बिलासपुर: उत्तर प्रदेश से भिक्षावृत्ति के लिए छत्तीसगढ़ लाए गए दो हाथियों को जब्त करने और फिर उन्हें महावतों को सौंपने के मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य शासन से जवाब मांगा है. कोर्ट ने 6 सप्ताह के अंदर पूरी रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
क्या है पूरा मामला: जून–जुलाई 2019 में उत्तर प्रदेश से कुछ लोग भिक्षावृत्ति के लिए दो हाथी रायपुर लेकर आए थे. इस मामले की शिकायत पीपल फॉर एनिमल संस्था की कस्तूरी बलाल ने वन विभाग से की. महावतों ने हाथियों के लिए जारी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये. इनमें से एक हाथी अंधा था और उसे पैदल चलाकर उत्तर प्रदेश से रायपुर लाया गया था. दोनों हाथी में चिप भी नहीं लगा था, जबकि यह अनिवार्य है. हाथियों को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश लाने–ले जाना के लिए वन विभाग अधिनियम के तहत इसे अवैधानिक करार दिया गया था. इस मामले की शिकायत की जांच के बाद रायपुर वन मंडल ने दोनों हाथियों को अपनी कस्टडी में ले लिया और अधिनियम 1972 की धारा 48 ए के तहत अपराध पंजीबद्ध किया.
फिर क्या हुआ: रायपुर वन मंडल ने मामले में कार्रवाई करते हुए महावतों पर 25–25 हजार रुपये का जुर्माना लगाकर दोनों हाथियों को महावतों को सौंप दिया. दोनों महावत हाथियों को लेकर वापस उत्तर प्रदेश चले गए.
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी रिपोर्ट: जिसके बाद रायपुर की संस्था पीपल फॉर एनिमल ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की. जिसमें बताया गया कि छत्तीसगढ़ के मुख्य वन संरक्षक की अनुमति के बिना महावत हाथियों को छत्तीसगढ़ से लेकर गए जबकि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 48 ए में इस बात का प्रावधान है कि मुख्य वन्य जीव संरक्षक की अनुमति के बिना अनुसुचित एक का वन्य जीव एक राज्य से दूसरे राज्य नहीं लाया जा सकता. इस मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.