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बिलासपुर: ATR से रेस्क्यू कर कानन जू लाए गए तेंदुए की मौत, प्रशासन ने साधी चुप्पी - अचानकमार टाइगर रिजर्व

बिलासपुर के ATR (अचानकमार टाइगर रिजर्व) से रेस्क्यू कर लाए गए तेंदुए की मौत हो गई है, जिसका आनन-फानन में अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है. वहीं प्रशासन ने इस पर चुप्पी साधी हुई है.

Leopard dead by rescued Kanan in bilaspur
ATR से रेस्क्यू कर कानन लाए गए तेंदुए की मौत
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Published : May 2, 2020, 11:04 AM IST

बिलासपुर: जिले के तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में ATR (अचानकमार टाइगर रिजर्व) से रेस्क्यू कर लाए गए तेंदुए की मौत हो गई है. वहीं कानन पेंडारी चिड़ियाघर प्रशासन ने आनन-फानन में तेंदुए के पोस्टमॉर्टम के बाद उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया. तेंदुए की मौत के बाद से कानन पेंडारी के रेस्क्यू सेंटर सहित वहां उपलब्ध चिकित्सा सुविधा की गुणवत्ता पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं.

अगर हम कानन पेंडारी के इतिहास में झांककर देखें, तो इसके पहले भी कई जानवर यहां आकर काल के गाल में समा गए हैं, लेकिन आज तक कानन प्रशासन किसी भी मामले में जवाबदेही तय करने से बचता रहा है.

बता दें कि 12 अप्रैल को ATR (अचानकमार टाइगर रिजर्व) के कैमरे में एक घायल नर वयस्क तेंदुआ दिखा था, जिसके बाद ATR प्रशासन ने घायल तेंदुए का रेस्क्यू कर उसे इलाज के लिए कानन पेंडारी प्रशासन के हवाले कर दिया. इस बात को भी कानन प्रशासन ने छिपाने की कोशिश की. इसके बाद 19 अप्रैल को कानन के अधिकारियों ने मामले की जानकारी दी, जिसमें घायल नर तेंदुए के स्वास्थ्य में सुधार होने सहित खानपान सामान्य होने और तीन हफ्ते बाद उसे वापस ATR में छोड़ने की बात कही गई. इसके बाद 29 अप्रैल यानि बुधवार को तेंदुए की मौत हो गई, जिसके बाद कानन प्रशासन ने तेंदुए के शव का पोस्टमॉर्टम कराकर अंतिम संस्कार कर दिया.

बड़ा सवाल

अब सवाल यह उठता है कि जब तेंदुए के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा था और खानपान सामान्य हो गया था, तो अचानक तेंदुए की मौत कैसे हो गई. क्या इसमें कोई चिकित्सकीय चूक हुई है या फिर पहले कानन के जिम्मेदारों की ओर से मामले को ठंडा करने के लिए हड़बड़ी में बयान दिया गया था.

तेंदुए से पहले हो चुकी है इन जानवरों की मौत

तेंदुए से पहले भी 15 दिसंबर को रायगढ़ से रेस्क्यू करके लाए गए भालू की मौत हो गई थी. महज इसके एक हफ्ते के अंदर ही मड़ीपुरी सांभर और चीतल की भी मौत हो गई थी. इसके बाद 11 मार्च और 6 अप्रैल को भी दो जानवरों की कानन पेंडारी में मौत हो गई थी. वहीं इसके पहले भी ऐसे कई मामले हैं, जिसमें रेस्क्यू कर लाए गए जानवरों की मौत हो गई थी. इससे ही समझा जा सकता है कि कानन प्रशासन जानवरों के स्वास्थ्य को लेकर कितना गंभीर है.

हर बार वन्यजीवों की मौत के बाद कानन पेंडारी प्रशासन किसी की जवाबदेही तय नहीं कर पाता है और इसके बाद फिर से किसी न किसी जानवर की मौत हो जाती है. चाहे वो दरियाई घोड़े की मौत का मामला हो या चाहे अन्य किसी जानवर की मौत का मामला हो. कानन प्रशासन किसी भी मामले में निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंच पाया है. अब एक बार फिर से एक वयस्क नर तेंदुआ कानन पेंडारी की अव्यवस्था का शिकार हो गया.

कानन रेंजर का फोन हमेशा रहता है बंद

कानन पेंडारी लॉकडाउन के कारण बंद है, जिसके कारण मीडिया पर भी पाबंदी लगी हुई है, इसलिए यहां की खबरों के संबंध में जानकारी के लिए जब भी रेंजर एच सी शर्मा के मोबाइल पर कॉल किया जाता है, तो उनका नंबर हमेशा बंद मिलता है. ETV BHARAT ने जब भी उनसे बात करने की कोशिश की उनका मोबाइल हमेशा बंद मिला, साथ ही वे हमेशा सवालों के जवाब देने से कतराते हैं.

बिलासपुर: जिले के तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में ATR (अचानकमार टाइगर रिजर्व) से रेस्क्यू कर लाए गए तेंदुए की मौत हो गई है. वहीं कानन पेंडारी चिड़ियाघर प्रशासन ने आनन-फानन में तेंदुए के पोस्टमॉर्टम के बाद उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया. तेंदुए की मौत के बाद से कानन पेंडारी के रेस्क्यू सेंटर सहित वहां उपलब्ध चिकित्सा सुविधा की गुणवत्ता पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं.

अगर हम कानन पेंडारी के इतिहास में झांककर देखें, तो इसके पहले भी कई जानवर यहां आकर काल के गाल में समा गए हैं, लेकिन आज तक कानन प्रशासन किसी भी मामले में जवाबदेही तय करने से बचता रहा है.

बता दें कि 12 अप्रैल को ATR (अचानकमार टाइगर रिजर्व) के कैमरे में एक घायल नर वयस्क तेंदुआ दिखा था, जिसके बाद ATR प्रशासन ने घायल तेंदुए का रेस्क्यू कर उसे इलाज के लिए कानन पेंडारी प्रशासन के हवाले कर दिया. इस बात को भी कानन प्रशासन ने छिपाने की कोशिश की. इसके बाद 19 अप्रैल को कानन के अधिकारियों ने मामले की जानकारी दी, जिसमें घायल नर तेंदुए के स्वास्थ्य में सुधार होने सहित खानपान सामान्य होने और तीन हफ्ते बाद उसे वापस ATR में छोड़ने की बात कही गई. इसके बाद 29 अप्रैल यानि बुधवार को तेंदुए की मौत हो गई, जिसके बाद कानन प्रशासन ने तेंदुए के शव का पोस्टमॉर्टम कराकर अंतिम संस्कार कर दिया.

बड़ा सवाल

अब सवाल यह उठता है कि जब तेंदुए के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा था और खानपान सामान्य हो गया था, तो अचानक तेंदुए की मौत कैसे हो गई. क्या इसमें कोई चिकित्सकीय चूक हुई है या फिर पहले कानन के जिम्मेदारों की ओर से मामले को ठंडा करने के लिए हड़बड़ी में बयान दिया गया था.

तेंदुए से पहले हो चुकी है इन जानवरों की मौत

तेंदुए से पहले भी 15 दिसंबर को रायगढ़ से रेस्क्यू करके लाए गए भालू की मौत हो गई थी. महज इसके एक हफ्ते के अंदर ही मड़ीपुरी सांभर और चीतल की भी मौत हो गई थी. इसके बाद 11 मार्च और 6 अप्रैल को भी दो जानवरों की कानन पेंडारी में मौत हो गई थी. वहीं इसके पहले भी ऐसे कई मामले हैं, जिसमें रेस्क्यू कर लाए गए जानवरों की मौत हो गई थी. इससे ही समझा जा सकता है कि कानन प्रशासन जानवरों के स्वास्थ्य को लेकर कितना गंभीर है.

हर बार वन्यजीवों की मौत के बाद कानन पेंडारी प्रशासन किसी की जवाबदेही तय नहीं कर पाता है और इसके बाद फिर से किसी न किसी जानवर की मौत हो जाती है. चाहे वो दरियाई घोड़े की मौत का मामला हो या चाहे अन्य किसी जानवर की मौत का मामला हो. कानन प्रशासन किसी भी मामले में निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंच पाया है. अब एक बार फिर से एक वयस्क नर तेंदुआ कानन पेंडारी की अव्यवस्था का शिकार हो गया.

कानन रेंजर का फोन हमेशा रहता है बंद

कानन पेंडारी लॉकडाउन के कारण बंद है, जिसके कारण मीडिया पर भी पाबंदी लगी हुई है, इसलिए यहां की खबरों के संबंध में जानकारी के लिए जब भी रेंजर एच सी शर्मा के मोबाइल पर कॉल किया जाता है, तो उनका नंबर हमेशा बंद मिलता है. ETV BHARAT ने जब भी उनसे बात करने की कोशिश की उनका मोबाइल हमेशा बंद मिला, साथ ही वे हमेशा सवालों के जवाब देने से कतराते हैं.

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