बिलासपुर: बिलासपुर एयरपोर्ट पर घरेलू उड़ान को लेकर शुक्रवार को हाईकोर्ट में लगी याचिका पर अर्जेंट सुनवाई हुई. इस सुनवाई में हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से हवाई सेवा, नाइट लैंडिंग और पैसेंजर्स की सुविधाओं को लेकर सख्त निर्देश दिए हैं. केंद्र और राज्य सरकार पर नाराजगी जाहिर करते हुए हाईकोर्ट ने 4 बिंदुओं पर जवाब मांगा है. विमानन कंपनी को पैसेंजर्स की सुविधाओं के साथ ही फ्लाइट कैंसल या दूसरे एयरपोर्ट में उतारने पर उनके शहर तक पहुंचने की पूरी व्यवस्था करने के निर्देश भी हाईकोर्ट ने दिए हैं.
पत्रकार कमल दुबे ने बिलासपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई: बिलासपुर के कमल दुबे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी. जिसमें कहा गया था 'बिलासपुर की सालों से मांग है कि यहां एयरपोर्ट होना चाहिए, जिससे घरेलू उड़ान की सुविधा होनी चाहिए. याचिका में बताया गया है कि यहां एसईसीएल का हेडक्वाटर है, रेलवे जोन, एनटीपीसी, हाईकोर्ट और बिजनेस से जुड़े बड़े संसथान हैं. जिन्हें हवाई सेवा पाने रायपुर जाना होता है.
हाईकोर्ट ने चार बिंदुओं पर कड़े निर्देश जारी किये: मामले में हाईकोर्ट द्वारा जमीन अधिग्रहण पर जानकारी मांगते हुए केन्द्र से तुरंत शपथ पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है. नाइट लैंडिंग के लिए राज्य और केन्द्र को मिलकर काम कने कहा है और अब तक के स्टेट्स का जानकारी और शपथ पत्र देने कहा है. एयरपोर्ट के एप्रोच रोड को ठीक करने सरकार को निर्देशित किया गया है. साथ ही दो दिन पहले यात्रियों को हुई परेशानी पर कभी ऐसी स्थिति होने पर यात्रियों को पहले से जानकारी देने और उनकी समुचित व्यवस्था करने कहा है.
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प्रयागराज-बिलासपुर प्लाइट के यात्रियों को हुई थी परेशानी: कमल दुबे ने अपने वकील आशीष श्रीवास्तव से लगाए गए अर्जेंट हियरिंग में दो दिन पहले प्रयागराज से आने वाली फ़्लाइट के 6 घंटे लेट से उड़ान भरने की घटना का जिक्र किया. इस मामले में बिलासपुर पहुंचने के बजाए रायपुर में यात्रियों को उतार दिया गया. यहां भी पैसेंजर्स को बिलासपुर पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई और न उन्हें खाना दिया. यहां तक कि पैसेंजर्स अपने खुद के खर्चे से बिलासपुर आए. जिस पर कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. हाईकोर्ट द्वारा मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च के लिए निर्धारित की गई है.