बिलासपुर: पुराने समय से लेकर अब तक जहां साईं भक्त उनके प्रति आस्था और विश्वास बनाए हुए हैं. वहीं बाबा भी भक्तों पर अपना आशीर्वाद उनके साथ सदैव बरकरार रखे हुए. बिलासपुर के सरकंडा में साई दरबार का निर्माण हुए कुछ ही वर्ष हुए हैं. लेकिन साईं बाबा की महिमा और उनके चमत्कार ने भक्तों की नैय्या पार कर उनके विश्वाश को अटूट कर दिया है. शिर्डी वाले सांई बाबा के मंदिर देश से लेकर विदेशों में स्थित है. सभी जगह बाबा भक्तों को आशीर्वाद देकर उनके तारणहार बने हुए हैं. बिलासपुर शहर में भी कई साईं दरबार हैं. सभी जगह साईं बाबा भक्तों के भक्ति से खुश होकर अपना आशीर्वाद कायम रखे है.
हर गुरुवार भक्ति की बहती है बयार: सरकंडा के इंदिरा विहार कॉलोनी के सामने साईं धाम है. इंदिरा विहार एसईसीएल की रहवासी कॉलोनी है, जहां लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. मंदिर निर्माण के बाद आम लोगों के साथ ही एसईसीएल कर्मी मंदिर में पूजा करने पहुंचते हैं. यहां हर गुरुवार की सुबह से ही साईं भक्तों का तांता लग जाता है. आसपास के लोग सुबह से शाम तक मंदिर पहुंचते हैं और साईं दर्शन कर पूजा-अर्चना कर अपने लिए मनोकामना का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. साईं भक्त यहां भंडारा के साथ ही अन्य चीजों का भोग लगाकर प्रसाद वितरण करते हैं. लोग सुबह से शाम तक साईं बाबा की भक्ति में डूबे रहते हैं.
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मंदिर के पुजारी स्वप्निल गौरहा ने बताया कि "कुछ ही वर्ष हुए हैं मंदिर के निर्माण हुए और यहां भक्तों की भीड़ इतनी होती है कि वे भी सोच में पड़ जाते हैं कि साईं बाबा ने कितने लोगों का बेड़ा पार लगाया है. भक्त उनके प्यार और आशीर्वाद से अभिभूत उनकी भक्ति में लीन रहते हैं."
निर्माण में व्यवधान डालने वाले ने खुद निर्माण के लिए साथ दिया: भक्त अमित तिवारी मंदिर निर्माण कराने जी जान से लग गया. मंदिर निर्माण करवाने वाले अमित तिवारी ने बताया कि "साईं बाबा ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वह मंदिर निर्माण करवाएं और किसी बात की कोई समस्या निर्माण के दौरान आएगी तो मन में साईं बाबा को याद करने कहा. साईं बाबा के आदेश के अनुसार भक्त अमित तिवारी ने मंदिर निर्माण शुरू किया.लेकिन जमीन के विवाद को लेकर नगर निगम ने इसे रोकने की कोशिश की. तब भक्त अमित तिवारी ने साईं बाबा को दिल से याद किया और मंदिर निर्माण में आ रही परेशानी को दूर करने कहा. फिर अपने आप ही समस्या दूर हो गई, जिस अधिकारी ने मंदिर के निर्माण को रोकने आदेश दिया था, उसी अधिकारी ने फिर मंदिर पहुंचकर निर्माण शुरू करवाया. "