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उदंती नेशनल पार्क के कब्जाधारियों की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने वन विभाग के पक्ष में दिया फैसला

Chhattisgarh High Court छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उदंती नेशनल पार्क में अवैध कब्जे के मामले में अतिक्रमण कारियों द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही बिलासपुर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आदेश जारी करते हुए वन विभाग को उनके खिलाफ जल्द करवाई करने के निर्देश दिये हैं. Udanti Sitanadi Tiger Reserve

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 8, 2024, 2:02 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में अवैध कब्जे के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आदेश जारी करते हुए उनके खिलाफ जल्द करवाई करने के निर्देश दिये हैं. बिलासपुर हाईकोर्ट ने सभी को जंगल से हटाकर अवैध कब्जा खाली कराने के निर्देश दिए हैं.

कब्जाधारी को वनभूमि खाली करने के निर्देश: कोर्ट में उदंती नेशनल पार्क में अतिक्रमण करने वाले अतिक्रमण कारियों ने दलील दिया कि वे पिछले 30 सालों से इन वन भूमि में रह रहे हैं और वो वन अधिकार पट्टा पाने के अधिकारी हैं. लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज करते हुए वन विभाग द्वारा पेश किए दस्तावेज और सबूत के आधार पर अपना फैसला सुनाया है. बिलासपुर हाईकोर्ट ने माना है कि सभी याचिकाकर्ता अतिक्रमणकारी हैं और पिछले एक दशक में 30 अतिक्रमण कारियों ने कब्जा कर पेड़ों को काटकर रहना शुरू कर दिया है. इस मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने सभी अतिक्रमण कारियों को जंगल से हटाने के निर्देश दिए हैं.

क्या है पूरा मामला: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में 30 लोगों ने जंगल को काटा और अतिक्रमण कर अपना घर बना लिया है. ये सभी पिछले 10 सालों में लगातार पेड़ों की कटाई कर रहे हैं और यहां बसने की फिराक में है. पिछले दिनों अतिक्रमण कारियों को वन विभाग ने वन भूमि खाली करने नोटिस जारी किया था. जिसके बाद अतिक्रमण कारियों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में बताया गया कि वे 25 सालों से भी ज्यादा समय से उस जगह में रह रहे हैं और वन अधिकार पट्टा पाने का अधिकार रखते हैं.

10 जनवरी तक खाली करने होंगे वन भूमि: मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाईयों में वन विभाग से कई जानकारियां मांगी थी. जिस पर वन विभाग ने इसरो उपग्रह इमेजरी के साथ ही कई महत्वपूर्ण दस्तावेज पेश किया. सबूतों के आधार पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने माना कि सभी याचिकाकर्ता अतिक्रमणकारी हैं और पिछले एक दशक में ही यहां बसे हैं. बिलासपुर हाईकोर्ट ने यह पाया कि सभी याचिकाकर्ता कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. उनके द्वारा दावा की गई वन भूमि को लेकर सबूत या स्वामित्व दस्तावेज भी नहीं हैं. बिलासपुर हाईकोर्ट ने वन विभाग द्वारा पेश किए सबूत और दस्तावेज के आधार पर निर्देश जारी कर सभी अतिक्रमण को 10 जनवरी तक वन भूमि से हटाने की कार्रवाई करने के आदेश वन विभाग को दिए हैं.

कहां से आये हैं सभी अतिक्रमणकारी: 30 अतिक्रमणकारियों में से 23 ओडिशा के, दो कोंडागांव और पांच गरियाबंद जिले के रहने वाले थे. ये सभी उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में सीतानादी के किनारे बसे हैं. अतिक्रमणकारियों द्वारा लगभग 50 लाख रुपय मूल्य के लगभग 300 पेड़ काट दिए गए थे. वन विभाग द्वारा अतिक्रमणकारियों को पहले ही हटाया गया, जिससे 70 हेक्टेयर मूल्यवान वन भूमि साफ हो गई.

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बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में अवैध कब्जे के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आदेश जारी करते हुए उनके खिलाफ जल्द करवाई करने के निर्देश दिये हैं. बिलासपुर हाईकोर्ट ने सभी को जंगल से हटाकर अवैध कब्जा खाली कराने के निर्देश दिए हैं.

कब्जाधारी को वनभूमि खाली करने के निर्देश: कोर्ट में उदंती नेशनल पार्क में अतिक्रमण करने वाले अतिक्रमण कारियों ने दलील दिया कि वे पिछले 30 सालों से इन वन भूमि में रह रहे हैं और वो वन अधिकार पट्टा पाने के अधिकारी हैं. लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज करते हुए वन विभाग द्वारा पेश किए दस्तावेज और सबूत के आधार पर अपना फैसला सुनाया है. बिलासपुर हाईकोर्ट ने माना है कि सभी याचिकाकर्ता अतिक्रमणकारी हैं और पिछले एक दशक में 30 अतिक्रमण कारियों ने कब्जा कर पेड़ों को काटकर रहना शुरू कर दिया है. इस मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने सभी अतिक्रमण कारियों को जंगल से हटाने के निर्देश दिए हैं.

क्या है पूरा मामला: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में 30 लोगों ने जंगल को काटा और अतिक्रमण कर अपना घर बना लिया है. ये सभी पिछले 10 सालों में लगातार पेड़ों की कटाई कर रहे हैं और यहां बसने की फिराक में है. पिछले दिनों अतिक्रमण कारियों को वन विभाग ने वन भूमि खाली करने नोटिस जारी किया था. जिसके बाद अतिक्रमण कारियों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में बताया गया कि वे 25 सालों से भी ज्यादा समय से उस जगह में रह रहे हैं और वन अधिकार पट्टा पाने का अधिकार रखते हैं.

10 जनवरी तक खाली करने होंगे वन भूमि: मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाईयों में वन विभाग से कई जानकारियां मांगी थी. जिस पर वन विभाग ने इसरो उपग्रह इमेजरी के साथ ही कई महत्वपूर्ण दस्तावेज पेश किया. सबूतों के आधार पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने माना कि सभी याचिकाकर्ता अतिक्रमणकारी हैं और पिछले एक दशक में ही यहां बसे हैं. बिलासपुर हाईकोर्ट ने यह पाया कि सभी याचिकाकर्ता कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. उनके द्वारा दावा की गई वन भूमि को लेकर सबूत या स्वामित्व दस्तावेज भी नहीं हैं. बिलासपुर हाईकोर्ट ने वन विभाग द्वारा पेश किए सबूत और दस्तावेज के आधार पर निर्देश जारी कर सभी अतिक्रमण को 10 जनवरी तक वन भूमि से हटाने की कार्रवाई करने के आदेश वन विभाग को दिए हैं.

कहां से आये हैं सभी अतिक्रमणकारी: 30 अतिक्रमणकारियों में से 23 ओडिशा के, दो कोंडागांव और पांच गरियाबंद जिले के रहने वाले थे. ये सभी उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में सीतानादी के किनारे बसे हैं. अतिक्रमणकारियों द्वारा लगभग 50 लाख रुपय मूल्य के लगभग 300 पेड़ काट दिए गए थे. वन विभाग द्वारा अतिक्रमणकारियों को पहले ही हटाया गया, जिससे 70 हेक्टेयर मूल्यवान वन भूमि साफ हो गई.

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