बिलासपुर: राज्य में कोरोना के हालात को लेकर हाईकोर्ट लगातार सुनवाई कर रहा है. (Hearing on situation of Corona) हाईकोर्ट ने मौजूदा हालात पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से कोरोना टीकाकरण अभियान (corona vaccination campaign ) की मौजूदा नीति को लेकर स्पष्ट जवाब मांगा है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य स्तरीय वैक्सीन सर्टिफिकेट वितरण में गड़बड़ियों को जल्द से जल्द ठीक करने का भी आदेश राज्य सरकार को दिया है. (State Level Corona Vaccine Certificate Distribution) मामले में अगले हफ्ते में दोबारा सुनवाई होगी.
छ्त्तीसगढ़ सरकार को शपथ पत्र पेश करने का आदेश
छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट(Chhattisgarh High Court) ने सुनवाई के दौरान वैक्सीन सर्टिफिकेट को लेकर हो रही समस्याओं पर संज्ञान लिया. दरअसल वैक्सीनेशन के बाद मिलने वाली सर्टिफिकेट को लेकर कई लापरवाही सामने आई थी. कई लोगों को सर्टिफिकेट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. इसके अलावा कई जगहों पर कोवैक्सीन लगवाने वाले लोगों को कोविशील्ड का सर्टिफिकेट थमा दिया गया है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि, ऐसे मामलों को जल्द से जल्द ठीक किया जाए. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अगले हफ्ते तक शपथ पत्र पेश करने का आदेश जारी किया है.
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बार काउंसिल की मांग पर कोई निर्देश नहीं
छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल की तरफ से वकीलों के लिए अलग से टीकाकरण केंद्र शुरू करने की मांग उठाई गई. इसके साथ ही बार काउंसिल की तरफ से कहा गया की जहां पर वकीलों को टीके लग रहे हैं, वहां उन्हें सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जा रहा है. स्टेट बार काउंसिल की मांगों को लेकर हाईकोर्ट ने कोई भी अलग से दिशा-निर्देश जारी करने से इंकार किया है.
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टीकाकरण नीति को लेकर स्पष्ट जवाब नहीं दे पाई सरकार
वैक्सीनेशन का तीसरा चरण 1 मई से शुरू किया गया है. इसके तहत 18 से 45 साल आयु वर्ग के लोगों के कोरोना वैक्सीनेशन की प्रक्रिया छत्तीसगढ़ में शुरू की गई. छत्तीसगढ़ में 18 से 45 वर्ष के लोगों के वैक्सीनेशन में वर्गीकरण किया गया.
- सरकार के आदेश के मुताबिक छत्तीसगढ़ में पहले अंत्योदय कार्ड धारियों यानी कि अति गरीब परिवारों को वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाएगी. इसके बाद बीपीएल (Below Poverty Line) कार्ड धारकों और एपील (Above Poverty Line ) कार्ड धारकों को वैक्सीन का लाभ मिलेगा. इस प्रक्रिया के तहत प्रदेश के सभी जिलों में 1 और 2 मई से वैक्सीनेशन शुरू कर दिया गया था.
- इसे चुनौती देते हुए दायर याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने सख्त टिप्पणी की थी. हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार की ओर से वैक्सीनेशन में वर्गीकरण करना न्यायोचित नहीं है. वैक्सीनेशन को लेकर नीति तय करने का अधिकार केंद्र सरकार को है ना कि राज्य सरकार को. राज्य सरकार की गरीबों तक लाभ पहुंचाने की मंशा सही है. लेकिन सभी का टीकाकरण हो सके इसके लिए ठोस नीति की जरूरत है.
- कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से ठोस नीति प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने कहा था कि ठोस नीति न पेश कर पाने की स्थिति में राज्य सरकार का यह आदेश हम रद्द कर देंगे.
- इसके बाद सुनवाई में 18+ टीकाकरण को लेकर सरकार की ओर से पेश किए गए शपथ पत्र पर हाईकोर्ट ने फिर कड़ी नाराजगी जताई थी. छत्तीसगढ़ सरकार ने हाईकोर्ट में जो अपना पिछला शपथ पत्र पेश किया था, उसमें सरकार की ओर से कहा गया था कि उन्होंने टीकाकरण अभियान में कभी भी वर्गीकरण नहीं किया. जिसपर पर कोर्ट ने राज्य सरकार को उन्हे गुमराह ना करने की बात कही थी. और 4 जून को दूसरा शपथ पत्र पेश करने को कहा था.
- 17 मई को हुई सुनवाई में भी कोर्ट ने वैक्सीन के डोज की बर्बादी को लेकर नाराजगी जताई है. मामले में कोर्ट ने दो दिन के भीतर सरकार को शपथ पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे.