बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार को बिलासपुर और रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनियों की ओर से नगर निगम के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या एक शासकीय कंपनी के गठन को जनहित याचिका के जरिए रद्द किया जा सकता है. हाईकोर्ट के इस सवाल के बाद याचिकाकर्ता ने अब जवाब प्रस्तुत करने के लिए 1 हफ्ते का समय मांग लिया है.
याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता विनय दुबे ने जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट में कहा कि स्मार्ट सिटी बिलासपुर और रायपुर लिमिटेड कंपनियों की ओर से लोकतंत्र के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन किया जा रहा है. अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि बिलासपुर और रायपुर नगर निगम में साल 2016 से स्मार्ट सिटी लिमिटेड नामक सरकारी कंपनी कार्यरत है. उनकी ओर से निगम क्षेत्र के बड़े हिस्से में सभी अधिकारों को अपने हाथों में लेकर विकास कार्य किए जा रहे हैं. लेकिन कार्यों से संबंधित कोई भी फाइल निर्वाचित संस्थाएं या व्यक्ति तक नहीं जाती हैं.
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एक हफ्ते बाद होगी सुनवाई
नगर पालिक निगम अधिनियम के तहत महापौर और सभापति को अलग-अलग शक्तियां प्राप्त हैं. लेकिन इन सभी को दरकिनार कर स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनियां अपने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के अनुसार काम कर रही है. इन कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर कोई भी निर्वाचित व्यक्ति नहीं है. बल्कि अधिकारियों को ही यह जिम्मेदारी दी गई है. पूरे मामले में अब एक हफ्ते बाद दोबारा सुनवाई होगी.