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जांजगीर-चांपा : चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया छेरछेरा त्योहार

प्रदेश का पारंपरिक लोक त्योहार छेरछेरा को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.

Chharchera festival celebrated with great pomp in Chandrapur assembly constituency
चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र में बड़ी धूमधाम से मनाया गया छेरछेरा का त्योहार
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Published : Jan 10, 2020, 9:30 PM IST

जांजगीर-चांपा : चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र और ग्रामीण अंचलों में शुक्रवार को छेरछेरा का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. छेरछेरा त्योहार के मद्देनजर क्षेत्र में लगभग 1 महीने पहले से ही ग्रामीणों और युवाओं की तरफ से डंडा नृत्य करने का सिलसिला जारी रहता है. ये परंपरा बरसों से चली आ रही है. सालभर की मेहनत के बाद मिलने वाली फसल को समेटने की खुशी में किसान ये त्योहार मनाते हैं.

प्रेम प्रदर्शन का प्रतीक है छेरछेरा

परंपरा के मुताबिक जब किसान अपनी फसल को प्राप्त कर उसे कोठी में भरता है, तो गांव के लोग उसमें से कुछ धान की मांग करते हैं, जिसे वह खुशी-खुशी मुट्ठी भर दे देता है. छेरछेरा एक-दूसरे के साथ खुशी बांटने और प्रेम प्रदर्शन का प्रतीक है.

ग्रामीणों का मानना है कि कोठी का धान बांटने से कोठी में धान हमेशा भरा रहता है. वैसे तो मांगने वालों में बच्चों की संख्या ज्यादा होती है, लेकिन बड़े-बुजुर्ग और महिला सभी वर्ग के लोग टोली बनाकर 'छेरछेरा-छेरछेरा माई कोठी के धान ल हेर-हेरा' बोल कर छेरछेरा मांगते हैं.

पढ़े: जांजगीर-चांपा: पामगढ़ में मनाया गया छेरछेरा, लोगों में दिखा उत्साह

पौष पूर्णिमा के दिन को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक त्योहार के रूप में मनाया जाता है. आज के दिन गांव- गांव में बच्चे और बूढ़े घर-घर जाकर छेरछेरा मांगते हैं, जिसमें उन्हें दान के रूप में रुपए और धान मिलता है. आज के दिन को अन्न दान के रूप में मनाने की मान्यता है. इस कारण शुक्रवार को जांजगीर-चांपा जिले के चन्द्रपुर क्षेत्र के सभी गांव में छेरछेरा को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया. पौष पूर्णिमा के आने से लगभग 15 दिन पहले ही गांव के लोग टोली बनाते हैं.

जांजगीर-चांपा : चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र और ग्रामीण अंचलों में शुक्रवार को छेरछेरा का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. छेरछेरा त्योहार के मद्देनजर क्षेत्र में लगभग 1 महीने पहले से ही ग्रामीणों और युवाओं की तरफ से डंडा नृत्य करने का सिलसिला जारी रहता है. ये परंपरा बरसों से चली आ रही है. सालभर की मेहनत के बाद मिलने वाली फसल को समेटने की खुशी में किसान ये त्योहार मनाते हैं.

प्रेम प्रदर्शन का प्रतीक है छेरछेरा

परंपरा के मुताबिक जब किसान अपनी फसल को प्राप्त कर उसे कोठी में भरता है, तो गांव के लोग उसमें से कुछ धान की मांग करते हैं, जिसे वह खुशी-खुशी मुट्ठी भर दे देता है. छेरछेरा एक-दूसरे के साथ खुशी बांटने और प्रेम प्रदर्शन का प्रतीक है.

ग्रामीणों का मानना है कि कोठी का धान बांटने से कोठी में धान हमेशा भरा रहता है. वैसे तो मांगने वालों में बच्चों की संख्या ज्यादा होती है, लेकिन बड़े-बुजुर्ग और महिला सभी वर्ग के लोग टोली बनाकर 'छेरछेरा-छेरछेरा माई कोठी के धान ल हेर-हेरा' बोल कर छेरछेरा मांगते हैं.

पढ़े: जांजगीर-चांपा: पामगढ़ में मनाया गया छेरछेरा, लोगों में दिखा उत्साह

पौष पूर्णिमा के दिन को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक त्योहार के रूप में मनाया जाता है. आज के दिन गांव- गांव में बच्चे और बूढ़े घर-घर जाकर छेरछेरा मांगते हैं, जिसमें उन्हें दान के रूप में रुपए और धान मिलता है. आज के दिन को अन्न दान के रूप में मनाने की मान्यता है. इस कारण शुक्रवार को जांजगीर-चांपा जिले के चन्द्रपुर क्षेत्र के सभी गांव में छेरछेरा को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया. पौष पूर्णिमा के आने से लगभग 15 दिन पहले ही गांव के लोग टोली बनाते हैं.

Intro:स्लाग:- *छेरछेरा-छेरछेरा माई कोठी के धान ल हेरते हेरा*



एंकर:- जिले के सबसे बड़े त्यौहार छेरछेरा त्योहार चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र एवं ग्रामीण अंचलों में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया दरअसल छेरछेरा त्यौहार के मद्देनजर क्षेत्र में लगभग 1 माह पहले से डंडा नृत्य ग्रामीण युवाओं द्वारा करने का सिलसिला जारी रहता है यह परंपरा बरसों से चली आ रही है परम्परा हैं साल भर की मेहनत के बाद प्राप्त होने वाली फसल को समेटने की खुशी में किसानों द्वारा यह त्यौहार मनाया जाता है परंपरा के अनुसार कृषक अपने धान की फसल से प्राप्त धान को अपनी कोठी में रखता है कोठी में रखने के बाद किसान को जो सुख मिलता है वह देखने लायक होता है इसी को वह अपने पड़ोसी रिश्तेदार व ग्रामवासियों के साथ मिलकर मनाते है इसी को छेरछेरा कहते हैं आज त्यौहार के बारे में वर्णित है कि अनुसार जब किसान अपनी फसल प्राप्त कर उसे कोठी में भरता है तो गांव के लोग उसमें से कुछ धान की मांग करते हैं जिसे वह खुशी-खुशी मुट्ठी भर दे देता है एक दूसरे के साथ खुशी बांटने एवं प्रेम प्रदर्शन का प्रतीक है ग्रामीणों का मानना है कि कोठी के धान बाटने से कोठी में धान हमेशा भरा रहता है वैसे तो मांगने वालों में बच्चों की संख्या ज्यादा होती है पर बड़े बुजुर्ग महिला गरीब सभी वर्ग के लोग सभी टोली बनाकर छेरछेरा के दिन कोठी के धान को मांगते हैं इसमें शर्माने या बुरा मानने की कोई बात नहीं होती आज पुषपुन्नी है और पुषपुन्नी के दिन को छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े त्योहार के रूप में माना जाता है आज के दिन गांव- गांव में बच्चो एवं बुढो के द्वारा घर-घर जाकर छेरछेरा मांगा जाता है, जिसमें उन्हें दान के रूप में रुपया पैसा और धान मिलते हैं, आज के दिन को अन्न दान के रुप में मान्यता है इसी के चलते आज जांजगीर-चांपा जिले में चन्द्रपुर क्षेत्र के सभी गांव में छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े त्यौहार छेरछेरा को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जा रहा है, पुषपुन्नी पूर्णिमा के आने से पहले ही लगभग 15 दिन के पूर्व गांव के लोगों के द्वारा टोली बनाया जाता है, । वही इस में बच्चे बूढ़े एवं हर उम्र के लोगों के द्वारा घर-घर जाकर छेरछेरा मांगा जाता है जिसमें उन्हें धान व रुपए पैसे मिलते हैं।

बाइट÷ ममता साहू लाल टी शर्ट में
बाइट÷संदीप बरेठ सफेद टी शर्ट में
बाइट÷ नरेंद्र सिदार काला शर्ट मेंBody:गConclusion:ब
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