बिलासपुर: लॉकडाउन से प्रभावित निर्माणी और अन्य मजदूरों को लेकर दायर याचिका पर शनिवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में कोर्ट की डिवीजन बेंच ने शासन से 3 सप्ताह में जवाब मांगा है. लॉकडाउन के दौरान बंद पड़े निर्माण कार्य अनिश्चित रूप से बंद पड़ने से मजदूरों की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है.
दरअसल, निर्माणी और अन्य मजदूरों के हितों के लिए केंद्र सरकार ने 1996 में अधिनियम बनाया था. जिसके तहत राज्य सरकार 1 प्रतिशत सेस काटती है. जिसे कल्याणकारी कोष में डाला जाता है.
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जिसके चलते हालात को देखते हुए केंद्रीय श्रम मंत्री ने सभी प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को सेस फंड का उपयोग निर्माणी मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद लगभग 17 अलग-अलग राज्यों ने निर्माणी मजदूरों के लिए योजनाएं बनाकर आर्थिक लाभ भी देना शुरू कर दिया है, लेकिन छत्तीसगढ़ शासन ने अभीतक ऐसी कोई योजना शुरू नहीं की है. जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है.
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लॉकडाउन के दौरान बंद पड़े निर्माण कार्य के चलते बड़ी संख्या में देशभर के मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. जिसके चलते उन्हें आर्थिक तंगी की मार झेलनी पड़ रही है. वहीं याचिका में कहा गया है कि कल्याणकारी कोष का पैसा दूसरे कामों के लिए राज्य सरकार ने इस्तेमाल किया है. इस मामले को लेकर मजदूर संघ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसपर मुख्य न्यायाधीश राम चन्द्र मेनन और जस्टिस पी पी साहू की युगल पीठ में सुनवाई हुई और शासन को जवाब देने के लिए 3 सप्ताह का समय दिया गया है.