गौरेला पेंड्रा मरवाही: आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के गुरुकुल मैदान में ध्वजारोहण किया. विधानसभा अध्यक्ष के साथ मरवाही विधायक के के ध्रुव और कलेक्टर की भी यहां मौजूदगी थी. सैकड़ों छात्रों एवं आम नागरिकों की मौजूदगी में ध्वजारोहण हुआ. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने परेड का निरीक्षण करते हुए आम लोगों का अभिवादन भी किया..
पेंड्रा से निकला छत्तीसगढ़ का प्रथम अखबार: अपने भाषण में विधानसभा अध्यक्ष ने पेंड्रा से निकले प्रथम अखबार का जिक्र करते हुए इस धरती को नमन किया. साथ ही कहा कि "इसी धरती पर कबीर दास के साथ ही राष्ट्रकवि गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर अपनी पत्नी का इलाज कराने आ चुके हैं एवं उन्होंने यहां काफी लंबा समय गुजारा था. माधवराव सप्रे ने पहला अखबार पेंड्रा की धरती से निकाला था.
पेंड्रा के शहीदों को किया याद: विधानसभा अध्यक्ष ने जिले के स्वतंत्रता सेनानी गया प्रसाद केसरी, करराव बापूराव, अमर सिंह भवानी, हीरालाल रामप्रसाद , लालचंद जैन, महिपत सिंह राणा, बलदेव सिंह, ईश्वर सिंह, भगवानदीन गोटिया और झंडूलाल जैन को याद किया. साथ ही उन्होंने स्मरण करते हुए कहा कि "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा देने वाले स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के परम प्रिय साथी लालचंद जैन इसी धरती से थे. आज हम जो आजादी के खुले वातावरण में सांस ले रहे हैं, उसका पूरा श्रेय हमारे महान देशभक्त शहीदों को जाता है. उनका अतुलनीय योगदान है, जिसके लिए हम ऋणी हैं.
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गरम दल और नरम दल के नेताओं का किया जिक्र: देश की आजादी में दोनों ही विचारधाराओं से देश के लाखों देश भक्त जुड़े और उन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया. गरम दल में मंगल पांडे, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मीबाई और वीरांगना अवंतीबाई जैसे हजारों देश भक्तों ने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया. वहीं आजादी की लड़ाई के लिए नरम दल के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, डॉ भीमराव अंबेडकर, लाल बहादुर शास्त्री, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे महान नेताओं ने अपने जीवन का सर्वस्व देश की आजादी के लिए समर्पित किया.
शहीद वीर नारायण सिंह को किया नमन: अतीत के गर्भ से वर्तमान का जन्म होता है या सदैव स्मरण रखना चाहिए. यह सब देश के भक्तों के समर्पण एवं बलिदान से ही संभव हो सका है. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़ क्षेत्र की भूमिका एवं उनके योगदान को ही रखना चाहूंगा. आजादी की लंबी लड़ाई में राष्ट्रीय आंदोलन की चेतना से छत्तीसगढ़ को जोड़ने के लिए अनेक क्रांतिवीर और मनीषियों के योगदान से इस माटी का सम्मान बढ़ा है. 1818 अबूझमाड़ इलाके से अगेन सिंह के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका गया. शहीद वीर नारायण सिंह ने अपने प्राणों का बलिदान दिया. यह बूम काल का आंदोलन था, जिन्होंने अंग्रेजी शासन की नींव हिला दी.
कांग्रेस ने प्रदेश में लाया बदलाव: विगत 3 वर्षों में छत्तीसगढ़ के राज्य सरकार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश में सफलता और सम्मान के अनेक सोपानों को गढ़ा है. राज्य के अन्नदाता किसान भाई बहनों के लिए अनुकूल वातावरण देते हुए किसानों के हित में सरकार ने अनेक महत्वाकांक्षी निर्णय लिए हैं. जिसका सुखद परिणाम राज्य की खुशहाली के रूप में प्राप्त हो रहा है. राजीव गांधी किसान न्याय योजना से भी बदलाव आ रहा है. लोगों को फायदा हो रहा है