीय के तौर पर मुस्लिम उम्मीदवार ने भी चुनाव में अपनी धमक दे दी है. इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार यहां का चुनाव काफी रोमांचक होगा.