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Free Ambulance Service एंबुलेंस के अभाव में हुई मां की मौत, जरूरतमंदों को निःशुल्क एंबुलेंस सेवा दे रहा मोहन

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Published : May 4, 2023, 2:35 PM IST

बिलासपुर का मोहन जरूरतमंदों को निःशुल्क एंबुलेंस सेवा दे रहा है. पिछले 15 सालों से मोहन लोगों की मदद करता आ रहा है. एंबुलेंस समय पर न मिलने पर मोहन की मां की मौत हो गई थी जिसके बाद से मोहन लोगों की मदद कर रहा है.

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एंबुलेंस के अभाव में हुई मां की मौत

बिलासपुर: हर दिन से इंसान को सीख मिलती है. बिलासपुर के मोकपा के रहनेवाले मोहन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. मोहन की मां को अचानक सिर में दर्द हुआ. उनका ब्रेन हेमरेज हो गया. समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने के कारण मोहन की मां ने दम तोड़ दिया. इसके बाद मोहन ने अपनी कार बेचकर वैन खरीदा. इस वैन को मोहन ने निशुल्क एंबुलेंस की सेवा में लगा दिया. मोहन की मां की तरह ही किसी और की मौत एंबुलेंस के अभाव में न हो इसलिए पिछले 15 सालों से मोहन जरूरतमंदों को निःशुल्क एंबुलेंस की सेवा मुहैया करा रहे हैं.

कार बेचकर खरीदा वैन: मां की मौत के बाद मोहन ने अपनी कार को बेच दिया. उस पैसे से मोहन ने एंबुलेंस खरीदा. मोहन का कहना है कि जिस तरह एम्बुलेंस न मिलने पर उसकी मां की जान गई है. वैसा किसी और के साथ न हो. इसलिए मोहन एंबुलेंस के पेट्रोल का खर्च खुद उठाते हैं. ड्राइविंग भी खुद करते हैं. पिछले 15 सालों से मोहन इस काम में लगे हुए हैं. मोहन को इस बात का हमेशा मलाल रहता है कि काश! उस दिन समय से एंबुलेंस मिल जाता तो मां की जान बन जाती.

यह भी पढ़ें: कांकेर में चारपाई के सहारे मरीज, 8 किलोमीटर चलने के बाद मिला एंबुलेंस

पहले ऑटो से शव को पहुंचाते थे: मोहन का टेंट का व्यवसाय है. उनके पास माल ढोने वाली ऑटो है. शुरुआत में वे सड़कों में दुर्घटनाग्रस्त मरीजों और मृत देह को उनके घर तक पहुंचाने के लिए ऑटो का उपयोग करते थे. ऑटों में शव ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होती थी. लेकिन मरीजों को अस्पताल पहुंचाते समय ऑक्सीजन न मिलने से परेशानी और बढ़ जाती थी. इसलिए मोहन ने अपनी कार बेचकर एक वैन खरीदा और उसे एंबुलेंस का रुप दे दिया. इसी वैन से अब मोहन मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाते हैं.

तालाब किनारे बनवाया शेड: मोहन के गांव में तालाब के किनारे पिंडदान करने की परंपरा है. मृतकों के परिजन यहां पहुंचकर पितरों का पिंडदान करते हैं. तालाब किनारे तेज धूप होने की वजह से लोगों को काफी दिक्कतें होती थी. इसलिए मोहन ने अपने पैसे से एक शेड का निर्माण करवाया. अब लोग इस शेड में बैठकर पितरों का पिंडदान करते हैं.

एंबुलेंस के अभाव में हुई मां की मौत

बिलासपुर: हर दिन से इंसान को सीख मिलती है. बिलासपुर के मोकपा के रहनेवाले मोहन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. मोहन की मां को अचानक सिर में दर्द हुआ. उनका ब्रेन हेमरेज हो गया. समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने के कारण मोहन की मां ने दम तोड़ दिया. इसके बाद मोहन ने अपनी कार बेचकर वैन खरीदा. इस वैन को मोहन ने निशुल्क एंबुलेंस की सेवा में लगा दिया. मोहन की मां की तरह ही किसी और की मौत एंबुलेंस के अभाव में न हो इसलिए पिछले 15 सालों से मोहन जरूरतमंदों को निःशुल्क एंबुलेंस की सेवा मुहैया करा रहे हैं.

कार बेचकर खरीदा वैन: मां की मौत के बाद मोहन ने अपनी कार को बेच दिया. उस पैसे से मोहन ने एंबुलेंस खरीदा. मोहन का कहना है कि जिस तरह एम्बुलेंस न मिलने पर उसकी मां की जान गई है. वैसा किसी और के साथ न हो. इसलिए मोहन एंबुलेंस के पेट्रोल का खर्च खुद उठाते हैं. ड्राइविंग भी खुद करते हैं. पिछले 15 सालों से मोहन इस काम में लगे हुए हैं. मोहन को इस बात का हमेशा मलाल रहता है कि काश! उस दिन समय से एंबुलेंस मिल जाता तो मां की जान बन जाती.

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पहले ऑटो से शव को पहुंचाते थे: मोहन का टेंट का व्यवसाय है. उनके पास माल ढोने वाली ऑटो है. शुरुआत में वे सड़कों में दुर्घटनाग्रस्त मरीजों और मृत देह को उनके घर तक पहुंचाने के लिए ऑटो का उपयोग करते थे. ऑटों में शव ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होती थी. लेकिन मरीजों को अस्पताल पहुंचाते समय ऑक्सीजन न मिलने से परेशानी और बढ़ जाती थी. इसलिए मोहन ने अपनी कार बेचकर एक वैन खरीदा और उसे एंबुलेंस का रुप दे दिया. इसी वैन से अब मोहन मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाते हैं.

तालाब किनारे बनवाया शेड: मोहन के गांव में तालाब के किनारे पिंडदान करने की परंपरा है. मृतकों के परिजन यहां पहुंचकर पितरों का पिंडदान करते हैं. तालाब किनारे तेज धूप होने की वजह से लोगों को काफी दिक्कतें होती थी. इसलिए मोहन ने अपने पैसे से एक शेड का निर्माण करवाया. अब लोग इस शेड में बैठकर पितरों का पिंडदान करते हैं.

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