बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में गुरुवार को बड़ा रेल हादसा हुआ. मालगाड़ी के 12 डब्बे बेपटरी हो गए. ये मालगाड़ी बिलासपुर से रायगढ़ जा रही थी. अकलतरा और नैला रेलवे स्टेशनों के बीच अकलतरा ईस्ट केबिन के पास इस मालगाड़ी के कई डब्बों ने पटरी छोड़ दिया. दरअसल क्षमता से ज्यादा मालगाड़ी अक्सर इसी रूट पर चलती है. ज्यादा ट्रेनों के परिचालन के कारण यहां की पटरियों पर दबाव पड़ता है. यही वजह है कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन और मुंबई हावड़ा रूट पर मालगाड़ी के डिब्बे डिरेल हो जाते हैं.
बेपटरी हो रहे ट्रेन के डब्बे: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का रेल लाइन हावड़ा मुंबई रूट का मेन लाइन है. यहां से ट्रेनों के परिचालन के साथ मालगाड़ियों के परिचालन को काफी महत्व दिया जाता है. इस लाइन में मुंबई से लेकर हावड़ा तक और अन्य जोन में जाने के लिए रेल लाइन की सुविधा है. यही कारण है कि इस लाइन को पूरे देश में बिजी लाइन का नाम दिया गया है. इसका देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान है. यही वजह है कि इस रूट पर ट्रेनों का दबाव काफी ज्यादा होता है, जिससे डिरेल जैसी समस्या हमेशा बनी रहती है.
रोजाना रहता है रेल ट्रैफिक का दबाव: मुंबई–हावड़ा रूट देश की व्यस्त रेल लाइन में शामिल है. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन का सबसे महत्वपूर्ण जोन ये माना जाता है. यहां रोजाना ही डेढ़ सौ मालगाड़ी और 165 यात्री ट्रेन गुजरती है. ऐसे में इस रूट में हादसे अब काफी बढ़ गए हैं. माल गाड़ियों का डिरेल होना यहां आम है. ये यात्री ट्रेनों के लिए गतिरोध उत्पन्न करता है. बिलासपुर, जांजगीर चांपा, कोरबा, रायपुर, नागपुर और कटनी लाइन अति व्यस्त लाइन में शुमार है. यहां रोजाना रेल ट्रैफिक का दबाव रहता है.
मेंटेनेंस के लिए समय कम मिला: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में सबसे ज्यादा बिजी रहने वाली लाइन नागपुर, बिलासपुर, कोरबा, चांपा जांजगीर और शहडोल तक है. इस लाइन में यात्री ट्रेनों के साथ ही मालगाड़ी और कोयले गाड़ी का परिचालन बड़ी संख्या में हो रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में लगभग 365 से भी ज्यादा ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है. इनमें लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा यात्री ट्रेनें हैं, उतनी ही मालगाड़ी भी हैं. ऐसे में ट्रैक मेंटेनर को पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है. कम समय में ट्रैक के मेंटेनेंस का काम करना पड़ रहा है. ऐसे में छोटी-मोटी गलतियां हो जाती है. कई बार ट्रैक मेंटेन किए बगैर ही ट्रेनों का परिचालन हो जाता है. यही वजह है कि छोटी-छोटी गलतियों की वजह से डिरेल जैसी घटनाएं सामने आती है.
पटरियों की लाइफ हो रही कम: रेलवे लाइन के लिए तैयार होने वाली पटरियां जब कारखाने से बनकर निकलती है तो उनकी एक्सपायरी उनके भार सहने के ऊपर तय किया जाता है. जब पटरियों का निर्माण होता है तो उनकी क्षमता के मुताबिक उनकी एक्सपायरी तय की जाती है. पटरियों की लाइफ 10 साल एक निर्धारित वजन के अनुसार तय की जाती है. समय के बाद पटरियों को बदल दिया जाता है. लेकिन अधिक वजन और अधिक ट्रेनों के परिचालन के कारण पटरियों की लाइफलाइन कम हो रही है. यह भी हादसे की बड़ी वजह है.
ट्रैक मेंटेनेंस के मामले में रेलवे हमेशा तत्पर रहता है.समय-समय पर मेंटेनेंस किया जाता है. रेलवे ने जांजगीर चांपा वाली घटना की जांच के बाद ही जानकारी देने की बात कही है. फिलहाल अप और डाउन लाइन को शुरू कर दिया गया है. ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ कर दिया गया है. -साकेत रंजन, रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी
जांजगीर चांप में हुआ हादसा: जांजगीर चांपा गुरुवार को हुए डिरेल के मामले में एक बड़ी गलती सामने आई है. यहां दो पटरियों को जोड़ने वाला पार्ट अलग जगह में जा गिरा था. इसी के कारण मालगाड़ी के 9 डिब्बे पटरी से उतर गए थे.