बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले को न्यायधानी कहा जाता है. यहां कुल 6 विधानसभा सीटें हैं. 3 सीटों पर भाजपा, 2 सीटों पर कांग्रेस और 1 सीट पर जेसीसीजे काबिज है. यहां से भाजपा शासनकाल में 15 सालों में कई मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संसदीय सचिव रहे हैं. अमर अग्रवाल 2003 से लेकर 2018 तक 15 साल मंत्री रहे. बेलतरा विधानसभा के विधायक बद्रीधर दीवान 2013 से 2018 तक विधानसभा उपाध्यक्ष रहे, मस्तूरी विधायक कृष्णमूर्ति बांधी 2003 से 2008 तक स्वास्थ्य मंत्री रहे, बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक 2008 से 2013 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे. पिछले विधानसभा चुनाव में जब कई दिग्गजों को हार का मुंह देखना पड़ा, तब बदलाव की बयार में भी भाजपा ने जिले के 3 सीट पर अपना कब्जा कायम रखा था.
शुरू से लेकर अब तक रहे विधायक: यहां के पहले विधायक बनने का श्रेय पंडित शिव दुलारे मिस्र को 1952 में मिला था. वे 1957 के चुनाव में भी दोबारा जीते. इसके बाद उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा और कांग्रेस से रामचरण राय विधायक हुए. बिलासपुर में कांग्रेस की इतनी जबरदस्त पकड़ थी, कि इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में जब पूरे देश में कांग्रेस को करारी हार मिली थी, तब भी बिलासपुर से कांग्रेस के विधायक बीआर यादव ने जीत दर्ज की थी. 1977 के बाद लगातार तीन बार बीआर यादव बिलासपुर से विधायक बने और मध्यप्रदेश के कद्दावर मंत्री रहे.
1998 में पहली बार अमर अग्रवाल बने विधायक: जिले की दूसरी सीटों से राजेंद्र शुक्ला, चित्रकांत जायसवाल, बंशीलाल घृतलहरे, अशोक राव जैसे कांग्रेस के कई मंत्री-नेता यहीं से हुए. 1990 के चुनाव में पहली बार भाजपा ने कांग्रेस के बीआर यादव को हराकर बिलासपुर सीट जीती. मूलचंद खंडेलवाल यहां से विधायक बने. वे भी मंत्रीमंडल में शामिल किए गए, लेकिन कांग्रेसी प्रभाव वाली इस सीट को खंडेलवाल 1993 में हुए चुनाव में बचा नहीं पाए. बीआर यादव यहां से चौथी बार विधायक चुन लिए गए. 1998 में पहली बार अमर अग्रवाल विधायक बने और लगातार 4 बार 2018 तक विधायक रहे.
साल 2018 विधानसभा चुनाव परिणाम: 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा के अमर अग्रवाल और कांग्रेस के शैलेश पांडेय के बीच चुनाव हुआ था. इस चुनाव में शैलेश पांडेय ने अमर अग्रवाल को करारी हार दी थी. शैलेश पांडेय ने 11000 से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी. शैलेश पांडेय को 67896 वोट मिले थे. जिनका वोट प्रतिशत 50.57 था. अमर अग्रवाल को 56675 वोट मिले थे. वोट प्रतिशत 42.22 था.
साल 2013 विधानसभा चुनाव परिणाम: 2013 विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने अमर अग्रवाल को ही टिकट दिया था. कांग्रेस से वाणी राव चुनाव में खड़ी हुई ती. भाजपा के अमर अग्रवाल ने वाणी राव को 15 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था. अमर अग्रवाल को 72255 मिले थे. वोट प्रतिशत 53.22 प्रतिशत था. वाणी राव को 56656 वोट मिले थे. वोट प्रतिशत 41.73 प्रतिशत था.
टिकट के लिए चक्कर लगा रहे नए और पुराने नेता: कुछ ही महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा में बिलासपुर नगर विधानसभा की सीट को लेकर खींचतान भी शुरू हो गई है. लगभग आधा दर्जन उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी को लेकर आश्वस्त हैं.लगातार बड़े नेताओं के चक्कर काट रहे हैं. बिलासपुर विधानसभा के पूर्व विधायक अमर अग्रवाल लगातार चार बार विधायक रहे और इस बार भी टिकट के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं जबकि भाजपा प्रदेश प्रभारियों ने हारे हुए और सुस्त विधायकों को टिकट नहीं देने का इशारा कर दिया है.
बिलासपुर की प्रोफाइल: बिलासपुर शहर विधानसभा की आबादी लगभग 3 लाख 59 हजार 630 के आसपास है. पुरुष की संख्या 180895, महिलाओं की संख्या 178735 है. बिलासपुर विधानसभा में 243118 मतदाता हैं. जिनमे पुरुष मतदाता 120642 और महिला मतदाता 122476 है. 2011 के जनगणना की बात करें तो बिलासपुर विधानसभा में 17 जाति वर्गो में कुल वोटों का आधा हिस्सा मुस्लिम, ब्राह्मण, सिंधी समाज, पंजाबी, हरिजन समाज के पास है.
बिलासपुर शहर में मुस्लियम वोटर सबसे ज्यादा: बिलासपुर विधानसभा में सबसे ज्यादा संख्या मुस्लिम व ब्राह्मण समाज की है. 2011 की जनगणना के मुताबिक इनमें भी मुस्लिम मतदाता ज्यादा है. शहर के कुल 243118 मतदाताओं में 12 प्रतिशत यानी लगभग 26 हजार वोट मुस्लिमों के पास हैं. ब्राह्मण समाज के पास 24 हजार और हरिजन समाज के पास 21 हजार वोट हैं. 21 हजार सिंधी समाज के वोटर हैं. 16500 वोट पंजाबी समाज के पास हैं. यानी कुल वोटों का आधा हिस्सा इन 5 वर्गो के पास है. जबकि बाकी वोट अन्य 12 वर्गो के पास है. जिनमें महार, महाराष्ट्रीयन, मराठा, बंगाली, साहू, गुजराती, मारवाड़ी, यादव, क्रिश्चियन शामिल हैं.
क्या हैं मुद्दे और समस्याएं: बिलासपुर विधानसभा सीट प्रदेश की सामान्य सीट है. आजादी के बाद से लेकर अब तक यहां के चुनावी मुद्दे मूलभूत समस्याएं ही रहे हैं. शहर में नई सड़क बनाने का मुद्दा पुराना है. शहर के व्यस्ततम इलाकों में फ्लाई ओवर की डिमांड है लेकिन अब तक ऐसी सड़कों का निर्माण नहीं हो सका है.