बिलासपुर: बिलासपुर नगर निगम (Bilaspur Municipal Corporation)प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा नगर निगम है. यहां वार्डों की संख्या 70 हो गई है. इससे पहले ये 55 वार्डों का निगम क्षेत्र होता था. इसके बाद नए परिसीमन और शहर को विकास के दौड़ में शामिल करने के लिए इसे 66 वार्डों में बांटा गया. लेकिन पिछले परिसीमन में निगम के वार्डों की संख्या बढ़ाकर 70 कर दी गई थी.साथ ही वार्डों की संख्या बढ़ाने के अलावा नगर निगम सीमा क्षेत्र से लगे दो नगर पंचायत, 1 नगर पालिका और ग्राम पंचायत को शामिल किया गया था. लगभग 15 गांव को भी नगर निगम सीमा क्षेत्र में शामिल किया गया है. अब निगम क्षेत्र काफी बड़े क्षेत्रफल में है.
यहां की जनसंख्या अत्यधिक होने के साथ ही मकानों की संख्या भी पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है. नगर निगम के राजस्व की बात करें तो निगम को प्रॉपर्टी टैक्स के साथ पानी का बिल और निगम की जमीनों में बने दुकानों के किराए के साथ ही कई और माध्यम से राजस्व की प्राप्ति होती है. फिर भी निगम की हालत इस समय काफी दयनीय (Backward in property tax collection) है.
बजट की कमी से परेशान नगर निगम का प्रबंधन
विकास कार्यों के साथ ही मूलभूत सुविधाओं को मुहैया कराने में बिलासपुर नगर निगम पिछड़ता जा रहा (Bilaspur Municipal Corporation unable to provide basic facilities) है. जब भी किसी कार्य को कराने या पुरानी व्यवस्था में सुधार लाने की मांग की जाती है. तो निगम प्रबंधन बजट नहीं होने का हवाला देता है. निगम राज्य सरकार से इस आस में रहता है कि कब बजट मिले और वह विकास कार्यों के साथ ही शहर वासियों को मूलभूत सुविधा मुहैया कराए.
मकानों और दुकानों का किया जा रहा सर्वे
कांग्रेस सरकार अब नगर निगम की आर्थिक हालत सुधारने और खजाना को भरने का प्रयास शुरू कर चुका है. नगर निगम महापौर रामशरण यादव ने ईटीवी भारत को बताया कि नए सिरे से शहर में स्थित मकानों और दुकानों का सर्वे किया जा रहा है. क्योंकि मकानों और दुकानों से मिलने वाला प्रॉपर्टी टैक्स इतना कम है कि इससे निगम का गुजारा ही नहीं होता और हमेशा आर्थिक स्थिति खराब ही रहती है. वे शहर के मकानों का सर्वे कराकर उसमें नंबरिंग करवाएंगे .
टैक्स वसूली में पिछड़ा नगर निगम (Bilaspur Municipal Corporation backward in tax collection)
बिलासपुर नगर निगम प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली करने में काफी पिछड़ गया है. निगम सीमा क्षेत्र में पिछले साल की बात करें, तो 92 हजार मकान और लगभग 16 हजार दुकान का पंजीयन है. जो टैक्स अदा करते हैं. इस वर्ष अगर सर्वे कराया गया तो ये आंकड़ा एक लाख पार कर जाएगा. लेकिन निगम को मात्र अभी 58 प्रतिशत ही प्रॉपर्टी टैक्स की प्राप्ति हुई है. जिसमें लगभग 28 कड़ोड़ रुपए की वसूली की गई है. अगर निगम पूरे टैक्स की वसूली करेगा, तो उसे 90 करोड़ रुपए की प्राप्ति होगी.
ठेका कंपनी नहीं कर पा रही है पूरा वसूली
भाजपा सरकार ने प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली के लिए स्पैरो कंपनी को ठेका दिया था. जो निगम सीमा के मकानों और दुकानों का टैक्स वसूली का काम करती है. कंपनी पिछले दो सालों से अपना टारगेट पूरा ही नहीं कर पा रही है. इसके अलावा निगम के कर्मचारी भी प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली करते हैं. नगर निगम के टैक्स कलेक्शन करने वाले अधिकारियों का इस विषय में कहना है कि जब निगमकर्मी पहले टैक्स की वसूली करते थे. तो वह टारगेट के लगभग करीब पहुच जाते थे. यानी 90 फीसदी वसूली निगमकर्मी कर लेते थे. लगभग 80 हजार घरेलू और व्यावसायिक परिसर और दुकानों की वसूली हो जाती थी. लेकिन जब से टैक्स वसूली का काम ठेका कंपनी स्पैरो को दिया गया है. तब से टारगेट कोसो दूर रहता है और 30 से 40 प्रतिशत ही वसूली हो पाती है.
यह भी पढ़ेंः Protest Against Railway In Bilaspur: स्टेशनों पर स्टॉपेज और एमएसटी पास शुरू करने की मांग
नंबरिंग से आम लोगों को होगा फायदा
निगम सीमा क्षेत्र में मकानों की नंबरिंग सन 2004 में करवाई गई थी और तब से लेकर अब तक हजारों मकान और दुकान नए बन गए हैं. यदि मकानों की नाबरिंग होगी तो निगम को पता होगा कि कौन से मकान का टैक्स उन्हें मिल चुका है. इसके अलावा शहरवासियों को कई ऐसे शासकीय और निजी कार्यो के लिए मकान नबंर की आवश्यकता पड़ती है. जिससे उनकी सही पहचान हो पाती है. अगर मकानों में नाबरिंग हुआ तो आम शहरवासियों को इसका लाभ मिल सकेगा.