बिलासपुर: बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए राज्य सरकार ने एक अनोखी पहल की है. अब अरपा नदी के दोनों किनारों पर मिलेट्स की खेती करने की योजना राज्य सरकार बना रही है. इस योजना के तहत अरपा नदी के किनारे मिलेट्स की खेती की जाएगी, ताकि आसपास के ग्रामीणों को इस फसल से आर्थिक लाभ मिल सके.
उपजाऊ है अरपा नदी की मिट्टी: अरपा नदी के किनारे मिट्टी और रेत दोनों होने की वजह से यहां की मिट्टी काफी उपजाऊ है. जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने ऐसा फैसला लिया है. ऐसा करने से अरपा नदी में रेत के अवैध उत्खनन पर रोक लगेगी.
पहले भी होती थी खेती: पहले भी अरपा नदी के किनारे ककड़ी, खीरा, कलिंदर जैसे मौसमी फल और फूल की खेती होती थी. अब मिलेट्स की खेती करने की योजना तैयार की जा रही है. ताकि मिलेट्स की खेती को बढ़ावा मिल सके और किसान कम खर्च में अधिक लाभ ले सके.
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किसानों को होगा अधिक मुनाफा: राज्य सरकार की तरफ से की गई पहल अगर कामयाब होती है तो गरीब किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा होगा. इतना ही नहीं अरपा नदी के दोनों किनारों में हो रहे बेजा कब्जे को भी रोका जा सकेगा. जिससे अरपा नदी का अस्तित्व भी बचा रहेगा.
अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण के तहत होगा विकास: राज्य सरकार ने पिछले दिनों अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण का गठन किया था. गठन के बाद से ही अध्यक्ष प्रदीप शर्मा और उपाध्यक्ष अभय नारायण राय लगातार अरपा के विकास को लेकर योजना बना रहे थे. इसके तहत नदी के दोनों किनारों का निरीक्षण कर लगभग 80 करोड़ रुपए से अरपा के विकास को लेकर कार्य योजना तैयार किया जा रहा है. नदी के दोनों किनारों पर खेती को प्रोत्साहित करने के साथ ही वॉल तैयार करने और कटाव को रोकने के लिए योजना तैयार की जा रही है.
मिलेट्स फसलों की होगी खेती : उपाध्यक्ष अभय नारायण राय ने बताया कि अरपा विकास प्राधिकरण के गठन का प्रमुख उद्देश्य नदी के किनारे के जितने गांव हैं, वहां तक पहुंचकर अरपा को सुंदर और सुरक्षित बनाना है. कृषि महाविद्यालय के डीन के साथ बैठक कर अरपा के दोनों किनारे की उपजाऊ जमीन पर मिलेट्स की खेती की हमने बात की है. पहले भी नदी के पठार पर ज्वार, बाजरा, भुट्टा की खेती होती थी. अब रागी से लेकर सभी मिलेट्स फसलों की खेती होगी.
रेत के अवैध उत्खनन से खतरे में अरपा का अस्तित्व: गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले से निकलने वाली अरपा नदी शिवनाथ नदी में जाकर मिलती है. अरपा नदी करीब 200 किलोमीटर का सफर तय कर शिवनाथ नदी में मिल जाती है. अरपा नदी में रेत ज्यादा है. यहां कई सालों से अवैध उत्खनन हो रहा है. यही वजह है कि साल भर बहने वाली अरपा नदी अब बारिश में ही बहती है. इसके अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है. अरपा बेसिन के सदस्य महेश दुबे का कहना है कि ''अरपा बेसिन को बचाने की योजना तैयार की जा रही है. इसी के तहत मिलेट्स की खेती करने की योजना हमने बनाई है.''